अभिनेता कबीर बेदी के जीवन के अनेक पहलू ऐसे हैं जिनके बारे में लोगों को कम जानकारी है। मसलन, वे हॉलीवुड और यूरोप में कितने बड़े स्टार थे, वे कौन सी परिस्थितियां थीं जिनमें उन्हें तीन बार तलाक लेना पड़ा, उनके जीवन में अभिनेत्री परवीन बॉबी की क्या भूमिका थी, बेटे की मौत से वे किस तरह जूझते रहे। इन्हीं बातों को बेदी ने अपनी किताब स्टोरीज आई मस्ट टेल में पिरोया है। लक्ष्मी देबराय ने उनसे बात की। बातचीत के मुख्य अंशः-
किताब का ख्याल कैसे आया?
मैंने किताब इसलिए लिखी क्योंकि मुझे लगा कि कहानी बड़ी रोचक है, दूसरों को प्रेरणा दे सकती है, लोग इस कहानी से खुद को जोड़ सकते हैं। इसमें सबके सीखने के लिए कुछ न कुछ है। वर्षों से मैं यह किताब लिखना चाहता था। पिछले साल की शुरुआत में मुझे लगा कि अपनी कहानी का कहने का यही सही वक्त है। यह उस लड़के की कहानी है जो दिल्ली से बॉलीवुड आता है और अंतरराष्ट्रीय स्टार बन जाता है। मैंने चकाचौंध भरी दुनिया देखी है तो गलतियां भी की हैं। यह एक व्यक्ति के बनने, टूटने और फिर दोबारा बनने की कहानी है।
तो आपने लॉकडाउन का पूरा इस्तेमाल किया...।
कहानी करीब 10 साल से मेरे भीतर पक रही थी। करीब डेढ़ साल पहले मुझे एहसास हो गया कि कहानी को शब्दों में कैसे उतारना है। उसके बाद लॉकडाउन हो गया। इससे मुझे किताब पर फोकस करने का मौका मिला। बल्कि मैं तो कहूंगा कि लॉकडाउन में मैंने काफी काम किया है। रोजाना सुबह उठ कर चाय पीने के बाद तीन-चार घंटे लिखता था। मुझे बार-बार अपने अतीत की ओर देखना पड़ता था, अच्छे और बुरे दोनों पलों को। यह उन पलों को दोबारा जीने जैसा था। मैं लोगों को बताना चाहता था कि मेरे साथ क्या हुआ, वे बातें जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। लोगों ने अपने अपने तरीके से उनका मतलब भी निकाला। मैं मुश्किल दिनों से भी गुजरा और उन दिनों की भावनात्मक कहानियां भी हैं।
किताब के जरिए आप क्या कहना चाहते हैं?
बहुत सी बातें हैं। जैसे पूरे यूरोप में बतौर स्टार मेरी सफलता, जिसके बारे में भारत में कम लोग ही जानते हैं। वे हॉलीवुड में मेरे फिल्म करियर और मेरी प्रतिभा से वाकिफ नहीं। किताब में मैंने सीजोफ्रेनिया से ग्रसित बेटे के साथ अपने संघर्ष की कहानी भी लिखी है। मुझे लगता है कि मेरा जीवन अनेक लोगों के लिए रुचिकर होगा। मैंने कुछ भी छिपाने की कोशिश नहीं की है। पाठकों के लिए यह मनोरंजक होने के साथ-साथ सूचनात्मक भी होगी।
प्रोतिमा बेदी के साथ संबंधों के बारे में आपने क्या लिखा है?
जीवन में ऐसा समय भी आया जब प्रोतिमा के साथ मेरी शादी ‘खुली’ हुई थी। हम दोनों युवा और जोशीले थे। वे ‘फ्लावर पावर’ (1960 के दशक में फूल अहिंसा का प्रतीक बन गया था) के दिन थे। वह समय बीटल्स का था। दुनिया एक खास तरह से बदल रही थी। जब हमें लगा कि हमारी शादी आगे नहीं चल सकती है तो हम अलग हो गए।
क्या अब भी आप दिल से गैर रूढ़िवादी हैं?
मेरे भीतर यह बात हमेशा रहेगी। मुझे जीवन के पारंपरिक तौर तरीके पसंद नहीं हैं। मैंने हमेशा कुछ अलग करने की कोशिश की। मैं अब भी सृजन और अपने आप को व्यक्त करने के नए तरीके ढूंढ़ता रहता हूं। मुझे लगता है कि यह बात रचनात्मकता से आती है।
परवीन बॉबी से संबंध कैसे थे?
परवीन पर मैंने एक अलग अध्याय में मैंने संबंधों के बारे में बताया है। उनके प्रति मेरा प्रेम असाधारण और अत्यंत प्रबल था। इसलिए जब मैंने उन्हें मानसिक समस्या से जूझते हुए देखा तो मुझे भी काफी पीड़ा हुई थी। एक बात जो मुझे सबसे अधिक सालती है कि जब हमारे अलग होने के बाद परवीन भारत आईं तो पूरे भारतीय मीडिया ने यह दिखाने की कोशिश की कि मैंने उन्हें भावनात्मक रूप से तोड़ दिया है। परवीन के साथ मेरे जो संबंध थे, मीडिया ने उसके ठीक विपरीत दिखाया। मैंने किताब में इसके बारे में विस्तार से लिखा है।
किताब का सबसे भावनात्मक पक्ष क्या है?
किताब में तीन भावनात्मक अध्याय हैं। इनमें एक बेटे की मौत से जुड़ा है। आप चाहे जितनी कोशिश कर लें, बेटे को खोने का दर्द हमेशा बना रहता है। मेरे लिए यह सबसे कठिन अध्याय था। प्रोतिमा और परवीन के साथ मेरे रिश्ते भी भावनात्मक थे, लेकिन बेटे की कहानी से अधिक भावनात्मक और कुछ नहीं हो सकता। इस अध्याय में मैंने यह भी बताया है कि सीजोफ्रेनिया क्या करता है। मैंने इससे जुड़ी तमाम भ्रांतियां दूर करने की कोशिश की है।
शादी के बारे में आपका क्या ख्याल है?
मैं शाश्वत रोमांटिक व्यक्ति हूं। जिस स्त्री से प्रेम करता हूं उससे अपना जीवन साझा करना अच्छा लगता है। मैं किसी रिश्ते को आसानी से नहीं छोड़ता। अतीत में मेरे जो भी रिश्ते रहे हैं उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है। मुझे दुनिया घूमना और खूबसूरत जगहों को देखना पसंद है, और मैं उस स्त्री के साथ यह सब करना चाहता हूं जिसे मैं प्रेम करता हूं।