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6 फरवरी 2023 · FEB 06 , 2023

पंजाब: भ्रष्टाचार पर भारी नौकरशाह

ईमानदारी की राह पर चलने के लिए राज्य सरकार को अपने ही प्रशासनिक तंत्र के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है
ठप सचिवालयः पीसीएस अफसरों की सामूहिक हड़ताल के चलते दो दिन बंद रहा

पंजाब में विजिलेंस की कार्रवाई पर राज्य के आइएएस और पीसीएस अफसरों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दरअसल भगवंत मान सरकार भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों और विधायकों पर विजिलेंस की कार्रवाई कर रही है। इस धरपकड़ में कुछ आइएएस, पीसीएस अफसर भी जद में आ गए हैं। अफसरों में रोष है कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए चलाए जा रहे अभियान में विजिलेंस ईमानदार अफसरों को भी परेशान रहा है, जिससे उनका मनोबल टूट रहा है। कुछ आइएएस अफसरों ने अपने इस्तीफे तक की चेतावनी दे दी है। अफसरों ने पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के सामने अपनी बात रखी है। मामला तब बढ़ गया जब विजिलेंस ब्यूरो ने एक पीसीएस अफसर को गिरफ्तार कर लिया। इसके विरोध में पंजाब के तमाम पीसीएस अफसर सामूहिक अवकाश पर चले गए। हड़ताल की वजह से दो दिनों तक चंडीगढ़ सचिवालय से लेकर तहसीलों में कामकाज ठप पड़ गया। हड़ताल खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कड़े कदम उठाते हुए हड़ताली पीसीएस अधिकारियों को सस्पेंड करने का नोटिस थमा दिया। इसके बाद अधिकारी पांच दिन की हड़ताल तीन दिन में ही खत्म कर 11 जनवरी को काम पर लौट आए।

विजिलेंस ब्यूरो ने पंजाब स्मॉल इंडस्ट्रीज ऐंड एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन (पीएसआइईसी) के प्लॉट घोटाले में कैप्टन अमरिंदर सरकार में उद्योग मंत्री रहे सुंदर श्याम अरोड़ा की गिरफ्तारी की थी। इसके बाद कॉरपोरेशन के आठ अधिकारियों में से ब्यूरो ने आइएएस नीलिमा को भी गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद बवाल मच गया। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और पंजाब आइएएस अफसर एसोसिएशन के अध्यक्ष वेणु प्रसाद की अगुवाई में 50 से अधिक आइएएस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से मिलकर अपना पक्ष रखा है। विजिलेंस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री कार्यालय की अनुमति के बगैर आखिर कैसे एक वरिष्ठ आइएएस अफसर पर मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया गया।” गिरफ्तार की गई आइएएस अफसर के पति भी आइएसएस अधिकारी हैं। उनके पति अमित कुमार ने चेतावनी दी है कि उनकी पत्नी पर विजिलेंस की कार्रवाई वापस ली जाए वरना वह इस्तीफा दे देंगे। अन्य आठ आइएएस अफसरों ने भी नीलिमा के समर्थन में इस्तीफे की चेतावनी दी है।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान

विजिलेंस ब्यूरो की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने आउटलुक से कहा, “भगवंत मान सरकार के मनमाने फैसलों ने पंजाब में अराजकता पैदा कर दी है। प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। पीसीएस अधिकारियों को सामूहिक अवकाश पर जाने के लिए सरकार ने ही मजबूर किया है और इसके लिए सीधे तौर पर सरकार जिम्मेदार है। भ्रष्टाचार पर लगाम जरूरी है लेकिन इसके लिए नियम-कानून का पालन भी जरूरी है। अधिकारियों के खिलाफ कायदे-कानून की धज्जियां उड़ाते हुए कार्रवाई हरगिज नहीं होनी चाहिए। राजस्व अधिकारी संघ ने भी सरकार पर जबरन वसूली का रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। इस मामले की स्वतंत्र एजेंसी द्वारा जांच कराए जाने की जरूरत है। आज पंजाब में कानून-व्यवस्था और अफसरशाही में अराजकता के माहौल के लिए मुख्यमंत्री मान जिम्मेदार हैं। मुख्यमंत्री और अफसरशाही के बीच संवाद और विश्वास टूट गया है।”

ईमानदार सरकार के दावे के साथ 10 महीने के अपने कार्यकाल में भगवंत मान सरकार ने अपने दो कैबिनेट मंत्रियों की छुट्टी की है। 16 मार्च 2022 को सरकार बनने के दो महीने के भीतर ही भ्रष्टाचार के आरोप में कैबिनेट मंत्री विजय सिंगला को जेल भेजने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार के दूसरे कैबिनेट मंत्री फौजा सिंह सरारी को भी भ्रष्टाचार के आरोप में 7 जनवरी को मंत्रिमंडल से बाहर किया गया। सितंबर 2022 में सरारी का एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें वह अपने पीए से बातचीत में अपने विभाग के अधिकारियों से उगाही कराने की बात कर रहे थे। मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के बाद भी सरारी चार महीने तक मंत्रिमंडल में बने रहे।

दस महीने के कार्यकाल में ‘आप’ की सरकार ने 370 से अधिक लोगों पर भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए हैं और करीब 175 लोगों की गिरफ्तारी की है। इसमें मौजूदा सरकार के एक कैबिनेट मंत्री विजय सिंगला समेत पिछली कांग्रेस सरकार के चार कैबिनेट मंत्री, पूर्व विधायक के अलावा दो आइएएस, चार आइएफएस अफसरों से लेकर तीन दर्जन से अधिक राजपत्रित अधिकारी, 50 से अधिक पुलिस अधिकारी-कर्मचारी और कई विभागों, बोर्ड-कॉरपोरेशन के करीब 200 अधिकारी शामिल हैं।

पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के प्रमुख एडीजीपी वरिंद्र कुमार ने आउटलुक को बताया, “मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देश पर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में वर्ष 2022 में रिश्वतखोरी के मामले दर्ज करने, भ्रष्टाचार में नेताओं, अफसरों और मुलाजिमों की गिरफ्तारी ने रिकॉर्ड कायम किया है। जनवरी 2022 से दिसंबर 2022 तक रिश्वतखोरी के 129 मामलों में कुल 172 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए प्रमुख लोगों में पूर्व कांग्रेस सरकार के चार मंत्रियों में साधु सिंह धर्मसोत, संगत सिंह गिलजियां, भारत भूषण आशु और सुंदर शाम अरोड़ा के अलावा कांग्रेस के ही पूर्व विधायक जोगिंदर पाल, इंप्रूवमेंट ट्रस्ट लुधियाना के पूर्व चेयरमैन रमन बाला सुब्रह्मण्य, अमृतसर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन दिनेश बस्सी, आइएएस संजय पोपली, आइएएस नीलिमा, आइएफएस अफसरों में पंजाब के मुख्य वन संरक्षक प्रवीण कुमार के अलावा विशाल चौहान, अमित चौहान, गुरअमनप्रीत सिंह, आइपीएस आशीष कपूर, पीसीएस नवीन गर्ग आदि शामिल हैं।”

दस महीने से भ्रष्टाचार के मामलों में ताबड़तोड़ दबिश करने वाले पंजाब विजिलेंस ब्यूरो की कार्रवाई पर कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने आउटलुक से कहा, “पिछली सरकारों ने पंजाब को लूटने के लिए जो भ्रष्टाचार और माफिया संस्कृति अपनाई थी, उसे खत्म करने के लिए राज्य में भ्रष्टाचारमुक्त शासन की शुरुआत दस महीने पहले हुई है। राज्य का खोया हुआ गौरव वापस लाने के लिए ‘आप’ सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपना रही है, जो 70 सालों में कभी लागू नहीं हुई। सरकार की यह सख्ती जारी रहेगी।”

कई और कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप बाजवा आउटलुक से कहते हैं, “बदलाव की राजनीति के नाम पर सत्ता में आई आम आदमी पार्टी की सरकार पंजाब में बदले की राजनीति कर रही है। कथित भ्रष्टाचार के आरोप में कांग्रेस के नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। केंद्र की सीबीआइ और ईडी जैसी जांच एजेंसियों की तर्ज पर पंजाब सरकार विजिलेंस का दुरुपयोग कर के राजनीतिक बदला ले रही है। जिन गिरफ्तारियों को भगवंत मान सरकार अपनी दस महीने की उपलब्धियों में गिना रही है वह दरअसल उसकी घटिया सियासत है।”

पद की शपथ लेने के एक हफ्ते बाद ही भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए मुख्यमंत्री मान ने एंटी करप्शन हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिया था। इसे जारी करने के दस महीने बाद ही इस पर भ्रष्टाचार के खिलाफ 3,72,175 शिकायतें आईं, जिनमें 6407 ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग भी मिली। इनमें से 294 शिकायतें भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने वाले विजिलेंस ब्यूरो को भी मिलीं जबकि हेल्पलाइन पर मिलीं कुछ झूठी शिकायतों के विरोध में आबकारी और राजस्व विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी भी सामूहिक हड़ताल पर जा चुके हैं।

भ्रष्टाचार को लेकर 2019 में हुए एक स्वतंत्र सर्वे में यह बात सामने आई थी कि देश के सबसे अधिक भ्रष्टाचारग्रस्त राज्यों में पंजाब छठे नंबर पर है। इस सर्वे के अनुसार राज्य के 63 प्रतिशत लोगों का कहना था कि उन्होंने अपना काम कराने के लिए घूस दी है। मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल अकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के निदेशक डॉक्टर नरेश चंद्र सक्सेना ने भी दावा किया था कि पंजाब और उत्तर-पूर्वी राज्यों के नौकरशाह देश के सबसे भ्रष्ट अफसरों में शुमार हैं। पंजाब में भ्रष्ट नौकरशाही और नेताओं की साठगांठ के कारण त्रस्त लोगों में सरकारों के खिलाफ गुस्सा रहा है लेकिन सियासी दलों ने इसे कभी चुनावी मुद्दा नहीं बनाया। 2022 के विधानसभा चुनावों में इसे मुद्दा बनाकर सत्ता में आने वाली आप के लिए भ्रष्टाचार का खात्मा बड़ी चुनौती है। प्रशासनिक तंत्र के भारी विरोध के बीच इस चुनौती से पार पाते हुए क्या आप सरकार पंजाब से भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ पाएगी?

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