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20 मार्च 2023 · MAR 20 , 2023

आवरण कथा/मेडिकल घोटाला: बड़े मकड़जाल का छोटा हिस्सा

विदेश से पढ़कर आए डॉक्टरों को बिना अनिवार्य एफएमजीई टेस्ट पास किए ही राज्य मेडिकल काउंसिलों से प्रैक्टिस करने का रजिस्ट्रेशन मिला, सीबीआइ की एफआइआर में बिहार में ऐसे सबसे ज्यादा 19 नाम
डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन में कई पेच

एमबीबीएस की डिग्री विदेश से लेकर आए 73 डॉक्टर देश में अनिवार्य टेस्ट पास किए बिना ही विभिन्न राज्यों के मेडिकल काउंसिल के सर्टिफिकेट के आधार पर विभिन्न अस्पतालों या निजी क्लीनिक में प्रैक्टिस कर रहे हैं। ऐसा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) के हालिया एफआइआर में आरोप है। उनमें बिहार के ही 19 डॉक्टर हैं। आश्चर्य है कि ये सभी अनिवार्य स्क्रीनिंग परीक्षा में तो फेल हो गए, मगर बिहार मेडिकल काउंसिल समेत विभिन्न राज्यों की काउंसिल से रजिस्ट्रेशन पाने में कामयाब हो गए। जानकारी के मुताबिक, पूरे देश में अनिवार्य स्क्रीनिंग परीक्षा में फेल हुए 73 डॉक्टरों के खिलाफ सीबीआइ ने 21 दिसंबर 2022 को एफआइआर दर्ज की है जिनमें सबसे अधिक 19 मामले बिहार के हैं (एफआइआर की प्रति आउटलुक के पास उपलब्ध है)। नाम न छापने की शर्त पर जांच से जुड़े एक सीबीआइ अधिकारी ने आश्चर्य के साथ बताया कि बिहार की मेडिकल काउंसिल ने नियम के विरुद्व दूसरे राज्यों में भी फेल हुए छात्रों को यहां प्रैक्टिस की अनुमति दे दी है।

वर्तमान मानदंडों के अनुसार किसी विदेशी मेडिकल स्नातक (एफएमजी) को भारत में प्रैक्टिस करने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) अथवा राज्यों की चिकित्सा परिषदों के साथ स्थायी पंजीकरण प्राप्त करना जरूरी होता है। इसके लिए नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (एनबीई) द्वारा आयोजित एफएमजीई स्क्रीनिंग टेस्ट को पास करना अनिवार्य है।

बीते दिसंबर में नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन द्वारा सीधे भेजे गए एक पत्र के आधार पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने 14 राज्यों की मेडिकल काउंसिल और 73 एफएमजी के खिलाफ एफआइआर दर्ज की। इस सिलसिले में सीबीआइ ने विभिन्न जगहों पर छापे मारे और शुरुआती जांच के आधार पर ऐसे तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जिनके ऊपर मेडिकल काउंसिलों से साठगांठ करके फर्जी पंजीकरण करवाने के आरोप हैं। सूत्रों की मानें तो सीबीआइ ने छापे के अलावा कुछ डॉक्टरों को भी उठाया है जिनके नाम एफआइआर में मौजूद हैं।

बिहार मेडिकल काउंसिलः सीबीआइ के लपेटे में आ सकते हैं कई अफसर

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इस संबंध में लोक जनशक्ति पार्टी  के मुख्य प्रवक्ता राजेश कुमार भट्ट कहते हैं कि दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों का यहां पंजीकरण होना बताता है कि बिहार में किस कदर भ्रष्टाचार व्याप्त है। उन्होंने बिहार मेडिकल काउंसिल के सदस्यों और अधिकारियों की बर्खास्तगी की मांग की है। वे कहते हैं कि यहां व्यापक रूप से पिछले रिकार्ड की भी जांच होनी चाहिए। सीबीआइ ने बिहार मेडिकल काउंसिल पर भी प्राथमिकी दर्ज की है, लेकिन  एफआइआर में दर्ज 14 राज्यों की मेडिकल काउंसिल से किसी व्यक्ति का नाम नहीं है। इस जांच टीम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इसमें कई बड़ी मछलियां शामिल हैं। खुद को पाक-साफ बताते हुए डॉक्टरों ने राजनीतिक हस्तियों तक अपनी साख बना ली है। जांच एजेंसी खुद हैरान है कि ये डॉक्टर विदेशों में पढ़कर आए हैं तो यहां एमसीआइ की परीक्षा में फेल कैसे हो गए। सवाल है कि क्या उनकी पढ़ाई में कोई खोट है या फिर यहां परीक्षा का तरीका ही कुछ कठिन है? और फिर उन्हें पंजीकरण हासिल कैसे हो गया? मामला सिर्फ एकाध नहीं, बल्कि 14 राज्यों का है। राज्य ही नहीं, यह मामला केंद्रीय प्राधिकरण से भी जुड़ा है।

सूत्रों के मुताबिक, सीबीआइ को एफएमजीई परीक्षा के फर्जी प्रमाणपत्र सहित कई दस्तावेज बरामद हुए हैं। उन दस्तावेजों को खंगाला जा रहा है। रूस, यूक्रेन, चीन, फिलीपींस, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों के मेडिकल स्नातकों को एफएमजीई पास करने के बाद ही भारत में प्रैक्टिस की अनुमति दी जाती है। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्टेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड के एमबीबीएस स्नातकों को परीक्षा देने की आवश्यकता नहीं होती। हाल के दौर में रूस-यूक्रेन युद्व के मद्देनजर बिहार के छात्रों का रुख नेपाल हो गया है। नेपाल में कई मेडिकल कॅालेज खुल गए हैं जिनमें कथित तौर पर पूंजी निवेश अपने देश के नव-धनाढ्यों का भी है।

सूत्रों के मुताबिक सीबीआइ ने बिहार मेडिकल काउंसिल के खिलाफ कथित रूप से भ्रष्टाचार, आपराधिक षड्यंत्र और धोखाधड़ी के मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली है। इस संबंध में पटना के राजेन्द्र नगर स्थित स्टेट मेडिकल काउंसिल के पदाधिकारी कुछ भी बोलने से इनकार कर रहे हैं। हालांकि अधिकारियों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज नहीं है पर कई राडार पर हैं। जानकारी के अनुसार, मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के नाम पर बिहार में करोड़ों की ठगी का भी शक है। सीबीआइ 2022 में हुई ठगी की पड़ताल करने की प्रक्रिया में जुट गई है। देशव्यापी छापेमारी को लेकर नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन ने एफएमजीई की प्रस्तावित 2022-23 परीक्षा के बारे में अपनी वेबसाइट पर अलर्ट जारी किया है और छात्रों को आगाह किया है कि वे किसी प्रकार के झांसे में न आएं।

सीबीआइ के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि एक बड़ा सिंडिकेट समूचे देश में सक्रिय है, जिसमें कई अधिकारी सहित डॉक्टर भी शामिल हैं। एजेंसी साक्ष्यों को खंगाल रही है। यही सिंडिकेट छात्रों से भारी रकम वसूल कर विदेशों तक उन्हें भेजता है और ग्रेजुएट मेडिकल एग्जामिनेशन में फेल होने वालों को भी पंजीकरण मुहैया करा देता है। यही नहीं, अस्पतालों में नौकरी तक की व्यवस्था भी करा देता है।

बिहार में इस मामले में पटना, दरभंगा, भागलपुर, चंपारण, हाजीपुर, बेगुसराय, नालंदा वैशाली तथा मुंगेर में छापे डाले गए। पटना स्थित मेडिकल काउंसिल कार्यालय और इसमें कार्यरत कुछ कर्मियों के यहां भी रेड हुई। मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डॉक्टर सहजानंद कहते हैं कि इस तरह का कोई भी मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है। वे कहते हैं कि सीबीआइ की जांच की रिपोर्ट तक प्रतीक्षा करनी चाहिए, जबकि सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ की यूनिट अभी भी पटना में इसी जांच के लिए कैंप कर रही है।

इस संवाददाता से सीबीआइ के अधिकारियों ने आशंका व्यक्त की कि राज्य में अनिवार्य स्क्रीनिंग टेस्ट पास न कर पाने लेकिन रजिस्ट्रेशन पा जाने वाले डॉक्टरों की संख्या अधिक हो सकती है। जांच जारी है और उसके लपेटे में कई अधिकारियों की कलई खुल सकती है। अधिकारियों ने यह भी संकेत दिया कि यह छोटा मामला है, अभी इसकी परतें और खुल सकती हैं। जांच हो तो शायद इस सिलसिले की कड़ी काफी लंबी दिखेगी। एफआइआर में जो 73 मामले दर्ज हैं, उनकी अवधि 2011 तक जाती है यानी करीब 15 साल के दौरान विदेश से पढ़े मेडिकल स्नातक इस लपेटे में हैं।

इस छापेमारी के बाद डॅाक्टरों के बीच हड़कंप तो जरूर मच गया है। देखना यह है कि सिर्फ डॉक्टरों पर ही गाज गिरती है या उन स्रोतों का भी खुलासा हो पाता है जो इस पूरे घपले के केंद्र में हो सकते हैं। वजह यह है कि जांच जैसे बढ़ रही है, दायरा बड़ा होता दिख रहा है। 

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