कभी-कभार
कम बैक मानना चाहें, तो मानें। परजानिया में राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने के बाद भी सारिका ने ज्यादा उठा-पटक नहीं की। कमल हासन से अलग होने के बाद कहीं गुम-सी इस अभिनेत्री को परदे पर देखना हमेशा ही सुकून देता है। गीत गाता चल के बाद दूसरी बार वे राजश्री की फिल्म ऊंचाई में दिखाई देंगी। इससे क्या फर्क पड़ता है कि उन्हें परदे पर आए, चार दशक हो गए हैं। बिल्लौरी आंखों की चमक तो आज भी वैसी ही बरकरार है।
संग-साथ
एजिंग ग्रेसफुली। धर्मेंद्र और हेमा मालिनी के जोड़े के लिए यही कहा जा सकता है। आज भी दोनों प्रशंसकों का दिल जीतने में कामयाब है। हाल ही में जब हेमा मालिनी का जन्मदिन आया, तो धरम पाजी अपनी ड्रीम गर्ल को विश करने जाना नहीं भूले। रेखा, जितेन्द्र जैसे तमाम लोगों के बीच भी हेमा का ग्लैमर और धर्मेंद्र का साथ ही सबसे ज्यादा खबरों में चर्चा का विषय रहा।
हमशक्ल
फिल्म उद्योग से बाहर का कोई व्यक्ति यदि किसी सितारे किसी तरह दिखता हो, तो सितारे गर्व करते हैं। लेकिन घर में ही यदि ऐसा होने लगे, तो उलझन बढ़ जाती है। आलिया के कनफ्यूजन में पहले ही कियारा आडवाणी अपना नाम बदल चुकी हैं। अब कुछ लोगों का कहना है कि रकुल प्रीत सिंह बहुत कुछ उनकी जैसी दिखाई देती हैं। नाम तक तो ठीक था, अब शकल कैसे बदलेंगे।
मुझे पहचानो
एक फैशन शो में हर निगाह उन पर थमी हुई थी। हालांकि यह अलग बात है कि सुनहरे परदे पर अभी तक उनकी आमद नहीं हुई है और उन्होंने ऐसा कुछ कमाल परदे पर नहीं दिखा दिया, जिससे कुछ धारणा बने। फिर भी बाबिल के लिए यह खुशी की बात होगी कि इरफान खान के बेटे के तौर पर नहीं, उन्हें अपने दम पर काम मिल रहा है। पापा होते, तो यह कहते, पापा होते तो वह कहते जैसी बातें उनके मन में भी चलती हैं, लेकिन अभी बस काम करना है।
बेजा गुस्सा
वैसे तो चप्पल पहनने के लिए होती है, लेकिन कभी गुस्सा आ जाए, तो कुछ लोग धमकाने के लिए इसे दिखाने भी लगते हैं जैसे, पवन कल्याण। गुस्से का क्या है, किसी भी बात पर आ सकता है। कल्याण अगर केवल अभिनेता होते तो फिर भी काबू में रहते लेकिन अब वे नेता भी हो गए हैं, सो उन्हें लगता है जनता की मजबूरी है कि उन्हें वोट दे।