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बॉलीवुड/इंटरव्यू: अंतरराष्ट्रीय ख्याति से फिल्मों में बहुत मदद मिली

मिस एशिया पेसिफिक इंटरनेशनल खिताब जीतने के बाद 2000 में दीया मिर्जा हर घर में जाना पहचाना नाम बन गईं
दीया मिर्जा

मिस एशिया पेसिफिक इंटरनेशनल खिताब जीतने के बाद 2000 में दीया मिर्जा हर घर में जाना पहचाना नाम बन गईं। इन साल में उन्होंने कई तरह के अलग-अलग काम किए। पिछले दो दशकों में बॉलीवुड की लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक होने के अलावा, उन्होंने कई अन्य उपक्रमों में भी काम किया है। प्रतीक सुर से बातचीत में दीया मिर्जा ने अपने जीवन के कई सफे खोले। अंश:

एक क्षेत्र में महारत हासिल करने में सभी का ध्यान है, आप कई क्षेत्र में कैसे हाथ आजमा लेती हैं और समय निकाल पाती हैं?

पक्के तौर पर तो नहीं कह सकती कि मुझे कई बातों में महारत हासिल है या नहीं, लेकिन कह सकती हूं कि मैं निरंतरता की खोज में हूं। जब मैं ऐसा कुछ करती हूं, जिसमें उद्देश्य है, जुनून है या जो मुझे पसंद है, तो वक्त खुद ब खुद मिल जाता है। यह तब हो पाता है, जब घर पर मजबूत सपोर्ट सिस्टम हो। मेरे पास यह मां के रूप में है, मेरे पति के रूप में है, जो मेरे घर से बाहर होने के दौरान बेटे को संभालती हैं। मेरे पास एक शानदार टीम है, जो तय करती है कि काम बेहतर ढंग से समय-सीमा के भीतर हो।

आप प्रोड्यूसर है, सतत विकास लक्ष्यों के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की वकील हैं, यूएनईपी में गुडविल राजदूत हैं, वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की राजदूत हैं, सेव द चिल्ड्रन की आर्टिस्ट एंबेसेडर हैं, सेंचुरी नेचर फाउंडेशन की बोर्ड मेंबर हैं, आइएफएडब्लू की ग्लोबर एंबेसेडर हैं-क्या कुछ और है जो आप कर रही हैं और मुझसे छूट गया है?

हाल ही मैंने इको-इन्वेस्टर बनकर जागरूक पूंजीवाद के विचार को आवाज देने का प्रयास किया है। इसके अलावा मैं पहले से ही बीको, शूमी, ग्रीनडिगो और अल्टर जैसे ग्रीन ब्रांड्स के साथ जुड़ी हुई हूं। अब जरूरत है कि हम सस्टनेबल जीवन शैली को आदर्श के रूप में देखें न कि अपवाद के रूप में। ऐसा करने के लिए, जाहिर है ज्यादा से ज्यादा ग्रीन ब्रांड्स को मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता है।

महिलाओं को कुछ सुझाव दे सकती हैं कि परिवार और उससे जुड़ी सीमाओं के होते हुए वे कैसे समय का प्रबंधन करें?

मैं जल्दी सोती और जल्दी जागती हूं। करने वाले काम की मेरे पास सूची होती है। सोने से पहले उसे जरूर देखती हूं। नोट्स बनाती हूं। कभी उदास या बेचैनी महसूस करती हूं, या किसी बात के प्रति अनिश्चित रहती हूं, तो इसके बारे में लिखती हूं। एक और बात जो मैं करती हूं, काम सौंपना। उन लोगों को जो मेरी योजना के अनुसार काम करने में सक्षम हैं।

मातृत्व ने क्या बदला? किसी प्रोजेक्ट का चयन यह सोचकर करती हैं कि बच्चा बड़ा होने पर उस फिल्म या शो को देखेगा?

मातृत्व मेरे लिए कई तरह से परिवर्तनकारी रहा। हां, अब मैं बच्चे को ध्यान में रख कर फिल्मों का चुनाव करती हूं।

एक्टीविज्म हमेशा से आपको पसंद था या धीरे-धीरे सीखा?

इसका श्रेय मैं माता-पिता को देती हूं, जिन्होंने मुझे इस तरह की परवरिश दी। यह मेरे डीएनए में है। मैं उन लोगों में नहीं हूं, जो समाधान नहीं खोजते।

प्लास्टिक प्रदूषण, वन्यजीव संरक्षण या प्राकृतिक तरीके से रहने में परिवार भी शामिल रहे, इन बातों के लिए क्या करती हैं?

मैं और मेरा परिवार वातावरण को नुकसान न पहुंचाने वाले उत्पाद इस्तेमाल करता है। मेरा मानना है कि कोई भी बदलाव घर से ही शुरू होता है।

आप वीगन हो गई हैं?

पिछले तीन साल से वीगन हूं। किन्हीं कारणों से जब मैं बीमार हुई तो डॉक्टरों ने एनिमल बेस्ड प्रोटीन से दूर रहने की सलाह दी।

इसी गति से जलवायु परिवर्तन जारी रहा, तो क्या होगा?

महामारी के जोखिम को बढ़ाने के साथ-साथ यह सामाजिक असमानताओं को भी बढ़ा रहा है। हमने पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए, जहां सभी देश एक साथ आए और इस तथ्य को स्वीकार करते हुए समझौते पर हस्ताक्षर किए कि हमें तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की आवश्यकता है। पहले ही देश और दुनिया के कई हिस्सों में अत्यधिक गर्म हवा, मूसलाधार बारिश और अत्यधिक सूखे का अनुभव करना शुरू कर दिया है।

क्या किया जाए कि हमारे बच्चे भी उसी तरह आनंद ले सकें, जैसे हम या हमारे पूर्वजों ने लिया था?

हमें स्थायी जीवन-शैली को आदर्श के रूप में देखना शुरू करना होगा, न कि अपवाद के रूप में। अधिक ग्रीन ब्रांड को मुख्यधारा में आने की जरूरत है। यही एकमात्र तरीका है, इसी से हमारे बच्चों के पास भी वैसी ही धरती होगी जैसी हमारे पास थी।

अभी भी आप रहना है तेरे दिल में की रीना मल्होत्रा लगती हैं?

मैं खूबसूरती को उम्र से जोड़ कर नहीं देखती। मैं बहुत खुश, सुरक्षा की भावना से भरी हुई 41 वर्षीय महिला हूं, जो पिछले 23 वर्षों को कृतज्ञता की गहरी भावना के साथ देखती है।

रहना है तेरे दिल में को कल्ट का दर्जा मिल गया है। आज के दौर में यह फिल्म बनती तो क्या इसे दर्शक मिलते?

मुझे अब यह ऑफर हुई होती तो निश्चित तौर पर मैंने कुछ बातों पर सवाल उठाए होते और लेखक ने इसे बदला होता। मैं पीछा करने के एकदम खिलाफ हूं, जैसा कि फिल्म में था। हालांकि रीना नायक को उसके झूठ बोलने और पीछा करने के लिए उससे रिश्ता तोड़ लेती है लेकिन फिर नायक को पछतावा भी होता है। फिर भी पीछा करने के पीछ कोई तर्क काम नहीं करता। झूठ बोलना बुरा है और पीछा करना तो और भी बुरा है।

ओटीटी बूम आने से आखिरकार कलाकारों को उनका हक मिल रहा है और शानदार किरदार निभाने को मिल रहे हैं?

इसने कई लोगों के लिए अवसर के दरवाजे खोले। यह क्रिएटर्स के लिए बढ़ने और फलने-फूलने का बेहतरीन मंच है। अब यहां सितारों की भी दखल है, जैसा पहले नहीं होता था। तीन साल पहले ओटीटी जिस चीज का प्रतिनिधि था, नाटकीय रूप से वह बदल गया है। उम्मीद करती हूं कि ज्यादा से ज्यादा विविधता भरे शो को बड़ी संख्या में दर्शक मिलें।

क्या आपको 40 की उम्र में ज्यादा सार्थक चरित्र मिल रहे हैं, जो आपको फिल्म उद्योग ने अपनी युवावस्था में नहीं दिए। नायिकाओं के लिए ढलती उम्र क्या बीते दिनों की बात हो गई है?

मेरा मानना है कि बढ़ती उम्र से महिलाओं को जूझना ही पड़ता है। जब भी मैं किसी अच्छी फिल्म में शक्तिशाली चरित्र को निभाती हूं, तो मैं उस स्थिति को चुनौती देती हूं, उस गैप को भरती हूं, जो फिल्म उद्योग ने महिलाओं के लिए बनाए थे कि 35 के बाद वे कुछ खास तरह की भूमिकाएं ही निभा सकती हैं।

आपकी तरह ही कई अन्य अभिनेत्रियां दीपिका, प्रियंका, आलिया अपने दम पर प्रोड्यूस कर रही हैं। बदलाव को कैसे देखती हैं?

मुझसे कहा गया था कि यह बहुत कठिन काम है और यह क्षेत्र महिलाओं के लिए नहीं है। फिल्मों का निर्माण करने वाली पर्याप्त अभिनेत्रियां नहीं थीं। एक या दो की किन्हीं बड़े सितारों के साथ साझेदारी थी। उदाहरण के लिए, जूही चावला और शाहरुख खान ने रेड चिलीज जैसी प्रोडक्शन कंपनी की स्थापना की। जैसे ही कोई अभिनेत्री एक्टिंग से अलग कुछ करती है, लोग कयास लगाने लगते हैं कि इनकी अभिनय में रुचि नहीं है और ये अब ये कभी अभिनय नहीं करेंगी और फिल्में प्रोड्यूस करेंगी। महिलाएं और पुरुष विभिन्न भूमिकाएं निभा सकते हैं और एक साथ अलग-अलग काम कर सकते हैं और हर काम में प्रभावी हो सकते हैं।

सोशल मीडिया की सक्रियता स्वाभाविक है या थकाऊ लगती है? आखिर, लगातार पेज पर कुछ न कुछ पोस्ट करते रहना पड़ता है।

सोशल मीडिया का उपयोग जीवन के अनुभव साझा करने के लिए करती हूं। सोशल मीडिया पर पोस्ट डालने के लिए मैं खुद पर दबाव नहीं बनाती।

कोई हालिया फिल्म या शो जिसे आपने देखा और महसूस किया कि काश! मैं इसका हिस्सा होती?

मैं हमेशा से ही किसी पीरियड ड्रामा या ऐतिहासिक कहानी का हिस्सा होना चाहती हूं। आश्चर्य होता है कि अब तक किसी ने मुझे ऐसी भूमिका दी क्यों नहीं।

मिस एशिया पेसिफिक इंटरनेशनल न जीता होता तो क्या फिल्मों में आ पातीं। दूसरे करियर प्लान क्या थे?

एशिया पैसिफिक जीतने के बाद से ही मुझे फिल्मों के ऑफर मिलने लगे। फिल्में हमेशा मेरी यात्रा का हिस्सा थीं। जाहिर सी बात है, अंतरराष्ट्रीय ख्याति ने फिल्मों में कदम रखने में मेरी मदद की। अब जब मैंने फिल्म के रूप में अपना प्यार और खुशी खोज ली है, तो मुझे मुझे नहीं लगता कि मुझे कोई और रास्ता खोजने की जरूरत है।

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