कोविड-19 संक्रमण रोकने के लिए देश भर में लागू हुए लॉकडाउन के व्यापक असर से कोई अछूता नहीं है। इससे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को जो नुकसान हुआ, वो पहले कभी देखने को नहीं मिला। सभी फिल्मों की शूटिंग बीच में रुकी हुई है, स्टूडियो के दरवाजों पर ताले जड़े हुए हैं, पोस्ट-प्रोडक्शन के सभी ऑफिस बंद हैं और जिस तरह मुंबई में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखकर कहना मुश्किल है कि इंडस्ट्री में हालात सामान्य कब होंगे। सिनेमाघर बंद होने से ढेरों फिल्मों की रिलीज अटकी हुई है और ये संख्या हर सप्ताह बढ़ रही है। हालात सामान्य होने पर पहले रिलीज होने का मौका अटकी हुई फिल्मों को दिया जाए या नई फिल्मों को यह तय करना प्रोड्यूसरों और डिस्ट्रिब्यूटरों के लिए खासा मुश्किल भरा होने वाला है।
फिल्मकारों और सिनेमाघर-मालिकों में ठनी
कुछ फिल्मकारों ने सिनेमाघरों का मोह छोड़कर अपनी फिल्मों को सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज करना तय किया है। अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना की गुलाबो सिताबो अब 12 जून को प्राइम वीडियो पर आ रही है। पहले यह 17 अप्रैल को रिलीज होने वाली थी। वहीं, विद्या बालन की शकुंतला देवी 8 मई और अक्षय कुमार की लक्ष्मी बम 22 मई को सिनेमाघरों में आने वाली थीं, लेकिन अब ये दोनों ही फिल्में प्राइम वीडियो पर रिलीज होंगी। इनके अलावा अमिताभ बच्चन की झुंड, जान्ह्वी कपूर की गुंजन सक्सेना- द कारगिल गर्ल और किआरा आडवानी की इंदू की जवानी जैसी कुछ और फिल्में भी हैं, जिनके प्रोड्यूसर इन्हें सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
मल्टीप्लेक्स चेन आइनॉक्स ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि ओटीटी पर फिल्म रिलीज करने के फैसले ने फिल्मकारों और सिनेमाघर-मालिकों के व्यापारिक रिश्तों को नुकसान पहुंचाया है। आज के मुश्किल समय में जब हमें एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की जरूरत है, ऐसे में सिनेमाघरों के बजाय सीधे ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्में रिलीज कर फिल्मकार हमें जवाबी कार्रवाई के लिए मजबूर कर रहे हैं। वहीं, मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इस बात पर गहरी निराशा जताई है, कि प्रोड्यूसरों ने ऐसा फैसला लेते समय हमसे बात करने की जरूरत तक नहीं समझी।
बढ़ते नुकसान के बीच सरकार से राहत की उम्मीद
चूंकि हर फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज नहीं हो सकती, इसलिए अभी भी बहुत सी फिल्मों को सिनेमाघर खुलने का इंतजार है। वैसे भी दीवाली और नए साल के अलावा सबसे ज्यादा फिल्में अप्रैल, मई और जून में ही रिलीज होती हैं, क्योंकि इस दौरान स्कूल-कॉलेज की छुट्टियां हो जाती हैं, जिससे सिनेमाहॉल में आने वाले दर्शकों की संख्या बढ़ जाती है। पर, इस साल इस अवधि में सिनेमाघरों में कोई फिल्म रिलीज नहीं हो सकी, जिसका नुकसान प्रोड्यूसरों और डिस्ट्रिब्यूटरों से लेकर सिनेमाघर-मालिकों तक, सभी को उठाना पड़ा है। तभी तो पिछले ढाई महीने में फिल्म इंडस्ट्री को करीब 1,200 करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा हो चुका है और यह आंकड़ा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।
फिलहाल, कामकाज बंद होने के चलते इंडस्ट्री में बढ़ती बेरोजगारी का असर भी अब दिखाई देने लगा है। करोड़ों में कमाने वाले स्टार्स को छोड़ दें, तो इस बीच कैरेक्टर आर्टिस्ट से लेकर सिनेमेटोग्राफर, साउंड इंजीनियर, आर्ट डायरेक्टर और एडिटर जैसे तकनीशियनों तक, सभी की कमाई बंद है। उड़ान, टू स्टेट्स और काबिल जैसी फिल्मों के मशहूर अभिनेता रोनित रॉय ने कहा कि उन्हें जनवरी से कोई भुगतान नहीं मिला है और अब पैसे के लिए उन्हें अपना सामान तक बेचना पड़ रहा है।
इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए पिछले दिनों महाराष्ट्र के सांस्कृतिक विभाग के मुख्य सचिव डॉ. संजय मुखर्जी के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस की गई। इसमें इंडस्ट्री की ओर से फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्पलॉईज (एफडब्ल्यूआइसीई), प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और मराठी चित्रपट महामंडल के प्रतिनिधि शामिल हुए। कॉन्फ्रेंस में फिल्मों के पोस्ट-प्रोडक्शन संबंधी कामकाज को जल्द से जल्द शुरू करने पर जोर दिया गया और इंडस्ट्री के निचली श्रेणी के कर्मचारियों के लिए एक राहत पैकेज की मांग भी की गई। साथ ही प्रोड्यूसरों को कुछ विशेष रियायतें देने पर भी चर्चा हुई, जैसे राज्य सरकार के सारे परिसर शूटिंग के लिए निशुल्क मिलना, सिंगल विंडो परमिशन मिलना और लॉकडाउन के दौरान हुए घाटे के कारण फिल्म सिटी स्टूडियो में शूटिंग की जगह रियायती दामों पर मिलना वगैरह।
शूटिंग के दिशानिर्देशों पर आपत्ति
फिल्म इंडस्ट्री का कामकाज फिर से शुरू करने के लिए सरकार की ओर से दिशानिर्देश जारी कर दिए गए। हालांकि इनमें से कई दिशानिर्देश ऐसे हैं, जिनका पालन करना मुश्किल है। इन्हें बनाते समय इंडस्ट्री के कामकाज के व्यावहारिक पक्ष को नजरअंदाज कर दिया गया है। जैसे फिल्म के सेट पर 65 साल से ज्यादा उम्र का कोई व्यक्ति नहीं रहेगा, सेट पर मौजूद लोगों की कुल संख्या 50 से ज्यादा नहीं होगी, एक डॉक्टर शूटिंग के दौरान हर समय सेट पर रहेगा, हाथ मिलाने, गले लगाने और किसिंग सीन्स करने की मनाही होगी।
इंडियन फिल्म्स एेंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन (आइएफटीडीए) ने इस पर अपनी आपत्ति जताते हुए कहा है, कि इन दिशानिर्देशो का पालन करने का मतलब होगा, कि हम अमिताभ बच्चन जैसे स्टार को अपनी फिल्मों में कास्ट नहीं कर सकते, क्योंकि उनकी उम्र 65 साल से ज्यादा है। इसी तरह एक्शन सीन शूट करना तकनीकी रूप से मुश्किल होता है और 50 लोगों की टीम के साथ ऐसे सीन शूट नहीं हो सकते। आइएफटीडीए को सेट पर हर वक्त एक डॉक्टर रखने पर भी आपत्ति है। एसोसिएशन का कहना है, कि संबंधित मंत्रालय को पत्र लिखकर इन दिशानिर्देशों की समीक्षा की दोबारा मांग की जाएगी।
बदलेंगे तौर-तरीके
फिल्म क्रिटिक तरण आदर्श कहते हैं, ‘‘अब शूटिंग के वक्त प्रोड्यूसरों को यह तय करना होगा, कि स्क्रिप्ट में लिखे किन सीन्स को वरीयता दी जाए और किन्हें छोड़ दिया जाए। मसलन, कोई एक्शन सीन, जिसे शूट करने के लिए बहुत सारे लोगों की जरूरत पड़ती है और जिससे आकर्षित होकर दर्शक फिल्म का टिकट खरीदते हैं, हो सकता है ऐसे सीन हटाना पड़े, नतीजतन फिल्म की कमाई पर असर पड़ेगा।” तरण आगे कहते हैं, ‘‘फिल्मों की शूटिंग जल्द शुरू हो सकेगी या नहीं, यह इस बात पर भी निर्भर है, हमारे फिल्म स्टार्स महामारी के बीच शूटिंग करने को तैयार हैं या नहीं। अगर वे खतरा उठाने से बचेंगे, तो फिर इस बात का जवाब किसी के पास नहीं होगा, कि इंडस्ट्री का कामकाज कब शुरू होगा।”
ऑनलाइन फिल्म फेस्टिवल
इन मुश्किल हालात के बीच इंडस्ट्री के लिए एक अच्छी खबर भी है। आने वाले दिनों में एक ऑनलाइन फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत हुई है। विभिन्न देशों की सौ फिल्मों के साथ ‘वी आर वन: ए ग्लोबल फिल्म फेस्टिवल’ के रूप में एक ऑनलाइन फिल्म फेस्टिवल शुरू किया है। 29 मई को यू ट्यूब पर शुरू हुआ यह फिल्म फेस्टिवल 10 दिनों तक चला। इस अनोखी पहल में कान्स, बर्लिन, वेनिस और सन्डैंस जैसे दुनिया के सबसे बड़े फिल्म फेस्टिवल के साथ भारत का प्रतिष्ठित मामी फिल्म फेस्टिवल भी शामिल है। यह पहली बार है, जब दुनिया के सारे बड़े फिल्म फेस्टिवल एक साथ किसी मंच पर आए हैं। भारत की ओर से इस फेस्टिवल के लिए दो फिल्मों, प्रतीक वत्स की एब आले ऊ (हिंदी) और अरुण कार्तिक की नासिर (तमिल) का चुनाव किया गया था। साथ ही, इसमें भारत की ओर से दो शॉर्ट फिल्मों, विद्या बालन के प्रोडक्शन में बनी नटखट और मशहूर कास्टिंग डायरेक्टर अतुल मोंगिया के डायरेक्शन में बनी अवेक भी शामिल थीं।
इस महामारी की मार पड़नी कब बंद होगी, ये कहना मुश्किल है। लेकिन उम्मीद पर ही दुनिया कायम है। भारतीय सिनेमा उद्योग में भी जल्द ही काम शुरू होगा और एक बार फिर इससे जुड़े लोगों की जिंदगी सामान्य रूप से पटरी पर लौटेगी।
(लेखक फिल्म और टीवी धारावाहिकों के स्क्रिप्ट राइटर हैं)