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27 नवंबर 2023 · NOV 27 , 2023

आवरण कथा/मिजोरम: जातीय अस्मिता पर जोर

एमएनएफ के लिए ग्रेटर मिजो सरकार के मुद्दे, जेडपीएम सुशासन तो कांग्रेस गारंटियों के आसरे
पहचान की राजनीतिः एमएनएफ की एक रैली

यह पूर्वोत्तर का इकलौता राज्य है, जहां भारतीय जनता पार्टी की पैठ हाशिए पर है। पड़ोसी राज्य मणिपुर में जारी कुकी-मैतेई टकराव के घटनाक्रम से उसकी पकड़ और ढीली पड़ गई है। यह राज्य में सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के नेता तथा मुख्यमंत्री जोरमथंगा के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के  साथ मंच साझा करने से इनकार से भी समझा जा सकता है। उसके बाद मोदी की रैली ही रद्द हो गई। एमएनएफ केंद्र में एनडीए का हिस्सा है, मगर मणिपुर के मुद्दे पर लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का भी उसके इकलौते सांसद ने समर्थन किया था। फिर भी, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी अक्टूबर में तीन दिवसीय दौरे में वहां पहुंचे थे तो उन्होंने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ही मुद्दा बनाया था। उन्होंने एमएनएफ और मौजूदा विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) पर भाजपा से साठगांठ का आरोप लगाया, जिसकी नीतियों से, बकौल उनके, मणिपुर जल रहा है।

इसलिए राज्य में 7 नवंबर को हुए मतदान में मणिपुर का मुद्दा सबसे अहम था। यह पड़ोसी देश म्यांमार में फौजी हुक्मरानों के काबिज होने के बाद जो-चिन जनजाति के लोगों के आगमन से भी मजबूत हुआ। कुकी-जो-मिजो-चिन सगोत्रीय समुदाय हैं। मणिपुर से कुकी शरणार्थियों और म्यांमार जो-चिन शरणार्थियों के लिए एमएनएफ सरकार ने केंद्र की हिदायत के बावजूद अपने दरवाजे खोल दिए थे।

इस मायने में मिजोरम चुनाव में पार्टियों की कल्याणकारी गारंटियों की फिजा जोर नहीं पकड़ पाई। हालांकि कांग्रेस ने बाकी राज्यों की तरह यहां भी कई गारंटियों का जिक्र किया और एमएनएफ को भ्रष्टाचार के मामलों में भी घेरने की कोशिश की। लेकिन एमएनएफ ने व्यापक जनजातीय पहचान को ही मुद्दा बनाया। जेडपीएम राजकाज की नई व्यवस्था की वकालत कर रहा है। एमएनएफ की फ्लैगशिप कार्यक्रम सामाजिक-आर्थिक विकास (एसईडीपी) पर अमल, फ्लाईओवरों तथा अच्छी सड़कों के निर्माण वगैरह में नाकामी विपक्ष के मुद्दे रहे हैं।

असल में पिछले 2018 के चुनावों में एमएनएफ विधानसभा की कुल 40 सीटों में 26 सीटें और 37.70 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रहा था। यह उसके 2013 के चुनावों में 6 सीटों से 20 का इजाफा था। कांग्रेस 29.98 फीसदी वोट के साथ महज 5 सीटें ही जीत पाई थी, जो 2013 में उसकी 34 सीटों से काफी कम था। इसकी एक वजह 2017 में बनी जेडपीएम भी था, जो 22.9 फीसदी वोट के साथ 8 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी दल बन गया। मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार ललदुहोमा की अगुआई में यह छह स्थानीय छोटी पार्टियों तथा सिविल सोसायटी संगठनों का छतरी संगठन है, जिसे 2019 में चुनाव आयोग की मान्यता मिली। इसमें ज्यादातर रिटायर अफसरों, प्रोफेसरों तथा सेलेब्रेटी लोगों की भरमार है। इस बार उसने एक मशहूर लोक गायक और एक फुटबाल खिलाड़ी को टिकट दिया है और ज्यादातर नए चेहरों और अपेक्षाकृत युवाओं को उम्मीदवार बनाया है।

कांग्रेस को भी युवाओं से उम्मीद है। मिजोरम में तकरीबन 8.57 लाख मतदाताओं में महिलाओं की तादाद करीब 4.39 लाख है, जिनमें युवा वोटरों की संख्या 40 फीसदी से ज्यादा है। राहुल गांधी की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान युवाओं में दिखे उत्साह से कांग्रेस को उम्मीद है। इसलिए कांग्रेस ने महंगाई से निजात दिलाने की गारंटियों के अलावा हर साल एक लाख नौकरियों और आधुनिक सुविधाओं वाले खेल स्टेडियम बनाने का भी वादा किया है।

मुख्य घोषणाएं

एमएनएफ

जोफा या जोहंथलका या जो समुदाय के सभी लोगों को एक प्रशासन के तहत लाया जाएगा, जो संयुक्त राष्ट्र के 2007 की मूलवासियों के अधिकार संबंधी घोषणा के तहत होगा। इस वादे का अर्थ मिजोरम के मिजो, मणिपुर के कुकी, और म्यांमार तथा बांग्लादेश के चिन लोगों का जो एकीकरण है। हालांकि इस बारे में कोई विस्तृत योजना नहीं दी गई है

1986 के मिजो शांति समझौते के सभी प्रावधानों पर अमल, जिसके साथ 20 साल लंबी मिजो बगावत का अंत हुआ था

अपनी सभी सीमाओं की सुरक्षा

जेडपीएम

व्यवस्था परिवर्तन और राजकाज की नई प्रणाली लाई जाएगी

कांग्रेस

750 रु. में एलपीजी सिलेंडर, 15 लाख रु. का स्वास्थ्य बीमा, हर साल एक लाख नौकरियां, छोटे और हस्तशिल्प उद्योगों के लिए आसान शर्तों पर बैंक कर्ज, आधुनिक खेल स्टेडियम वगैरह

मिजोरम की स्थिति

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