अमूमन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल मीडिया की लाइमलाइट से दूर रहते हैं, लेकिन 20 मार्च के बाद सब कुछ पलट गया। उस दिन सुबह सात बजे के आसपास प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम दुर्ग जिले में भिलाई स्थित उनके परिसर में पहुंच गई। सभी हैरान थे कि उनका नाम छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2100 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले से कैसे जुड़ गया। या फिर परदे के पीछे माजरा कुछ और है? ईडी का मानना है कि यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान हुआ था। उस समय राज्य के आबकारी विभाग के मंत्री कवासी लखमा थे। जांच एजेंसी का आरोप है कि इस दौरान एक संगठित गिरोह ने शराब नीति में फेरबदल करके समानांतर व्यवस्था बनाई, जिससे गैर-कानूनी रूप से शराब पूरे राज्य भर में बेची गई। ईडी का मानना है कि छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (सीएसएमसीएल) सिर्फ उन्हीं आपूर्तिकर्ताओं से शराब खरीदता था जो इस गिरोह को कमीशन देते थे। यही नहीं, नकली शराब भी बेची जाती थी जिसके लिए बोतलें और होलोग्राम गिरोह उपलब्ध कराता था।
इसके अलावा, जांच एजेंसी का सोचना है कि इस गिरोह की अगुआई रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर और सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी अनिल टुटेजा के हाथ में थी। अब तक इस मामले में ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और तत्कालीन आइएएस अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी को गिरफ्तार किया है। कवासी लखमा के ऊपर 72 करोड़ रुपये कमीशन लेने का आरोप है। जनवरी 2024 में दर्ज दूसरी एफ़आइआर में कुल 70 आरोपियों के नाम शामिल हैं, जिनमें कई सरकारी अधिकारी और नेता भी हैं। ईडी का मानना है कि इस घोटाले से कुल 2161 करोड़ रुपये की अवैध कमाई हुई और इसमें अब तक 205 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त भी की जा चुकी हैं।
चैतन्य बघेल
चैतन्य बघेल के भिलाई स्थित परिसर ईडी की छापामार कार्रवाई लगभग आठ घंटे तक चली। इसके अलावा ईडी ने उनके क़रीबी सहयोगी लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल के ठिकानों और 14 अन्य जगहों पर भी दबिश दी। छापे के बाद भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा, "ईडी घर से चली गई है। मेरे घर में उनको तीन चीजें मिली हैं: पहली, मंतूराम और डॉ. पुनीत गुप्ता (डॉ. रमन सिंह के दामाद) के बीच करोड़ों की लेन-देन की बातचीत की पेन ड्राइव। दूसरी, डॉ. रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह की शेल कंपनी के कागज, और तीसरी पूरे संयुक्त परिवार में खेती, डेयरी, स्त्रीधन, "कैश इन हैंड" मिलाकर लगभग 33 लाख रुपये, जिनका हिसाब उनको दिया जाएगा।" छापे के दिन बघेल पंजाब कांग्रेस की बैठक के लिए चंडीगढ़ में थे, जिसके वे प्रभारी कांग्रेस महासचिव हैं। उन्होंने वहां पत्रकारों से कहा, ‘‘जब-जब मुझे पार्टी की ओर से कोई नई जिममेदारी मिलती है, तब-तब छापे पड़ते रहते हैं। इसलिए ये कोई खास मायने नहीं रखते।’’
भाजपा नेता और उप-मुख्यमंत्री अरुण साव का कहना है, "भूपेश बघेल के कार्यकाल में बड़े-बड़े घोटाले हुए हैं। ईडी की कार्रवाई लंबे समय से चल रही है। जांच में उन्हें कोई साक्ष्य मिला होगा और उसके आधार पर ईडी ने कार्रवाई की है। अगर इसमें उनकी (भूपेश बघेल) कोई भूमिका नहीं है, तो कोई डरने या घबराने की बात नहीं होनी चाहिए।"
इस बीच, छत्तीसगढ़ के प्रभारी तथा राजस्थान के कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के यहां ईडी का छापा स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार की राजनैतिक प्रतिशोध की मंशा को उजागर करता है। भाजपा ईडी, सीबीआइ जैसी एजेंसियों का विपक्षी नेताओं को डराने और दबाने के लिए इस्तेमाल कर रही है। एजेंसियों का दुरुपयोग अब एक सुनियोजित ढर्रा बन चुका है। कांग्रेसजन इससे डरने वाले नहीं हैं और न्याय की लड़ाई के लिए हर संघर्ष स्वीकार है।"