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चीनी गुगली बड़ी पेचदार

भारतीय क्रिकेट की पैसे की थैली चीनी पूंजी की डोर से जकड़ी है, उससे नाता तोड़ने का मतलब मुसीबत को बुलावा
भारत-चीन टकराव/ खेल जगत

यकीनन क्रिकेट! जी हां, हम जिसके दिवाने हैं, वह भी चीनी 'लाल' साम्राज्य से नत्‍थी है। अगर ‘चीन विरोध’ का मूड खेल जगत में भी तारी हो जाता है, तो क्रिकेट को उसका भारी खामियाजा झेलना पड़ सकता है। दुनिया में सबसे अमीर खेल संघों में एक, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के प्रत्यक्ष या परोक्ष संबंध चीनी ब्रांड या निवेशकों से गहरे जुड़े हैं। ग्लोबल ब्रॉडकास्टिंग राइट की कीमत के लिहाज से दुनिया के शीर्ष पांच खेल कार्यक्रमों में से एक इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) के चीनी ब्रांडों के साथ कई तरह के संबंध हैं। मोबाइल कंपनी वीवो के पास पांच साल की 2,200 करोड़ रुपये मूल्य वाली स्पांसरशिप है, जबकि ऑनलाइन फैंटेसी लीग प्लेटफार्म ड्रीम 11 और ई-कॉमर्स कंपनी पेटीएम आइपीएल के ऑफिशियल पार्टनर हैं। दुनिया की सबसे बड़ी वीडियो गेम कंपनियों में शुमार चीनी कंपनी टेंसेंट के पास ड्रीम 11 की बड़ी हिस्सेदारी है। जैक मा की ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा के पास पेटीएम की 37.15 फीसदी हिस्सेदारी है। बड़ी कंपनियों के अलावा, स्विगी, जिसकी 5.27 फीसदी हिस्सेदारी टेंसेंट के पास है, सबसे अमीर टी20 लीग की एसोसिएट स्पांसर है।

सिर्फ आइपीएल ही नहीं, बीसीसीआइ की कमाई में 1,079 करोड़ रुपये बायजू के साथ पांच साल के स्पांसरशिप सौदे से भी मिलते हैं। इस ऑनलाइन ट्यूटरिंग फर्म की फंडिंग टेंसेंट करती है। देश में भारतीय टीम के सभी अंतरराष्ट्रीय टाइटल स्पांसर के लिए पेटीएम के करार से बीसीसीआइ को 326.8 करोड़ रुपये या हर मैच के लिए 3.8 करोड़ रुपये मिलते हैं। ड्रीम 11 बीसीसीआइ का ऑफिशियल स्पांसर भी है।

बीसीसीआइ के कोषाध्यक्ष अरुण सिंह धूमल कहते हैं, “फिलहाल तो सभी करार सुरक्षित और कायम हैं। हमें कुछ भी रोकने के लिए सरकार से कोई निर्देश नहीं मिला है।” दिलचस्प यह भी है कि बीसीसीआइ का भाजपा सरकार के साथ घनिष्ठ संबंध है। बीसीसीआइ के सचिव जय शाह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र हैं, जबकि धूमल वित्त और कंपनी मामलों के राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर के भाई हैं। धूमल का कहना है कि बीसीसीआइ अपने स्पांसरशिप करारों की समीक्षा करने को तैयार है। वे कहते हैं, “देश हित, बोर्ड के व्यावसायिक हितों से सदैव ऊपर है।” वीवो और ड्रीम 11 ने बीसीसीआइ के साथ संबंधों पर कोई टिप्पणी नहीं की।

हालांकि उद्योग जगत के ज्यादातर दिग्गजों के मुताबिक, चीन के खिलाफ हो-हल्ले में वास्तविकता कम, शोर ज्यादा है। संभावना यही है कि चीनी कंपनियां रास्ता बदलकर आगे बढ़ सकती हैं। बीसीसीआइ सहित तमाम क्रिकेट बोर्डों के साथ ग्राहकों को जोड़ने के काम में लगी कंपनी आइटीडब्ल्यू कंसल्टिंग के भैरव शांत कहते हैं, “इधर कुछ समय से महज ब्रांडिंग के बदले प्रोडक्ट पर अधिक फोकस करने की सोच बनी है। चीन के ब्रांड प्रीमियम अदा करके भी हर हाल में मौके हासिल करने के बदले वैल्यू पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं।”

बिजनेस रणनीतिकार और एचपी के पूर्व मार्केटिंग प्रमुख (एशिया पैसेफिक) लॉयड मैथियास का कहना है कि स्पांसरशिप और निवेश का मामला पेचीदा है। मैथियास कहते हैं, “कंपनियों के स्वामित्व में लगातार डाइवर्सिफिकेशन हो रहा है, इसलिए अमूमन किसी देश विशेष से संबंध बता पाना मुश्किल होता है। होल्डिंग और क्रॉस होल्डिंग, संस्थापकों और कर्मचारियों की राष्ट्रीयता, अलग-अलग क्षेत्रों में मैन्यूफैक्चरिंग लोकेशन, इन सभी के चलते तसवीर बहुत जटिल हो जाती है और व्याख्या मुश्किल कर देती है। संस्थापक की खास राष्ट्रीयता या किसी देश में कारोबारी मुख्यालय होने का मतलब यह नहीं है कि कंपनी उसी देश से संबंधित है।”

भारतीय ब्रांडों के पास सीमित संसाधनों के कारण खासकर पिछले तीन-चार वर्षों में चीनी और उनके स्पांसर्ड ब्रांड भारतीय खेल जगत में छा गए हैं। चीन के ब्रांडों ने ऑनलाइन गेमिंग बिजनेस खासकर ई-स्पोर्ट्स यानी कंपटीटिव ऑर्गनाइज्ड वीडियोगेमिंग में प्रमुख जगह बनाई है। चीन से बड़ा निवेश पाने वाली एक ऑनलाइन वीडयो गेमिंग कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भारत अमेरिका की तरह ट्रेड वार शुरू करने की स्थिति में नहीं है। चीन के निवेश पर कोई सख्ती भी पूरी दुनिया में निवेशकों को गलत संदेश देगी। मुद्दों को आपसी समझ से सुलझाना ही बेहतर है।” उनका कहना है कि चीन के चुनिंदा निवेशों की समीक्षा करने से भी मौजूदा औद्योगिक माहौल प्रभावित होगा और गतिविधियां रुक जाएंगी, जिसका अर्थ होगा नौकरियों में और ज्यादा कटौती और रोजगार के अवसरों का भारी नुकसान। वे चेतावनी देते हैं कि भारत-चीन के बीच ट्रेड वार चीन से कहीं ज्यादा भारत को नुकसान पहुंचाएगा।

(साथ में ज्योतिका सूद)

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भारतीय ब्रांडों के पास संसाधन सीमित हैं, इसलिए चीनी और उनके स्पांसर्ड ब्रांड हाल के वर्षों में भारतीय खेल जगत में छा गए

 

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