छत्तीसगढ़ में 17 दिसंबर को बतौर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का एक साल पूरा हो रहा है। इस दौरान वे बाहर और पार्टी के भीतर अपने प्रतिद्वंद्वियों से अपनी स्थिति मजबूत करने में कामयाब रहे हैं। बकौल उनके, राज्य की आर्थिक स्थितियां बेशक बहुत ठीक नहीं हैं, फिर भी वे किसानों और आदिवासियों की समस्याएं दूर करने की कोशिश में भी जुटे हैं। इस पर हाल के दो विधानसभा उपचुनावों ने मुहर भी लगा दी है। राज्य में डेढ़ दशक बाद जनता को नया माहौल दिख रहा है। तीन-चौथाई बहुमत के साथ पार्टी में तीन प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ कर सत्ता पर काबिज मुख्यमंत्री इससे और मजबूत हो गए हैं। उनकी एक साल की उपलब्धियों, चुनौतियों और आगे की योजनाओं पर संपादक हरवीर सिंह और विशेष संवाददाता रवि भोई ने उनसे बातचीत की। मुख्य अंश:
अदालत के फैसले के बाद क्या यह मान लिया जाए कि अयोध्या राजनीति खत्म हुई या फिर राजनैतिक फायदे के लिए नए भावनात्मक और धार्मिक मुद्दों की तलाश शुरू हो जाएगी?
अदालत ने अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाकर ध्रुवीकरण की राजनीति को खत्म करने की राह दिखाई लेकिन क्या ऐसा होगा?
कई पेचीदगियों के बावजूद अयोध्या फैसले के असर को देखकर विश्लेषण करने की दरकार
अगर कोर्ट ने विवादित स्थल पर अस्पताल या अयोध्या की बहु-सांस्कृतिक पहचान दिखाने के लिए भव्य संग्रहालय बनाने का आदेश दिया होता तो वह अनुच्छेद-142 का बेहतर इस्तेमाल होता
1949-2019 के बीच न्यायिक आदेश मुस्लिमों के पक्ष में कभी नहीं रहे, हमेशा 'यथास्थिति' बदली गई
28 अक्टूबर 1992 को हिंदुत्व संगठनों के ऐलान से आम सहमति बनाने की कोशिशों को लगा बड़ा झटका
अगर हमें केंद्रीय सुरक्षा बल की मदद मिल गई होती तो शायद बाबरी मस्जिद विध्वंस होने से बच जाती
फैसले को जिस तरह सभी पक्षों ने स्वीकार किया, उससे लगता है नई पीढ़ी विवाद से आजिज आ चुकी है
आशंका इस बात की है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में जो कुछ कहा है, क्या उसे शब्दशः लागू किया जाएगा या जो विचार व्यक्त किए गए हैं उनको तोड़ा-मरोड़ा जाएगा
देश की सबसे ऊंची अदालत ने 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद को ढहाए जाने को गैर-कानूनी कृत्य माना है, लेकिन इस गैर-कानूनी कृत्य यानी अपराध का परिणाम क्या निकला
आजसू का साथ छूटने से बैकफुट पर सत्तारूढ़ भाजपा, विपक्षी कांग्रेस, झामुमो और राजद गठजोड़ में भी बगावत के स्वर
शिवसेना, राकांपा, कांग्रेस को पर्याप्त समय न देकर राष्ट्रपति शासन लगाने पर उठे सवाल
ऐसा तीसरी बार हुआ कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा
आज फिर से जरूरत है एक और बाबा नानक की जो मौजूदा परिस्थितियों में जगत की अगुआई कर सके
नानक के ईश्वर इस्लामिक विचार के करीब थे, लेकिन मुल्ला और काजियों ने उन्हें निराश कर दिया
अयोध्या मामले में एक अहम पक्षकार और वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी लंबे समय से इसकी पैरवी करते रहे हैं। वे नब्बे के दशक में बनी बाबरी मस्जिद ऐक्शकन कमेटी के संयोजक और फिर उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील के साथ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव भी हैं। सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ के फैसले पर उनकी राय अहम है। उन्होंने फैसले के फौरन बाद इसकी समीक्षा के लिए पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की अपनी राय भी सार्वजनिक की। लेकिन बकौल उनके, इसका फैसला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में ही लिया जाएगा। उन्होंने वरिष्ठ संवाददाता शशिकांत से बातचीत में फैसले की पेचीदगियों के बारे में विस्तार से बताया। मुख्य अंशः
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषंगी संगठन विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की रामजन्मभूमि आंदोलन में अहम भूमिका रही है। विवादित स्थल पर राममंदिर बनाने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद वहां पर भव्य मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है। मंदिर आंदोलन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले और धार्मिक स्थलों के दूसरे विवादास्पद मुद्दों समेत तमाम मसलों पर आउटलुक ने वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार से बातचीत की। प्रशांत श्रीवास्ताव के साथ हुई बातचीत में आलोक कुमार ने कहा कि अभी वीएचपी का पूरा फोकस मंदिर निर्माण पर है। साथ ही उन्होंने इस फैसले को देशहित और सभी पक्षों के हित में बताया। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंशः
किताब के सफों में दर्ज लफ्ज और उनको ललकारते कार्टून खुद बताएंगे कि उनमें रोचक/रोमांचक क्या है?
अधिकांश कहानियों में दांपत्य प्रमुखता से दर्ज है
हालिया चुनावों के नतीजों ने भाजपा के सहयोगी दलों को मोदी-शाह से मोल-भाव करने का मौका दिया
दिल्ली में न्याय-व्यवस्था के दोनों स्तंभ आपस में टकरा गए
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देश भारतीय बाजार में अपना माल खपाने के लिए लॉबिंग करते हैं, लेकिन हम क्या करते हैं, यह साफ नहीं
एक स्वर में मुक्त व्यापार समझौते के खतरों पर आवाज उठी तो सरकार आरसीईपी से बाहर आई
शेषन द्वारा किए गए सुधारों का फायदा मुल्क के लोकतंत्र को अभी तक मिल रहा है
गुरुदास की कमी मजदूर वर्ग और लोकतांत्रिक आंदोलन को खलती होगी