विश्वकप इसी साल मई-जून में होने वाला है। दुनिया भर की क्रिकेट टीमें 50-50 ओवरों के विश्वकप 2019 की तैयारी कर रही हैं। भारत इस विश्वकप का प्रमुख दावेदार कहा जा रहा है। क्या भारत की तैयारियां ऐसी हैं कि वह इस दावेदारी को सच्चाई में बदल सके? विश्वकप के लिए भारतीय टीम के संभावित खिलाड़ी लगातार क्रिकेट खेल रहे हैं। क्रिकेट की प्रतिस्पर्धाएं बड़ी और कड़ी होती हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का तीखापन शारीरिक और मानसिक तौर पर कड़ी परीक्षा लेता है। इसमें किसी भी प्रकार की चोट लगने या क्षेत्ररक्षण करते वक्त गलत कोण से गिर कर घायल हो जाने की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। खिलाड़ी के घायल होने के बाद विश्वकप से बाहर होने की आशंका सताने लगती है। इसलिए खिलाड़ियों को कोशिश करनी चाहिए कि साधारण मैचों में खुद को जोखिम में न डालें, क्योंकि क्रिकेट की उग्र कशमकश में खिलाड़ी भूल जाते हैं कि उन्हें घायल होने से बचना है। उत्साह में खिलाड़ी गेंद रोकने के लिए ‘डाइव’ करते हैं और इससे कई बार लेने के देने पड़ सकते हैं।
इस साल आइपीएल के (12वें संस्करण) दूसरे ही दिन दिल्ली कैपिटल्स के ऋषभ पंत को यॉर्कर करते वक्त भारत के विश्वप्रसिद्ध गेंदबाज जसप्रीत बुमराह घायल हो गए। उनके घायल होने से भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के होश उड़ गए। एक रन रोकने की कोशिश में डाइव करते वक्त वे कंधे के बल गिरे और घायल हो गए। बाद में वह बल्लेबाजी करने के लिए भी नहीं आ पाए। आशा करना चाहिए कि उन्हें ज्यादा चोट न आई हो और वे विश्वकप के लिए फिट हो जाएं। जसप्रीत बुमराह विश्व के नंबर-1 तेज गेंदबाज माने जा रहे हैं। उनकी अंगूठा तोड़ यॉर्कर्स और 150 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के कारण दुनिया भर के बल्लेबाज उनसे खौफ खाते हैं। भारत को अगर विश्वकप हासिल करना है, तो पूरी तरह स्वस्थ और तेज तर्रार बुमराह की जरूरत होगी।
इसलिए मैं कह रहा हूं कि 50-50 ओवरों के प्रतिष्ठित विश्वकप के दो महीने पहले तक 20-20 ओवरों वाला आइपीएल खेलने का क्या तुक है? जब आइसीसी आइपीएल की रूपरेखा बना रही थी तब भारत के प्रतिनिधियों को इस बात पर ध्यान देना था। यह सही है कि आइपीएल का मतलब बेशुमार धन-दौलत, विशुद्ध मनोरंजन और तड़क-भड़क है लेकिन क्रिकेट का यह नया संस्करण कई शास्त्रीय मान्यताओं को ध्वस्त कर देता है। अगर टीम को 20-20 ओवरों की बल्लेबाजी की आदत पड़ जाती है, तो विश्वकप में 50 ओवर से पहले ही टीम के आउट हो जाने का खतरा मंडराने लगता है। टी-20 की बल्लेबाजी में खिलाड़ी को लगातार जोखिम उठाना पड़ता है। ऐसा 50 ओवरों की बल्लेबाजी में नहीं किया जा सकता। अगर खिलाड़ी ऐसा करेंगे तो 50 ओवरों तक टिकना मुश्किल हो जाएगा।
वैसे भी भारतीय क्रिकेट टीम में विभिन्न स्थानों के लिए संघर्ष चल रहा है। ऑस्ट्रेलिया ने भारत में आकर भारत को एक दिवसीय क्रिकेट में 3-2 से हरा दिया। इससे समझ में आ गया कि विश्वकप 2019 भारत को तश्तरी में परोस कर नहीं मिलेगा। मुकाबला कड़ा होगा। इंग्लैंड के अलावा न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया भी कड़ी चुनौती दे सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया में तेज गेंदबाज मिशेल स्टार्क की वापसी होगी। डेविड वार्नर और स्टीवन स्मिथ भी वापस आ सकते हैं। वेस्टइंडीज टीम भी अब ताकतवर बन कर उभर रही है। स्विंग वाली परिस्थितियों में ट्रेंट बोल्ट न्यूजीलैंड को बहुत मारक बना सकते हैं। भारत के मध्य क्रम को लेकर दुविधा का बाजार गर्म है। पता नहीं क्यों, लगातार असफलता के बाद भी के.एल. राहुल का नाम बार-बार उछल कर सामने आ जाता है? रोहित शर्मा की तेज-तर्रार पारियों की भी जरूरत होगी। बुनियाद अच्छी पड़ेगी, तो पारी की इमारत मजबूत होगी। उद्घाटक बल्लेबाज के तौर पर रोहित शर्मा का साथ शिखर धवन निभा सकते हैं, जो गेंदबाज की प्रतिष्ठा पर नहीं बल्कि गेंद की कमजोरी पर ज्यादा ध्यान देते हैं। शिखर धवन अपनी तकनीकी कमजोरियों को अपने आत्मविश्वास से काबू में रखते हैं। लेकिन इंग्लैंड में स्विंग होती गेंदों पर उनका इतिहास अच्छा नहीं है। अतः तकनीकी दृष्टि से दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा को जरूर शामिल करना चाहिए। अभी विराट कोहली की अद्भुत बल्लेबाजी से टीम जीतती चली आ रही है। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत में शृंखला की हार ने यह साबित कर दिया कि जब विराट कोहली असफल होते हैं, तो मध्यक्रम ताश के पत्तों की तरह बिखर जाता है। इसलिए इंग्लैंड की स्विंग वाली परिस्थितियों में चेतेश्वर पुजारा को खिलाना जरूरी है। आलराउंडर की भूमिका के लिए केदार जाधव, शंकर, रवीन्द्र जडेजा और हार्दिक पंड्या में मुकाबला है। मेरे खयाल से शंकर और जडेजा को मौका मिलना चाहिए। ये जुझारू भी हैं और तकनीकी रूप से सक्षम भी। टीम की आवश्यकताओं के मुताबिक अपने खेल और नीति में परिवर्तन करना भी जानते हैं।
स्पिन गेंदबाजों में युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव का स्थान निश्चित लग रहा है, लेकिन इनकी चौंका देने की क्षमता घटती जा रही है। इनकी तकनीक को विश्व के श्रेष्ठ बल्लेबाजों ने सुमझ लिया है। कुलदीप यादव अपनी चाइनामैन, गुगली और टॉप स्पिनर की विविधता के कारण विश्व भर के बल्लेबाजों के लिए सिरदर्द बन गए थे। ज्यादा से ज्यादा मैच जीतने के लालच में उन्हें इतना ज्यादा मैदान में उतारा जा रहा है कि उनकी गेंदबाजी का रहस्य उजागर हो गया है। आइपीएल में उनकी लगातार उपस्थिति विश्व भर के बल्लेबाजों को उन्हें परखने का मौका प्रदान कर रही है। भारतीय क्रिकेट के विचारक पता नहीं क्या सोच रहे हैं। जो हो रहा है, वह भारतीय क्रिकेट के हित में नहीं है।
यह सही है कि गेंदबाज भारत को मैच जिता रहे हैं। विपक्षी टीम को आउट किए बिना मैच नहीं जीता जा सकता। भारतीय गेंदबाजी का आक्रमण आज से ज्यादा संतुलित कभी नहीं रहा। जसप्रीत बुमराह, मुहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार और ईशांत शर्मा का तेज आक्रमण रफ्तार, स्विंग, विविधता और धार के मामले में आज विश्व का श्रेष्ठ आक्रमण माना जा रहा है। स्पिन में युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव और जडेजा विविधता भी लाते हैं और विकेट भी चटकाते हैं। अगर बात भारतीय बल्लेबाजों की करें, तो क्या शक्तिशाली लगने वाली भारतीय बल्लेबाजी विराट कोहली के असफल होने के बाद भी टिक पाएगी? महेन्द्र सिंह धोनी की सोच का साथ विराट कोहली के पास है, पर 2019 के विश्वकप की परीक्षा कठिन है। भारत को अपनी दावेदारी को हकीकत में बदलने के लिए धरातल पर काम करने की जरूरत है। 50-50 ओवरों के ठीक पहले टी-20 क्रिकेट की लंबी आइपीएल प्रतिस्पर्धा खेलना भारत की संभावना को धूमिल कर सकती है।
(लेखक जाने-माने क्रिकेट कमेंटेटर हैं)