महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार के युवा नेता आदित्य ठाकरे भी इस बार चुनावी समर में किस्मत आजमा रहे हैं। शिवसेना में यह पहली बार होगा कि ठाकरे परिवार से कोई चुनाव लड़ रहा है। शिवसेना की युवा सेना इकाई के अध्यक्ष आदित्य ठाकरे से भावना बिज अरोड़ा और गिरिधर झा ने राजनीति, चुनाव, आरे मामला और भाजपा से गठबंधन जैसे मुद्दों पर बात की। मुख्य अंशः
ऐसा पहली बार है, जब आपके परिवार से कोई चुनाव लड़ रहा है। इसकी क्या वजह है?
राजनीति ऐसा क्षेत्र है, जहां आप एक फैसले से कई लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। प्लास्टिक पर पाबंदी के मुद्दे को ही देखिए। हमने पिछले साल महाराष्ट्र में प्लास्टिक पर पाबंदी लागू की थी। मैं इस कानून को लिखने वाली टीम का हिस्सा था। बाद में इसी दिशा में केंद्र सरकार ने भी पहल की। कहने का मतलब यह है कि कागज का एक टुकड़ा अरबों लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता है।
आपने आरे जंगल का मुद्दा उठाया। दुनिया भर के युवा जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण पर बात कर रहे हैं...
युवाओं के लिए यह बहुत अहम मुद्दा है। हमने बहुत व्यापक और नाटकीय तरीके से बदलाव देखे हैं। मुंबई में सर्दी का मौसम मार्च तक बढ़ जाता था। गर्मी का मौसम जुलाई तक और अब मानसून जो इतनी देर से जा रहा है। आरे उससे कहीं अधिक है। यह एक इको-सिस्टम के बारे में है। उसी एमएमआरसीएल ने मेट्रो के लिए शहर में 3,000 पेड़ों को काट दिया, जिसने इससे अधिक पेड़ लगाने की बात कही थी। यहां लुप्तप्राय जंगली बिल्ली, वनस्पतियों और जीवों की प्रजातियां हैं, जिन्हें दोबारा नहीं लगाया जा सकता है।
लेकिन आपके रुख ने आपकी पार्टी को भाजपा के साथ सीधे टकराव की स्थिति में ला दिया है। यदि आप सत्ता में वापस आते हैं, तो इससे कैसे निपटेंगे?
यह शिवसेना बनाम भाजपा या आदित्य बनाम देवेंद्र जी का मुद्दा नहीं है। यह मनुष्य बनाम पर्यावरण का संघर्ष है। मेरा मानना है कि सरकार और मुख्यमंत्री (देवेंद्र फड़नवीस) एमएमआरसीएल में कुछ अधिकारियों द्वारा गुमराह किए जा रहे हैं, जिससे आधी रात में पेड़ों को काटने की तानाशाही वाली कार्रवाई हो रही है।
आप सरकार पर नियंत्रण रखेंगे?
यह सरकार पर नियंत्रण रखने की बात नहीं है। मुद्दा यह है कि जब दो भाई या दोस्त हैं, तो यह बताना आपका कर्तव्य है कि क्या सही या गलत हो रहा है। जब लोग ऐसी चीजों को आवाज दे रहे हैं जो सरकार को नुकसान पहुंचा सकती हैं, तो यह हमारा कर्तव्य है कि हम इसे ट्रैक पर वापस लाएं।
मुख्यमंत्री का पद फड़नवीस के पक्ष में तय होता दिख रहा है। क्या आप उप मुख्यमंत्री पद की मांग करेंगे?
मैं किसी पद के पीछे नहीं भाग रहा हूं। मैं लोगों की सेवा के लिए किसी भी जिम्मेदारी के लिए तैयार हूं। किसी राजनीतिक दल के लिए सीएम, उप-मुख्यमंत्री, कैबिनेट, विधानसभा अध्यक्ष वगैरह का पता लगाना बहुत जल्दबाजी होगी।
भले आपके पिता ने कहा हो कि महागठबंधन में कोई बड़ा भाई नहीं है, लेकिन धारणा है कि भाजपा अधिक सीटों पर चुनाव लड़ रही है...
लोकसभा चुनावों के लिए हमारी प्रतिबद्धता थी कि हम राम मंदिर सहित कई मुद्दों पर साथ हैं। यूपी सरकार ने जिले का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया और अदालत में मामले की तेजी से सुनवाई चल रही है। दूसरी बात महाराष्ट्र के किसानों के बारे में थी। यह काम शुरू हो गया है, क्योंकि शिवसेना के दबाव के कारण हमने 10 लाख किसानों को फसल बीमा योजना के तहत 960 करोड़ रुपये की मदद की है। यह पार्टी के रूप में हमारे लिए एक बड़ी जीत थी और सीटों के साथ तालमेल बिठाना हमारे मूल्यों को एक स्वतंत्र और तालमेल बिठाने वाले मित्र के रूप में साबित करता है।
चुनावों में भाजपा अनुच्छेद 370, एनआरसी जैसे राष्ट्रीय मुद्दों को उठा रही है। आपको लगता है कि बेरोजगारी, किसान संकट जैसे मुद्दे बाहर हो रहे हैं?
लोकसभा चुनाव राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लड़ा गया। हमें उस पर गर्व था। हमें अभी भी गर्व है कि सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया और बहुत जल्द राम मंदिर पर फैसला होने वाला है। लेकिन महाराष्ट्र की बात करें, तो यह बहुत ही स्थानीय चुनाव है, क्योंकि लोगों ने राष्ट्रीय और राज्य चुनावों में अलग-अलग तरीके से मतदान करना शुरू कर दिया है।
आपके परिवार से तीन बड़े नेता हुए। किसने आपको प्रभावित किया?
मेरे दादा जी, उनके विचार बहुत स्पष्ट थे। दूसरा, मेरे पिता- जब आप एक वादा करते हैं, तो उससे पलट नहीं सकते। यदि आप वादा करते हैं, तो आपको पूरा करना होगा। पहले हजार बार सोचें और फिर वादा करें। तीसरा, पिछले 15 वर्षों में अपने चाचा राज के साथ कोई बड़ी बातचीत नहीं की है। इसलिए मैं कुछ नहीं कह पाऊंगा।