तीसरे चरण में उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर 23 अप्रैल को मतदान होना है। तापमान बढ़ने के साथ ही इन क्षेत्रों में भी चुनावी सरगर्मी चरम पर पहुंच रही है। प्रदेश में तीसरा चरण ‘स्टार वार’ का गवाह बनने जा रहा है। समाजवादी पार्टी के गढ़ मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव, रामपुर में फिल्म अभिनेत्री जयप्रदा और सपा के दिग्गज नेता आजम खान, केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, पीलीभीत से वरुण गांधी समेत कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। तीसरे चरण में बरेली, बदायूं, संभल, मुरादाबाद, फिरोजाबाद, एटा, पीलीभीत और आंवला में भी चुनाव होंगे। राजनीतिक दल रैलियों और रोड शो के माध्यम से मतदाताओं को लुभाने का भरसक प्रयास कर रहे हैं। कहीं, सरकार बनने के बाद वादे पूरे करने की बातें की जा रही हैं, तो कहीं किए गए कामों की गिनती कराई जा रही है। विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन कहते हैं कि तीसरे चरण की सभी सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशी पूरी दमदारी से लड़ रहे हैं और हम सभी सीटों पर जीत दर्ज करेंगे। भाजपा सांप्रदायिक एजेंडे पर चुनाव लड़ रही है, जिसे हम सामाजिक न्याय के माध्यम से परास्त करेंगे। उधर, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य राजीव शुक्ला का कहना है कि यूपी में हम लोकसभा चुनाव में अभूतपूर्व सफलता हासिल करने जा रहे हैं। पार्टी की ओर से प्रचार प्रसार तक में कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है। हालांकि हमारा लक्ष्य 2022 है।
अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले सपा के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान इस बार सपा-बसपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी के रूप में रामपुर से ताल ठोंक रहे हैं। उनके सामने भाजपा से उनकी चिर प्रतिद्वंद्वी जयप्रदा मैदान में हैं। 2004 में आजम ही रामपुर में नवाब खानदान का वर्चस्व तोड़ने के लिए बालीवुड अदाकारा जया प्रदा को लेकर आए थे। बाद में संबंध ऐसे खराब हुए कि अब दोनों आमने-सामने हैं और विक्टिम कार्ड खेल रहे हैं। आजम खान योगी सरकार पर आरोप लगा रहे हैं तो आजम के आरोपों से आहत यहां से दो बार सांसद रहीं जयप्रदा के आंसू मंच पर ही सामने आ रहे हैं। हालांकि कांग्रेस ने इस सीट से परंपरागत दावेदार बेगम नूरबानो के बजाय संजय कपूर को मैदान में उतारा है, जिससे आजम को थोड़ी राहत मिली है। आधी मुस्लिम आबादी वाले रामपुर में भाजपा पिछली बार महज 23 हजार वोट से जीत पाई थी। भाजपा के रामपुर लोकसभा प्रभारी डॉ. चंद्रमोहन कहते हैं कि हाल ही में आजम खान की टिप्पणी से लोग आहत हैं और इसका असर चुनाव में दिखेगा।
सपा के गढ़ मैनपुरी सीट से इस बार भी गठबंधन प्रत्याशी के रूप में मुलायम सिंह यादव मैदान में हैं। यहां भाजपा ने प्रेम सिंह शाक्य को टिकट दिया है। प्रेम सिंह उपचुनाव में तेज प्रताप यादव के खिलाफ मैदान में थे और तीन लाख से अधिक वोट हासिल करने के बाद भी हार गए थे। करीब 35 फीसदी यादव मतदाताओं वाली इस सीट पर शाक्य सहित अति पिछड़ी जाति के मतदाताओं की भी अच्छी तादाद है। इसी दम पर भाजपा मुलायम को टक्कर देने की उम्मीद पाले है, लेकिन मतदाताओं के मुलायम पर नरम रहने के आसार हैं।
फिरोजाबाद लोकसभा सीट से सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव गठबंधन के उम्मीदवार हैं। इस बार उनके संसद तक पहुंचने के रास्ते में उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव ही रोड़ा बन गए हैं। पिछली बार अक्षय ने एसपी सिंह बघेल को एक लाख वोटों से हराया था। उनकी जगह चंद्रसेन जादौन को उम्मीदवार बनाया गया है। मुलायम परिवार की अधिकतर रिश्तेदारियां इसी क्षेत्र में हैं। ऐसे में यादवों की रहनुमाई कौन करेगा और परिवार किसके साथ है, इसका भी परीक्षण इसी चुनाव में होगा। चूड़ी बाजार के रामसजीवन यादव ने बताया कि गठबंधन प्रत्याशी मजबूत स्थिति में है।
बदायूं लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने सपा की बेचैनी को बढ़ा दिया है। सपा की परंपरागत सीट पर कभी मुलायम सिंह यादव के सिपहसालार रहे सलीम शेरवानी इस बार कांग्रेस के टिकट से ताल ठोक रहे हैं। धर्मेंद यादव ने पिछले चुनाव में भाजपा के वागीश पाठक को यहां डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। भाजपा ने इस बार कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस उम्मीदवार से सपा को खतरा इसलिए है कि सलीम शेरवानी यहां सपा के टिकट से ही चार बार सांसद रह चुके हैं। इस सीट पर 15 फीसदी से अधिक मतदाता हैं। ऐसे में अगर उन्होंने मुस्लिम वोटरों के साथ सपा के परंपरागत वोटरों में बंटवारा किया तो गैर यादव पिछड़ों और सवर्ण वोटों की लामबंदी से भाजपा के समीकरण दुरुस्त हो सकते हैं और धर्मेंद्र की राह कठिन हो सकती है। स्थानीय निवासी छबीले चौहान बताते हैं कि यहां त्रिकोणीय मुकाबला है।
पीलीभीत में जातीय समीकरण से परे गांधी परिवार का सिक्का चलता है। 1996 से 2014 के बीच 2009 को छोड़कर मेनका सांसद रही हैं। 2009 में वह आंवला से लड़ी थीं और पीलीभीत से उनके बेटे वरुण गांधी जीते थे। इस बार वरुण पीलीभीत लौट आए हैं। यहां कुर्मी, लोध, दलित और मुस्लिम वोटरों की भी अच्छी संख्या है। सपा ने हेमराज वर्मा को प्रत्याशी बनाया है तो कांग्रेस ने सीट अपना दल को दी है। पिछली बार मेनका को 51 फीसदी वोट मिले थे। पुराना गंज निवासी रतनदीप सिंह बताते हैं कि मेनका गांधी ने यहां काफी काम किया है।
आंवला में मेनका गांधी से 2009 में मामूली अंतर से हारने वाले धर्मेंद्र कश्यप ने पाला बदल भाजपा में आने के बाद 2014 में यह सीट सवा लाख वोटों से जीती थी। सपा के सर्वराज सिंह दो लाख 71 हजार वोटों के साथ दूसरे नंबर पर थे। जबकि बसपा को एक लाख 90 हजार वोट मिले थे। इस बार धर्मेंद्र कश्यप के मुकाबले सपा-बसपा गठबंधन से बिजनौर की रुचिवीरा हैं। वहीं, कांग्रेस ने यहां से तीन बार सांसद रहे सर्वराज सिंह को उतार लड़ाई त्रिकोणीय बना दी है। दिलचस्प है कि इस सीट से ठाकुर नौ बार सांसद रहे हैं और चार बार दूसरे नंबर पर रहे हैं। इस बार लड़ाई में जाति वोटरों के साथ दूसरों में सेंधमारी फ्लोटिंग वोट अहम भूमिका निभाएंगे।