“मुझे मंत्री पद की चाह नहीं है। जजपा का विधायक बनकर ही मैंने जिंदगी की सबसे बड़ी गलती की है। जजपा क्षेत्रीय दल भी नहीं है, इसका वजूद दो-तीन जिलों तक ही सीमित है”
रामकुमार गौतम, जजपा विधायक
“गठबंधन सरकार में भ्रष्टाचार जोरों पर है। जजपा कार्यकर्ताओं के भी कोई काम रिश्वत-सिफारिश बगैर नहीं हो रहे हैं”
देवेंद्र सिंह बबली, जजपा विधायक
बगावत के ये सुर हरियाणा की मात्र दो महीने पहले बनी भाजपा गठबंधन सरकार के मुख्य सहयोगी दल जजपा (जननायक जनता पार्टी) विधायकों के हैं। गठबंधन सरकार में ‘किंगमेकर’ की भूमिका में रहे दुष्यंत चौटाला की जजपा का दस (विधायक) का दम टूटने की कगार पर है। जजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले नारनौंद से वरिष्ठ विधायक रामकुमार गौतम खुलकर पार्टी और उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के विरोध में हैं। गौतम के अलावा गुहला चीका से वरिष्ठ विधायक ईश्वर सिंह और टोहाना से जजपा विधायक देवेंद्र सिंह बबली भी पार्टी और दुष्यंत चौटाला से दूरी बनाए हुए हैं। जजपा में छिड़ी बगावत पर दुष्यंत के दादा तथा पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का कहना है कि दुष्यंत इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) में होता तो आज हरियाणा में सरकार इनेलो की होती और मुख्यमंत्री दुष्यंत होता। इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा, “जिन लोगों ने इनेलो को खत्म करने की कोशिश की, अब उनकी पार्टी जजपा भी खत्म होने के कगार पर है। विरोध के बाद जजपा का भाजपा में विलय हो जाएगा। जिस भाजपा ने हमारी पार्टी के विधायकों को तोड़ने से नहीं परहेज किया, वह भाजपा अब जजपा के विधायकों को कैसे चैन से बैठने दे सकती है।” जवाब में गृह मंत्री अनिल विज ने कहा, “सात साल से तिहाड़ जेल में रहते चौटाला अब हरियाणा की जमीनी सियासत से वाकिफ नहीं हैं इसलिए हवाई बातें कर रहे हैं। भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार मजबूती के साथ पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी।”
वरिष्ठ विधायक गौतम के खुलेआम आक्रोश को जजपा के मंत्री और चेयरमैन पदों से वंचित विधायकों की उपेक्षा माना जा रहा है। गौतम की जजपा में बने रहकर खुलेआम बगावत से दुष्यंत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इससे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी कांग्रेस की सरकार बनाने के लिए जोड़-तोड़ करने को उत्साहित हो सकते हैं। हालांकि उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कहते हैं, “पार्टी के सबसे बुजुर्ग विधायक दादा रामकुमार गौतम की सलाह पर ही जजपा ने भाजपा से गठबंधन की सरकार में शामिल होने का फैसला लिया था। दादा गौतम की नाराजगी दूर कर दी जाएगी। जजपा के सभी विधायक भाजपा गठबंधन सरकार के समर्थन में मजबूती से खड़े हैं।”
वैसे, भाजपा सरकार के लिए कोई चिंता की बात नहीं है क्योंकि सभी सात निर्दलीय विधायक उसके साथ हैं। कुछ राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक तो जजपा विधायकों की उपेक्षा भाजपा के लिए फायदेमंद हो सकती है। मनोहरलाल खट्टर सरकार में अभी दो मंत्री पद खाली हैं जिसमें एक मंत्री भाजपा और एक मंत्री जजपा कोटे से बनना प्रस्तावित है। भाजपा आलाकमान की ओर से संकेत हैं कि फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार को ठंडे बस्ते में रखकर इन पदों को सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों के लिए खाली रखा जाए। 90 विधानसभा सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में 40 विधायकों वाली भाजपा की खट्टर सरकार को बहुमत के लिए 46 विधायकों की जरूरत है। निर्दलीय विधायकों के समर्थन से ही सरकार का बहुमत बना रह सकता है। इसलिए एक निर्दलीय रणजीत सिंह चौटाला को मंत्री और चार विधायकों को बोर्ड और निगमों का चेयरमैन बनाया गया है। दो निर्दलीय विधायकों समेत भाजपा के भी कई वरिष्ठ विधायक अभी कोई पद मिलने के इंतजार में हैं। ऐसे में जजपा विधायकों को कोई महत्वपूर्ण पद दिए जाने पर संदेह है।
साल भर पहले चौटाला परिवार की कलह के चलते इनेलो से टूट कर अस्तित्व में आई 10 विधायकों वाली जजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में विरोध के सुर भाजपा को समर्थन के समय से ही उठने लगे थे। दो महीने पहले बनी गठबंधन सरकार में जजपा के कोटे से दुष्यंत चौटाला उप-मुख्यमंत्री और अनूप धानक राज्यमंत्री हैं। कभी भाजपा में रहे रामकुमार गौतम हालांकि मंत्री पद की चाह न होने की बात करते हैं पर उनकी टीस से साफ है कि वे अपनी उपेक्षा से खफा हैं। नारनौंद विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के कद्दावर जाट नेता तथा पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को 12,000 से अधिक मतों से हराने वाले वरिष्ठ विधायक गौतम को कैबिनेट मंत्री पद की पूरी उम्मीद थी। आउटलुक से बातचीत में गौतम ने कहा, “भाजपा से गठबंधन के लिए दुष्यंत चौटाला ने जजपा के किसी भी विधायक को विश्वास में नहीं लिया। मेरी इतनी बड़ी जीत के बाद जजपा के दुष्यंत चौटाला और उनके पिता अजय चौटाला ने मेरा नारनौंद हलका कैप्टन अभिमन्यु को बेच दिया है। आज भी नारनौंद में कैप्टन की ही चलती है। भाजपा से इस सौदे की वजह से उप-मुख्यमंत्री बने दुष्यंत ने अपने पास तो 11 विभाग रखे हैं और राज्यमंत्री अनूप धानक को एक भी प्रमुख विभाग नहीं दिया है।”
मंत्री पद पर नजर
साल भर पुरानी जजपा 10 सीटें जीतकर भाजपा और कांग्रेस के बाद तीसरे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आई। इनमें से आधा दर्जन विधायक पहले भी कांग्रेस, इनेलो के विधायक रहे हैं। इनमें रामकुमार गौतम, ईश्वर सिंह, रामकरण काला, रामनिवास और देवेंद्र बबली सरीखे विधायकों को मंत्री बनने की आस बंधी थी। दुष्यंत चौटाला के लिए अपनी मां विधायक नैना चौटाला और अनूप धानक के अलावा बाकी बचे सात विधायकों को लंबे समय तक साथ साधे रखना बड़ी चुनौती है। लिहाजा, इससे सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों में खुशी है।
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जनता ठगा महसूस कर रही है
73 वर्षीय बागी जजपा विधायक रामकुमार गौतम 2000 और 2005 में नारनौंद से भाजपा के विधायक रह चुके हैं। मनमुटाव के चलते उन्होंने भाजपा छोड़ दी और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन हार गए। 2014 में बतौर निर्दलीय चुनाव लड़े लेकिन जीत से दूर रहे। दिसंबर 2018 में जजपा के गठन के वक्त शामिल संस्थापक सदस्यों में रहे गौतम इस बार जजपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचे हैं। जजपा में बगावत का स्वर बुलंद करने के बाद आउटलुक से उनकी विस्तृत बातचीत के प्रमुख अंश:
भाजपा से गठबंधन के लिए क्या जजपा विधायकों की सलाह ली गई थी?
जजपा के किसी भी विधायक को विश्वास में नहीं लिया गया। भाजपा के जिन बड़े नेताओं को हमने हराया, उसी से सौदा करके दुष्यंत चौटाला 11 विभाग लेकर उप-मुख्यमंत्री बने हैं। दुष्यंत के पिता अजय चौटाला और कैप्टन अभिमन्यु की गुड़गांव के एक मॉल में बैठक हुई। अजय और कैप्टन साढू हैं। चौटाला परिवार की सोच रही है कि सूबे की सत्ता में जाट बिरादरी का उनसे बड़ा कोई नेता नहीं होना चाहिए। इसी कारण भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ दिग्विजय को चुनाव लड़ाया गया।
क्या आप मंत्री नहीं बनाए गए इसलिए नाराज हैं और बगावत पर उतर आए हैं?
मुझे मंत्री पद की चाह नहीं है। जिस नारनौंद की जनता ने भाजपा सरकार के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को हराकर मेरा साथ दिया, वह आज ठगा हुआ महसूस कर रही है। नारनौंद हलके को तो दुष्यंत ने भाजपा के हाथों बेच दिया है। फूड सप्लाई, एक्साइज, रेवेन्यू जैसे 11 महकमे लेकर पार्टी के बाकी विधायकों के साथ दगा किया है। अनूप को भी कोई विभाग नहीं दिया गया है।
आपने भाजपा को समर्थन देने के समय ही विरोध क्यों नहीं किया, दो महीने चुप क्यों रहे?
हमें समर्थन का पता ही नहीं चला। दुष्यंत के शपथ से एक दिन पहले समर्थन के बारे में जानकारी मीडिया से ही मिली।
दुष्यंत चौटाला आपको मना लेने और आपकी नाराजगी दूर कर देने की बात कह रहे हैं?
मैं दुष्यंत के संपर्क में नहीं हूं और न ही उसके बुलाने पर उससे मिलने जाऊंगा।
आपने वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, पर पार्टी के विधायक बने हुए हैं?
जनता ने मुझे विधायक बनाया है। अभी पार्टी का सदस्य भी हूं।