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पंजाब: अराजक मोड़ पर सूबा

ऐतिहासिक जीत के साल भर में आप सरकार के इकबाल पर कई सवाल उठे, अमृतपाल की सियासी जुंबिश भी अचानक नहीं, एक साल में ही कई बवाल
अमृतपाल सिंह

“आज के माहौल में सिर्फ चेहरे-मोहरे और किरदार बदले हुए हैं पर आहट उसी’80 की है। इसमें खालिस्तानी जरनैल सिंह भिंडरांवाले की परछाई नजर आती है। छह महीने पहले दुबई से आए एक शख्स ने भिंडरांवाले की तर्ज पर सरकार और पुलिस से भिड़ने के लिए एकेएफ (आनंदपुर खालसा फोर्स) जैसी ब्रिगेड भी खड़ी कर ली। छह महीने पहले जब अमृतपाल ने पंजाब में अपने मिशन की शुरुआत की थी, तो उस समय क्या इंटेलिजेंस ने रिपोर्ट नहीं दी? रिपोर्ट दी तो कार्रवाई क्यों नहीं की गई? इसे आगे कैसे बढ़ने दिया गया?”

आतंकवाद के चरम वाले दौर में पंजाब के पुलिस प्रमुख रहे रिटायर आइपीएस जूलियो फ्रांसिस रिबेरो के ये सवाल बहुत कुछ कह जाते हैं। और कई सवालों के जवाब भी मांगते हैं, जो न सिर्फ 16 मार्च को साल भर पूरा करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) की भगवंत मान सरकार के सामने मुंह बाए खड़े हैं, बल्कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार से भी शिद्दत से मुकाबिल हैं। 23 फरवरी को अमृतसर के अजनाला थाने पर अमृतपाल सिंह के गुट के कुछ अलग इरादे देख उस पर कार्रवाई करने में 20 दिन क्यों लग गए? मुख्यमंत्री भगवंत मान और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बैठक के बाद अभियान शुरू हो पाया। और फिर कैसे अमृतपाल तमाम दबिश के बावजूद फरार है? जबकि गंभीर शक जताया जा रहा है कि पुलिस सूत्रों से ही उसके अलग-अलग जगहों, अलग-अलग गाड़ियों और वेशभूषा में भागने के गजब-गजब वीडियो वायरल हो रहे हैं। एक मौके पर पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी का ऐलान भी कर दिया पर कुछ ही घंटे बाद बताया कि वह चकमा देकर भाग गया है। यही नहीं, कार्रवाई हुई तो पंजाब ही नहीं, कनाडा, इंग्लैंड, अमेरिका जैसे देशों में खालिस्तानियों के प्रदर्शन होने लगे। लंदन में इंडियन हाउस के सामने उग्र प्रदर्शन से केंद्र सरकार के कान खड़े हुए और उसे बस यही सूझा कि दिल्ली में ब्रिटिश दूतावास के सामने से बैरिकेड हटा लिया जाए। उधर, पंजाब में उसके कथित संगी-साथियों की गिरफ्तारी का सिलसिला जारी है। जाहिर है, मामले में कई सियासी पेचोखम हैं।

पंजाब पुलिस के आइजी (मुख्यालय) सुखचैन सिंह गिल ने आउटलुक को बताया, “पुलिस को चकमा देकर फरार हुए अमृतपाल सिंह ने जालंधर के नंगल अंबिया गांव के गुरुद्वारे में छिपकर भेस बदला और फिर भागने के लिए उसने चार-पांच वाहन बदले, जिनमें हरियाणा नंबर की मर्सिडीज कार से लेकर मारुति ब्रिजा और दो से तीन मोटरसाइकिल भी हैं। जींस, लाल पगड़ी और काली ऐनक पहने मोटरसाइकिल की पिछली सीट पर सवार होने की तस्वीर भी जारी की गई है। अमृतपाल और उसके साथियों पर अपहरण के मामले में पहली एफआइआर 16 फरवरी को दर्ज हुई थी। 19 मार्च तक रासुका के तहत दर्ज एफआइआर मिलाकर कुल छह एफआइआर हैं। पुख्ता जानकारी मिली है कि आइएसआइ की मदद से उसके संगठन को विदेशों से फंडिंग हो रही थी।”

अब खबरें हैं कि वह हरियाणा, उत्तराखंड, यहां तक कि नेपाल की ओर बढ़ रहा है। उसके नेपाल जाने के सुराग मिल रहे हैं। कई संदेह फौरन उभर सकते हैं कि राज्य और केंद्र की इतनी भारी निगहबानी के बावजूद वह कैसे ओझल है। हालात ऐसे हुए हैं कि तीन दिन तक इंटरनेट ठप करना पड़ा। कई इलाकों में धारा 144 लगानी पड़ी। इस बीच मुख्यमंत्री मान ने कहा, “देश के खिलाफ पंजाब में पनपने वाली ताकतों को नहीं बख्शेंगे। किसी भी सूरत में किसी को भी पंजाब की अमन-शांति खराब नहीं करने दी जाएगी और ऐसा करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” तमाम कवायद पर पंजाब पुलिस के एक पूर्व डीजीपी ने कहा, “तस्वीरें सार्वजनिक कर पुलिस ही जता रही है कि जहां सरकारी इंटेलिजेंस एजेंसियां कारगर नहीं हो सकीं और जिसे हजारों पुलिसवालों का घेरा काबू में नहीं कर सका, उसका सुराग शायद कोई आम आदमी ही दे।”

सवाल यह भी है कि छह महीने पहले तक दुबई में ट्रक ड्राइवरी करने वाले अमृतपाल सिंह ने इतनी जल्दी कैसे इतना बड़ा नेटवर्क बना लिया, ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का मुखिया बना और भिंडरांवाले की वेशभूषा में युवकों के एक अच्छे-खासे तबके की भावनाओं को छूने लगा। दरअसल ‘वारिस पंजाब दे’ की स्थापना किसान आंदोलन के दौरान 26 जनवरी 2021 को दिल्ली के लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराने की घटना से सुर्खियों में आए, पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 में की थी। संगठन का मकसद युवाओं को सिख पंथ के रास्ते पर लाना और पंजाब को जगाना बताया जाता है। 15 फरवरी 2022 को एक सड़क दुर्घटना में सिद्धू की मौत के बाद सिंतबर 2022 में भिंडरांवाले के गांव रोडे (मोगा) में अमृतपाल ‘वारिस पंजाब दे’ का मुखिया बना और अपना हुलिया हू-ब-हू भिंडरांवाले जैसा कर लिया। समर्थक उसे ‘जरनैल साब’ या ‘भाई साब’ कहने लगे।

मतलब यह है कि यह कोई अचानक या इकलौती घटना नहीं है। पंजाब में लंबे समय या कहिए आजादी के बाद से ही संघवाद को परिभाषित करने और उसमें अपनी पहचान की तलाश की छटपटाहट देखने को मिलती है। इसके अक्स मास्टर तारा सिंह से लेकर केंद्र-राज्य संबंधों को लेकर आनंदपुर साहिब प्रस्ताव, भिंडरांवाले के दौर से लेकर हाल के मोदी सरकार के (अब रद्द) तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चले तकरीबन साल भर के किसान आंदोलन में दिख सकते हैं। केंद्र को झुकाने में पंजाब के किसानों के संकल्प और हौसले की बड़ी भूमिका थी। कोई चाहे तो इसके अक्स पिछले साल विधानसभा चुनाव में अरसे से कायम कांग्रेस और अकाली दल जैसी रिवायती पार्टियों के बदले आप को बड़े फासले से सत्ता सौंपने के जनादेश में भी देख सकता है। लेकिन शायद लोगों को यह एहसास भी जल्दी हो गया कि आप सरकार में वह नहीं जिसकी उन्हें तलाश है, तभी कुछेक महीने बाद ही संगरूर की संसदीय सीट के उपचुनाव में पुराने खालिस्तान समर्थक सिमरनजीत सिंह मान ने आप के उम्मीदवार को भारी अंतर से हरा दिया। यानी पंजाब में एक तरह की बेचैनी बनी हुई है।

आज भी पिछले कई महीनों से 50 से अधिक इलाकों में चरमपंथियों, किसानों और कर्मचारियों के धरने-प्रदर्शन जारी हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड के मुख्य आरोपी जगतार हवारा समेत कई संगीन अपराधियों की ‘बंदी सिखों’ के नाम पर जेलों से रिहाई की मांग को लेकर कौमी इंसाफ मोर्चे के चरमपंथी तीन महीने से चंडीगढ़ की सीमा पर डटे हैं। मोर्चे में शामिल लोगों ने 9 फरवरी को चंडीगढ़ पुलिस से खूनी भिड़ंत में 40 से अधिक पुलिसवालों को घायल कर दिया था।

इधर, अमृतपाल पर 18 मार्च को 10 हजार से अधिक पंजाब पुलिस के जवानों और केंद्र के सीआरपीएफ, सीआइएसएफ समेत कई अर्धसैनिक बलों की 35 टीमों की जालंधर के मेहतपुर इलाके में दबिश से पहले तक अजनाला कांड में अमृतपाल और उसके समर्थकों पर कोई एफआइआर तक दर्ज नहीं की गई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद ही मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब पुलिस को केंद्रीय पुलिस बलों के साथ मिलकर अमृतपाल को काबू करने को हरी झंडी दी पर बेकाबू अमृतपाल हजारों के पुलिस बल के कई घेरों को भेदकर फरार हो गया। यहां तक कि उसके ड्राइवर और अंगरक्षक को भी पुलिस ने धर दबोचा पर असल निशाने से चूक गए। सवाल उठ रहे हैं कि माहौल अधिक खराब न हो इसलिए गिरफ्तारी और फरारी के बीच सरकार अभी रहस्य का परदा डाले रखना चाहती है? मसले पर पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट ने भी पंजाब सरकार को फटकार लगाई, “सरकार की इंटेलिजेंस एजेंसियां फेल रही हैं। 80,000 पुलिसबल वाली राज्य सरकार अभी तक अमृतपाल को गिरफ्तार क्यों नहीं कर सकी।”   

तलाश जारीः अमृतपाल सिंह को खोजने के लिए पंजाब सरकार का चेकिंग अभियान जारी

तलाश जारीः अमृतपाल सिंह को खोजने के लिए पंजाब सरकार का चेकिंग अभियान जारी

पंजाब के ताजा हालात पर गरमाई सियासत में मिशन 2024 के मद्देनजर मान सरकार के पहले साल में कई बवाल पर सवाल उठाते हुए विपक्ष के नेता, कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने आउटलुक से कहा, “कानून-व्यवस्था को लेकर दिन प्रतिदिन पंजाब के हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं। अमृतपाल जैसे चरमपंथी को सिर उठाने की खुली छूट दी गई। उस पर कार्रवाई में सरकार ने एक महीना लगा दिया। यह भी गजब है कि 18 मार्च की शाम तक अमृतपाल की गिरफ्तारी का दावा शाम ढलने के साथ ढल गया और तीन दिन बाद पुलिस ने उसे भगोड़ा करार दिया। मुख्यमंत्री मान को बताना होगा कि कार्रवाई की एक महीने की तैयारी के बाद भी अमृतपाल हाथ नहीं लगा, आखिर किसने मान सरकार के हाथ बांध रखे हैं?”

अमृतपाल पर दबिश के दौरान गिरफ्तार किए गए 154 लोगों में से कुछ के पास हथियार भी मिले हैं। गिरफ्तार कई लोगों को बेकसूर बताते हुए बचाव में शिरोमणि अकाली दल उतरा है। उसने इनके मामलों की पैरवी के लिए कई वकील तैनात किए हैं। पार्टी अध्यक्ष सुखबीर बादल ने कहा, “एक साल में ही साफ हो गया है कि मान सरकार पंजाब में अमन शांति बनाए रखने में असफल साबित हुई है।”

दरअसल 16 मार्च को एक साल पूरा करने वाली भगवंत मान सरकार पहले ही साल में कई सारी चुनौतियों से घिरी रही है। रिवायती सियासी पार्टियों के बदलाव की बयार में 2022 के विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित बहुमत से पहली बार पंजाब में सत्तासीन आम आदमी पार्टी की भगवंत सरकार पहले ही साल में कानून-व्यवस्था से लेकर सौहार्द कायम रखने जैसे कई मोर्चों पर कारगार साबित नहीं हो पाई। अपराधियों और गैंगस्टरों पर काबू पाने में भी उसका तंत्र नाकाम रहा है। बठिंडा जेल में बंद खतरनाक गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने एक टीवी चैनल को लाइव इंटरव्यू देकर तहलका मचा दिया। पहली बार 14 मार्च को उसका इंटरव्यू आया तो पंजाब पुलिस ने कहा कि उसे किसी पेशी के सिलसिले में जयपुर ले जाया गया था यह तब का मामला है। लेकिन 16 मार्च को फिर इंटरव्यू की दूसरी किस्त लाइव हुई तो पुलिस के हाथ के तोते उड़ गए।

साल भर में ही आप सरकार तमाम मोर्चों पर घिरती नजर जा रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा पूछते हैं, “जब दिल्ली में बैठे आका रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाएंगे तो ‘डमी सीएम’ पंजाब के हालात कैसे काबू में कर पाएंगे?” लेकिन असली सियासी खेल शायद मिशन 2024 का है, यानी सभी अगले साल लोकसभा चुनावों के लिए जोड़-तोड़ में अपने मोहरे और गोटियों की तलाश में जुटे हैं।

छह महीने में ऐसे बना पंजाब का वारिस

पंजाब दे वारिस

अमृतसर के जल्लूपुर खेड़ा गांव का रहने वाला 30 वर्षीय अमृतपाल पॉलीटेक्निक की पढ़ाई अधूरी छोड़कर 2012 में पिता तरसेम सिंह के साथ दुबई में ट्रक ड्राइवरी करने चला गया। किसान आंदोलन के दौरान 26 जनवरी 2021 को दिल्ली के लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने की घटना से सुर्खियों में आए पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 में ‘वारिस पंजाब दे’ की स्थापना की थी। 15 फरवरी 2022 को एक सड़क दुर्घटना में सिद्धू की मौत के बाद सितंबर 2022 से इसकी कमान अमृतपाल ने संभाल ली और तब से वह लगातार सुर्खियों में है।

इससे पहले दुबई में रहते हुए अमृतपाल दीप सिद्धू के ही 2021 में बनाए सोशल मीडिया एप ‘क्लब हाउस’ में आंदोलन को लेकर होने वाली चर्चाओं में श्रोता के तौर पर भाग लेता था। यह क्लब 26 जनवरी 2021 को दिल्ली के लाल किले पर झंडा फहराने के आरोपी सिद्धू की गिरफ्तारी तक जारी रहा। इस एप से जुड़े कुछ एनआरआइ ने अमृतपाल को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। अमृतपाल ने सिख युवाओं को पगड़ी और केश कायम रखने को प्रेरित करने के लिए ‘अमृत प्रचार’ अभियान छेड़ा। अभियान के पहले कार्यक्रम की शुरुआत राजस्थान के श्रीगंगानगर से होते हुए पंजाब के कई शहरों और गांवों से बढ़ते हुए हरियाणा तक भी पहुंची।

सिख धर्म से विमुख हुए जिन लोगों ने ईसाई या अन्य धर्म अपना लिया था या जिन्होंने केश, दाढ़ी-मूंछ कटा लिए थे, उनकी ‘घर वापसी’ के लिए अमृतपाल ने पूरे इलाके में खालसा वाहिर यात्राएं शुरू कीं। यात्राओं में जुटती हजारों की भीड़ पर राज्य की इंटेलिजेंस और सुरक्षा एजेंसियों की नजर नहीं पड़ी। अमृतपाल के समर्थकों का कारवां बढ़ता गया जो 23 फरवरी को अजनाला में पुलिस पर ही विस्फोटक साबित हुआ। पंजाब में थाना कब्जाने जैसी घटना चरम आतंक के 13 साल में भी कहीं नहीं हुई थी।

सुखचैन सिंह गिल, आइजी, पंजाब

हमें पुख्ता जानकारी मिली है कि आइएसआइ की मदद से अमृतपाल के संगठन को विदेशों से फंडिंग भी हो रही थी। उस पर कुल छह एफआइआर दर्ज हैं

सुखचैन सिंह गिल, आइजी, पंजाब 

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