पर्वतीय राज्य में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव की वेला नजदीक आ रही है, हर दावेदार पार्टी की फेहरिस्त में मुफ्त देने के तरह-तरह के वादे बढ़ते जा रहे हैं। लोकलुभावन वादों का चस्का इतना भारी है कि न तो सरकारी खजाने की खस्ता माली हालत की चिंता है, न ही विकास के मुद्दों पर कोई बात कर रहा है। राज्य में फरवरी-मार्च महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जाहिर है, ऐलानों का दौर भी ताबड़तोड़ चल रहा है, क्योंकि जल्दी ही चुनाव की घोषणा के साथ आदर्श आचार संहिता भी लग जाएगी। सरकार विरोधी रुझान से जूझ रही सत्तारूढ़ भाजपा तो घोषणाओं के बाढ़ बहा रही है। सत्ता की दावेदार मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी वादों में कतई पिछड़ना नहीं चाहती, और राज्य में प्रवेश करने की फिराक में आम आदमी पार्टी तो जैसे वादों और मुफ्त सेवाओं का भंडार ही खोल देना चाहती है।
चुनावी बयार में भाजपा की पुष्कर सिंह धामी सरकार तमाम तरह के अनुदान अभी से दे रही है। कहीं भत्ता बढ़ाया जा रहा है तो कहीं मानदेय में लगातार बढ़ोतरी की जा रही है। धामी सरकार ने ढाई लाख से अधिक कर्मचारियों और पेंशनरों का महंगाई भत्ता तीन फीसदी बढ़ा दिया है। राज्य के 20 हजार से अधिक उपनल कर्मियों को अब हर महीने प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। दुग्ध प्रोत्साहन योजना के तहत 53 हजार सदस्यों के खाते में प्रोत्साहन राशि भेजी जा रही है। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों की पेंशन राशि में बढ़ोतरी कर दी गई है। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना की सब्सिडी में दोगुना से अधिक बढ़ोतरी कर दी गई है। राजकीय चिकित्सालयों में मुफ्त दवा बांटने का आदेश कर दिया गया है। बाहर से दवा खरीदने पर तय मानकों के अनुसार भुगतान किया जा रहा है। ऑनलाइन पढ़ाई को आसान बनाने के लिए छात्र-छात्राओं को मुफ्त मोबाइल-टैबलेट का पैसा उनके खातों में डाल दिया गया है। मार्च 2022 तक हर महीने 20 किलोग्राम खाद्यान्न 33 हजार से अधिक आंगनबाड़ी कर्मियों को दिया जा रहा है। नंदा गौरा देवी कन्या धन योजना के तहत बालिका के जन्म पर 11 हजार रुपये और 12वीं की पढ़ाई के बाद 51 हजार की राशि दी जा रही है। होमगार्ड जवानों को छह हजार रुपये बतौर प्रोत्साहन राशि दिए गए हैं। जैविक खेती करने वालों को सभी योजनाओं में 10 फीसदी ज्यादा सब्सिडी दी जा रही है।
कांग्रेस नेता हरीश रावत (बीच में)
बेरोजगारी कम करने के लिए प्रदेश में 24 हजार पदों पर नियुक्तियां की जा रही हैं। कोरोना काल के चलते सरकारी सेवा में अधिकतम आयु पार करने वालों के लिए एक साल बढ़ाया गया है। प्रदेश के युवाओं को भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन शुल्क में मार्च 2022 तक छूट दी गई है। प्रदेश के ऐसे युवा जो संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में प्री परीक्षा पास करते है, उन्हें तैयारी के लिए 50 हजार रुपये की सहायता देने की बात भाजपा सरकार ने की है। आजीविका क्षेत्र से जुड़े स्वयं सहायता समूहों, महिला मंगल दलों समेत क्लस्टर के आधार पर आजीविका चलाने वालों के लिए 119 करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिया गया है। कोरोना के कारण आर्थिक नुकसान झेल रहे पर्यटन व्यवसाय और अन्य व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए 200 करोड़ की धनराशि बतौर राहत पैकेज के रूप में जारी की गई है। राज्य के मेडिकल कॉलेजों में स्टाइपेंड बढ़ाकर 17 हजार रुपये किया गया है। मेडिकल कॉलेजों में फीस भी एक-चौथाई कम कर दी गई है।
सत्ता पर जोरदार दावेदारी कर रही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी किसी भी तरह से पीछे नहीं है। कांग्रेस की प्रदेश चुनाव प्रचार समिति के मुखिया और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस बारे में आए दिन कोई न कोई वादा जनता से कर रहे हैं। कांग्रेस ने भी आप की तर्ज पर हर महीने दो सौ यूनिट बिजली मुफ्त देने का वादा किया है। यह भी कहा कि धीर-धीरे इसे और बढ़ाया जाएगा। कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनते ही रसोई गैस सिलेंडर पर दौ सौ रुपये का अनुदान राज्य सरकार देगी। कांग्रेस इसे भी धीरे-धीरे आगे बढ़ाने की बात कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि उत्तराखंड में जितनी भी तरह की पेंशन दी जा रही हैं, उन सभी की राशि में इजाफा उनकी पार्टी की सरकार करेगी। कांग्रेस तय प्रतिशत में युवाओं को रोजगार देने और ऐसा होने तक बेरोजगारी भत्ता देने की बात भी कर रही है।
केजरीवाल चार बार प्रदेश गए, हर बार उन्होंने कुछ न कुछ मुफ्त देने की नई घोषणा की पर यह नहीं बताया कि पैसा कहां से आएगा
लगभग नई एंट्री की तलाश रही आम आदमी पार्टी (आप) के तो कहने ही क्या हैं। उसने पहली बार उत्तराखंड की सभी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। आप मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उत्तराखंड के चार दौरे कर चुके हैं। अपने हर दौरे में वे उत्तराखंड की जनता को सरकार बनने पर कोई न कोई तोहफा देने की बात कर रहे हैं। आप मुखिया ने सबसे पहले हर परिवार को तीन सौ यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा की। उसके बाद केजरीवाल ने उत्तराखंड की जनता से वादा किया कि आप की सरकार बनने पर हर परिवार से एक युवा को रोजगार दिया जाएगा। वे यहीं तक नहीं रुके और ऐलान किया कि आप की सरकार रोजगार मिलने तक हर युवा को पांच हजार रुपये मासिक बेरोजगारी भत्ता भी देगी।
आप नेता ने उत्तराखंड की जनता से मुफ्त तीर्थ यात्रा का भी वादा किया है। पार्टी का कहना है कि जनता को अयोध्या, अजमेर और करतारपुर साहिब (पाकिस्तान) की यात्रा सरकारी खर्चे पर कराई जाएगी। आप मुखिया ने अपने चौथे दौरे में महिलाओं को रिझाने की कोशिश की। उन्होंने वादा किया कि 18 वर्ष के ज्यादा आयु वाली सभी महिलाओं को आप की सरकार एक हजार रुपये प्रतिमाह का भुगतान करेगी। यह राशि सीधे उनके खातों में जमा कराई जाएगी। आप की चुनाव प्रचार समिति के चेयरमैन दीपक बाली ने आउटलुक से कहा कि ये केवल घोषणाएं ही नहीं हैं। उनकी पार्टी इन सभी के बारे में अवाम को गारंटी कार्ड भी बांट रही है। बाली ने कहा कि महिलाओं का मिस्ड कॉल के जरिए यह राशि देने के लिए पंजीकरण भी कराया जा रहा है।
अहम बात यह भी है कि सरकारी खजाने की सियासत पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। आप ने भाजपा सरकार पर सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया तो जवाब में भाजपा सरकार के काबीना मंत्री सुबोध उनियाल ने आप पर उत्तराखंड की जनता को निकम्मा बनाने की कोशिश करने का आरोप जड़ दिया। यह आरोप लगाते वक्त मंत्री यह भूल गए कि उनकी सरकार चुनावी माहौल में किस तरह से सरकारी खजाने का इस्तेमाल कर रही है।
दूसरी ओर सरकारी खजाने की माली हालत बेहद खस्ता है। एक अनुमान के मुताबिक उत्तराखंड सरकार इस वक्त 66 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी है। राज्य के अपने राजस्व में लगातार गिरावट आ रही है। जुलाई-2022 में जीएसटी प्रतिपूर्ति के रूप में केंद्र से मिलने वाली पांच हजार करोड़ की राशि भी जल्दी बंद हो जाएगी। अभी 15वें वित्त आयोग से कुछ पैसा मिल रहा है तो किसी तरह से काम चल रहा है। लेकिन आगे यह राशि भी बंद होने वाली है। एक तरफ सरकारी खजाने के ये हालात हैं तो दूसरी ओर सत्तारूढ़ भाजपा इस पर इस समय बड़ा बोझ डाल रही है और आम आदमी पार्टी और कांग्रेस अपनी पार्टी की सरकार बनने पर सरकारी खजाना अवाम के लिए खोलने की बात कर रही है। भाजपा, कांग्रेस या आप किसी के पास खजाने की माली हालत सुधारने का कोई रोड मैप नहीं है। ऐसे में उत्तराखंड की जनता इन सियासी दलों के जुमलों और झुनझुनों पर कितना भरोसा करती है, यह तो चुनाव के नतीजों से ही तय होगा।