Advertisement

“हर बार राष्ट्रवाद नहीं चलने वाला”

छत्तीसगढ़ में 17 दिसंबर को बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का एक साल पूरा हो रहा है। इस दौरान वे बाहर और पार्टी के भीतर अपने प्रतिद्वंद्वियों से अपनी स्थिति मजबूत करने में कामयाब रहे हैं। बकौल उनके, राज्य की आर्थिक स्थितियां बेशक बहुत ठीक नहीं हैं, फिर भी वे किसानों और आदिवासियों की समस्याएं दूर करने की को‌शिश में भी जुटे हैं। इस पर हाल के दो विधानसभा उपचुनावों ने मुहर भी लगा दी है। राज्य में डेढ़ दशक बाद जनता को नया माहौल दिख रहा है। तीन-चौथाई बहुमत के साथ पार्टी में तीन प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ कर सत्ता पर काबिज मुख्यमंत्री इससे और मजबूत हो गए हैं। उनकी एक साल की उपलब्धियों, चुनौतियों और आगे की योजनाओं पर संपादक हरवीर सिंह और विशेष संवाददाता रवि भोई ने उनसे बातचीत की। मुख्य अंश:
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

छत्तीसगढ़ में 17 दिसंबर को बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का एक साल पूरा हो रहा है। इस दौरान वे बाहर और पार्टी के भीतर अपने प्रतिद्वंद्वियों से अपनी स्थिति मजबूत करने में कामयाब रहे हैं। बकौल उनके, राज्य की आर्थिक स्थितियां बेशक बहुत ठीक नहीं हैं, फिर भी वे किसानों और आदिवासियों की समस्याएं दूर करने की को‌शिश में भी जुटे हैं। इस पर हाल के दो विधानसभा उपचुनावों ने मुहर भी लगा दी है। राज्य में डेढ़ दशक बाद जनता को नया माहौल दिख रहा है। तीन-चौथाई बहुमत के साथ पार्टी में तीन प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ कर सत्ता पर काबिज मुख्यमंत्री इससे और मजबूत हो गए हैं। उनकी एक साल की उपलब्धियों, चुनौतियों और आगे की योजनाओं पर संपादक हरवीर सिंह और विशेष संवाददाता रवि भोई ने उनसे बातचीत की। मुख्य अंश:

 

बतौर मुख्यमंत्री आपने एक साल में पिछली सरकार से हटकर क्या किया और आपके सामने क्या चुनौतियां रहीं?

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण को 19 साल हो गए। यहां बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें और सड़कें बनीं, बड़े ब्रिज बनाए गए, लेकिन आम जनता को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिला। शासन की योजनाओं से लोगों का भरोसा भी उठ गया। तभी तो गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों की संख्या 36 से बढ़कर 39.9 फीसदी हो गई। यहां 37.6 फीसदी बच्चे कुपोषित और 41.5 फीसदी महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। शिक्षा का स्तर नीचे है और स्वास्थ्य सेवाएं भी ठीक नहीं हैं। किसान आत्महत्या और आदिवासी पलायन करने लगे। तीन ब्लॉक में सिमटी नक्सली समस्या 14 जिलों में फैल गई। कांग्रेस ने आम लोगों को केंद्र में रखकर घोषणापत्र बनाया और उसी के अनुरूप यह सरकार काम कर रही है। पहले किसानों का ऋण माफ किया और फिर 2,500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से धान खरीदी की। आदिवासियों को तेंदूपत्ता संग्रहण पर प्रति मानक बोरा 4,000 रुपये दिए गए। सभी गरीबों को हर महीने 35 किलो चावल दिया जा रहा है। 400 यूनिट तक बिजली बिल आधा किया गया। इसके अलावा और कई फैसले लिए गए। हमने लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए सरकारी योजनाओं का फोकस बदला।

सरकारी योजनाओं में किस तरह बदलाव किया? फोकस बदलने का क्या असर दिखा?

हमने संसाधनों का इस्तेमाल बड़े इन्‍फ्रास्ट्रक्चर की जगह ग्रामीण और कमजोर तबकों के लिए किया। फोकस बदलने से लोगों की क्रय-शक्ति बढ़ी। यहां रियल एस्टेट, सराफा, ऑटोमोबाइल और दूसरे सेक्टर में बिजनेस बढ़ा। बाकी देश भर में जहां ऑटोमोबाइल सेक्टर में 19 फीसदी तक गिरावट देखने को मिली, वहीं, राज्य में इस सेक्टर में बिक्री बढ़ी है।

राज्य में हाल के दो उपचुनावों में जीत को कैसे देखते हैं? क्या रणनीति रही?

यह हमारी सरकार के काम पर मुहर है। दंतेवाड़ा सीट हमने भाजपा से छीनी। वहां अब तक जीत-हार का अंतर चार-पांच हजार रहता था। इस बार हम 13,000 से अधिक वोटों से जीते। 

देश में अन्य हालिया चुनावों और छत्तीसगढ़ के उपचुनाव के नतीजों से क्या संदेश गया?

जनता मूल मुद्दे की तरफ लौटने लगी है। यह भी साफ हो गया कि बार-बार राष्ट्रवाद जगा कर या फिर सर्जिकल स्ट्राइक कर जनता को बरगलाया नहीं जा सकता। दो राज्यों या उपचुनावों के नतीजों से साफ है कि जनता ने इसे नकार दिया। हमेशा एक ही तरीका काम नहीं आता। नोटबंदी और जीएसटी से भाजपा परेशान थी, इस कारण पुलवामा जैसी घटना हुई। मेरा मानना है कि राष्ट्रवाद का आवरण तैयार कर लोकसभा चुनाव में ईवीएम में बड़ा खेल हुआ। हमने तो रामविलास पासवान और दिवंगत पी.वी. नरसिंह राव को ही पांच लाख से अधिक वोटों से चुनाव जीतते सुना था। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में तो कई लोग पांच लाख से अधिक वोटों से चुनाव जीत गए। इस कारण राज्य का नगरीय निकाय चुनाव बैलेट (मतपत्र) से कराने का फैसला किया। बड़े अंतर से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भी विजयी लोगों का स्वागत करने वालों की भीड़ नहीं दिखी, उससे भी संदेह पैदा होता है।

लोकसभा चुनाव के वक्त आपके एक मंत्री के प्रचार में नहीं जाने की बात सामने आई थी। क्या छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पूरी तरह एकजुट है?

यहां कांग्रेस पूरी तरह एकजुट है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सभी लोगों ने प्रचार किया, उलटे भाजपा के कई लोग प्रचार के लिए नहीं निकले। आपस में झगड़ रहे थे, फिर भाजपा प्रत्याशियों को इतने अधिक वोट कैसे मिल गए, यह एक रहस्य है।

आप पर बदले की भावना से काम करने का आरोप लगाया जाता है। आपके काम की शैली पर भी सवाल उठाए जाते रहते हैं। ऐसा क्यों?

देखिए, हमने कई बड़े फैसले लिए। दो एसआइटी गठित हो गई, तो कुछ लोगों को तकलीफ होने लगी। रमन सिंह ने कांग्रेस के प्रत्याशी को खरीदा, उसकी जांच क्यों नहीं होनी चहिए? नान घोटाला में 2015 में अपराध दर्ज किया गया था। हमने जांच का दायरा ही बढ़ाया है। जांच अधूरी है, हमारा मानना है कि वह पूरी होनी चाहिए।

राज्य में एक टेलीफोन टैपिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंच गया। इसके बारे में आपको क्या कहना है?

कोर्ट ने रिपोर्ट मांगी है, जो हम दे देंगे। फोन टैपिंग तो दायरे में रहकर और वैधानिक ही हुआ है। जिस अफसर से फोन टैपिंग का संबंध है, वह तो पहले से टैपिंग मामले में आरोपी है। पहले रमन सिंह बता दें कि इजरायली कंपनी को क्यों बुलाया था, जबकि राज्य में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

वाट्सएप डाटा लीक मामले का छत्तीसगढ़ से कोई संबंध है?

यह रमन सिंह और भाजपा बताए। वे चुप क्यों हैं। 

सीडी कांड की जांच और मुकदमे को सीबीआइ राज्य से बाहर ले जाना चाहती है। इसे आप किस रूप में देखते हैं?

इस मामले में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है, फिर भी केस ट्रांसफर की बात हो रही है। इससे साफ है ‌कि केंद्र सरकार अपनी एजेंसियों का किस तरह उपयोग कर रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री आरोप लगा रहे हैं कि आपने सारे संसाधन ग्रामीण क्षेत्र में लगा दिए हैं। सड़क और दूसरे इन्‍फ्रास्ट्रक्चर के काम ठप हैं। आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई है और ओवर ड्राफ्ट लेना पड़ रहा है।

पहली बात तो यह कि ओवर ड्राफ्ट जैसी स्थिति नहीं है। रमन सिंह 15 साल मुख्यमंत्री रहने के बाद रायपुर से बिलासपुर तक की सड़क क्यों नहीं बनवा पाए? कई प्रमुख शहर सड़क मार्ग से जुड़े नहीं हैं। उन्होंने तो किसानों को केवल एक साल बोनस दिया, फिर पैसा गया कहां? मोबाइल फोन बांटे गए, उसके भी करीब 600 करोड़ रुपये देने बाकी हैं। प्रचार-प्रसार के लिए बजट में 260 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, लेकिन खर्च 400 करोड़ किए गए। रमन सिंह ने अनियमितताएं कीं और खामियाजा हम लोग उठा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़कें भी नहीं बन रही हैं।

कुपोषण दूर करने, किसानों में आत्महत्या रोकने और स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक सुधार के क्या प्रयास किए जा रहे हैं?

नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा में सुपोषण योजना शुरू की, दो अक्टूबर से वह पूरे राज्य में लागू की गई। इससे कुपोषण और एनीमिया दोनों से लड़ पा रहे हैं। बस्तर में बारिश के बाद मलेरिया बड़ी समस्या थी। मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना से काबू पाया जा सका है। लोग हाट-बाजार में इलाज करा रहे हैं।

देश में जब मंदी का माहौल है, आपने नई औद्योगिक नीति जारी की है। इसके पीछे आपकी सोच क्या है?

हमारा नारा है- गढ़बो नवा छत्तीसगढ़। ऐसे में केवल किसान और आदिवासियों की बात कर आगे नहीं बढ़ सकते। हम उद्योग लाएंगे। कृषि, हर्बल और लघु वनोपज आधारित उद्योग ज्यादा होंगे।  इससे किसानों को लाभ होने के साथ व्यापार भी बढ़ेगा और प्रदूषण भी नहीं होगा। उद्योग लगाने के लिए कई तरह की छूट और सुविधाएं दे रहे हैं। सिंगल विंडो के साथ समय सीमा भी तय की गई है। नई औद्योगिक नीति में निवेश और रोजगार दोनों का ध्यान रखा गया है।

आपने किसानों का धान प्रति क्विंटल 2,500 रुपये में खरीदने का वादा किया है। आपको धान खरीदी के लिए काफी राशि चाहिए। केंद्र सरकार से आपको सहयोग नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में प्रति क्विंटल 2,500 रुपये की दर से धान कैसे खरीद पाएंगे?

हम किसानों का धान अपने बजट से खरीदेंगे। केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार के वक्त तो बोनस केंद्र सरकार ही देती थी। मोदी जी की सरकार बनने के बाद 2014 में आदेश कर दिया गया कि जो राज्य सरकारें किसानों को बोनस देंगी, उन राज्यों का चावल सेंट्रल पूल में नहीं ख्‍ारीदा जाएगा। बोनस तो हम राज्य के खजाने से दे रहे हैं। केंद्र सरकार पर कोई भार नहीं पड़ रहा है, फिर भी रोक रहे हैं। केंद्र सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू कर किसानों की आय बढ़ाने की बात करती है। हम किसानों की स्थिति सुधारने की कोशिश करते हैं, तो रोड़ा अटकाया जा रहा है। मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। राज्य के किसान, व्यापारी और अन्य वर्ग के लोगों के पत्र प्रधानमंत्री को सौंपेंगे। केंद्र सरकार से हमारा आग्रह है कि सेंट्रल पूल में पर्याप्त मात्रा में चावल लिया जाए। हम लड़ाई नहीं, आग्रह कर रहे हैं।

तो, क्या केंद्र सरकार की सोच को आप किसान विरोधी मानते हैं?

निश्चित रूप से यह किसान विरोधी सोच है। केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक से एक लाख 74 हजार करोड़ रुपये निकालकर कॉरपोरेट सेक्टर को दे दिया, क्या उससे मंदी थमी?

आप छत्तीसगढ़ की जीडीपी विकास दर को देश की विकास दर से ऊपर ले जाना चाहते हैं, या विकास का कोई और मापदंड है?

मैं जीडीपी की बात नहीं करता, मैं तो समावेशी विकास का पक्षधर हूं। राज्य के आर्थिक विकास में प्रत्येक नागरिक को हिस्सेदार बनाना चाहता हूं। 

आपने राज्य में जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण का प्रावधान किया, हालांकि अभी कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। इसके पीछे आपका मकसद क्या है?

हमने बाबा साहब आंबेडकर की मंशा और मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर संविधान के दायरे में रहकर आरक्षण के संबंध में फैसला किया। कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे। अदालत ने देश में 50 फीसदी से अधिक, यानी करीब 69 फीसदी को मान लिया है। अब 13 फीसदी और आरक्षण की बात है।

आप कमजोर तबके को उठाने की बात करते हैं, फिर कांग्रेस को न्याय योजना का राजनीतिक लाभ लोकसभा चुनाव में क्यों नहीं मिला?

उत्तेजक राष्ट्रवाद के कारण कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा। परंपरागत राष्ट्रवाद को छोड़ना देश के लिए ठीक नहीं है। यहां अहिंसा की बात की जाती है, गुरु नानक देव, महावीर और गांधी जी के दिखाए रास्ते पर चलने को कहा जाता है। जो राष्ट्रवाद हमारा नहीं बल्कि हिटलर और मुसोलनी से प्रभावित है, उसको अपनाना ठीक नहीं है। पुलवामा में जवानों पर हमले के लिए आरडीएक्स कौन लेकर गया था, उसकी आज तक कोई जांच नहीं हुई है। फिर जो वाहन बुलेट प्रूफ नहीं था, उसी से आरडीएक्स से भरा वाहन कैसे टकराया?

केंद्रीय योजनाओं, खासकर मनरेगा और आयुष्मान भारत योजना की राज्य में क्या स्थिति है?

मनरेगा की राशि के लिए दिल्ली की काफी दौड़ लगानी पड़ती है। आयुष्मान भारत योजना अभी तो चल रही है, लेकिन इसके बदले दूसरी स्वास्थ्य योजना के लिए जल्द कैबिनेट में विचार किया जाएगा।

राज्य में नक्सली समस्या की क्या स्थिति है और सरकार का क्या रुख है?

पिछले नौ महीने में नक्सली घटनाओं में 40 फीसदी की कमी आई है। इसकी बड़ी वजह है कि हम आदिवासियों और दूसरे लोगों को आर्थिक गतिविधियों में शामिल कर मुख्यधारा से जोड़ रहे हैं।

आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय और दूसरी केंद्रीय जांच एजेंसियां इन दिनों काफी आक्रामक दिखाई दे रही हैं। आप क्या मानते हैं?

राज्य में जांच को रमन सिंह ‘बदलापुर’ कहते हैं, तो क्या केंद्रीय एजेंसियों को केवल विपक्षी नेताओं की जांच में लगाना बदलापुर नहीं है? क्या सारी गड़बड़ियां विपक्ष के नेताओं ने ही की है? एक आरोपी के बयान के आधार पर पी. चिदंबरम को जेल भेजना या फिर महाराष्ट्र में चुनाव के वक्त शरद पवार को ईडी के नोटिस और प्रफुल्ल पटेल को ईडी के बुलावे को क्या कहेंगे?

आप आक्रामक बयानों के चलते कई बार सुर्खियों में आए। कांग्रेस आपको अन्य राज्यों में भी चुनाव प्रचार के लिए भेजती है...

पार्टी मुझे जहां भेजती है, मैं वहां जाता हूं।

आपको राष्ट्रीय राजनीति कहां जाती दिखाई दे रही है?

असहमति का कोई स्थान नहीं रह गया है। कोई आपसे असहमत है, तो उसे समाप्त कर दिया जाएगा।

अगले एक साल का रोडमैप क्या है? किस दिशा में चलने और लक्ष्यों को हासिल करने की योजना बनाई है?

हमें समृद्ध ‘छत्तीसगढ़ और मजबूत छत्तीसगढ़’ के लिए काम करना है। इसके लिए सारा रोडमैप बन गया है और उसी दिशा में काम कर रहे हैं।

Advertisement
Advertisement
Advertisement