हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार में ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभाने वाली जननायक जनता पार्टी (जजपा) के पांच विधायकों ने मंत्री पद न मिलने से बगावती तेवर अपना लिए हैं। विपक्ष भी एक के बाद एक घोटालों के आरोप में जजपा को घेर रहा है। दस माह के कार्यकाल में सबसे ज्यादा घोटालों के आरोप उप-मुख्यमंत्री और जजपा प्रमुख दुष्यंत चौटाला के अधीन विभागों पर ही लगे हैं। इन मुद्दों के साथ मंत्रिमंडल विस्तार और अन्य विषयों पर उनसे आउटलुक के हरीश मानव ने बात की। प्रमुख अंश:
गठबंधन सरकार में लगातार घोटाले के आरोप लग रहे हैं। इनमें अधिकतर विभाग आपके पास हैं। आप क्या कहेंगे?
ये घोटाले नहीं हैं। घोटाला वह होता है जिसे छुपाया जाए। हमने तो इन्हें उजागर किया है। मेरे विभागों में कार्यरत अफसरों की टीम सक्षम है। इनकी सख्ती से ही अनियमितताएं तुरंत पकड़ी जा रही हैं। वरना एक दो साल बाद यही अनियमितताएं सीएजी उजागर करता तो घोटाला बता सवाल उठना वाजिब था।
जजपा विधायकों का आरोप है कि 11 महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार एक साथ संभालना आपके लिए मुश्किल हो रहा है।
पांच वर्ष सांसद के तौर पर भी मैं संसद में कई कमेटियों का सदस्य रहा हूं। 11 महत्वपूर्ण विभागों को 10 महीने से बखूबी संभाल रहा हूं। इन विभागों में बहुत से वही अफसर हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री रहे मेरे पड़दादा चौधरी देवीलाल और दादा ओमप्रकाश चौटाला के साथ काम किया। इसलिए किसी विभाग का काम बेहतर ढंग से करने में मेरे समक्ष कोई चुनौती नहीं है।
आपके चाचा अभय चौटाला यह कह रहे हैं कि सरकार गिरने के डर से दुष्यंत पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।
गठबंधन सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त शासन में मेरा जोर अनियमितताओं को उजागर करना और दोषियों को सामने लाना है। भविष्य में भी मेरे ये प्रयास जारी रहेंगे। भ्रष्टाचार के मामले में किसी तरह की ढील नहीं बरती जाएगी।
दस बड़े घोटाले के आरोप हैं। बार-बार आापके विभाग ही निशाने पर क्यों आ रहे हैं? यह भाजपा की दबाव की रणनीति तो नहीं?
मंडियों में खरीद हर साल होती है, खरीद प्रक्रिया की जांच आज तक नहीं हुई। मैंने तो विधानसभा में भी कहा है कि दो दशक में कहीं किसी को फसलों की खरीद में धांधली की आशंका है तो वह हमें लिखित में दे, हम जांच करवाएंगे। मैं इसमें किसी तरह की सियासत नहीं देखता। गठबंधन में कोई दबाव नहीं है।
शराब घोटाले में आपने जिन वरिष्ठ अधिकारियों को क्लीन चिट दी, उन पर गृह मंत्री अनिल विज ने विजिलेंस ब्यूरो की कार्रवाई के आदेश दिए हैं। यह टकराव की स्थिति क्यों?
टकराव जैसी कोई बात नहीं है। मुख्यमंत्री द्वारा गठित एसईटी की सिफारिशों के आधार पर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई कार्रवाई की जाएगी।
रजिस्ट्री घोटाले में अभी तक की जांच में क्या उजागर हुआ और क्या कार्रवाई की गई?
लॉकडाउन-दो के समय रजिस्ट्री की प्रक्रिया खोली गई थी। हमने पाया कि बहुत सी रजिस्ट्री बगैर एनओसी के हो रही थीं। बगैर एनओसी केवल कृषि भूमि की रजिस्ट्री होती है। यहां रिहायशी और कॉर्मशियल इलाकों में भी रजिस्ट्रियां कृषि भूमि दिखाकर बगैर एनओसी के हो रही थीं। कोताही बरतने वाले छह अधिकारी निलंबित किए गए हैं। इन के खिलाफ गुरुग्राम, मानेसर और बादशाहपुर में आइपीसी की धारा 420 के तहत मामले भी दर्ज किए गए हैं।
कोरोना के चलते राजस्व संग्रह पर कितना असर पड़ा है। क्या प्रदेश की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है?
कोविड के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है। हमने केंद्र सरकार से मांग की है कि 2022 में जीएसटी लागू होने के पांच वर्ष के बाद भी राज्यों को जीएसटी की क्षतिपूर्ति जारी रहनी चाहिए। क्षतिपूर्ति के 5,840 करोड़ रुपये चार महीने से लंबित हैं, उसके जल्द भुगतान की मांग मैंने जीएसटी काउंसिल की बैठक में उठाई थी।
आपकी पार्टी को गठबंधन के कोटे से एक मंत्री पद मिलना बाकी है। क्या अगले मंत्रिमंडल विस्तार में इसकी संभावना है?
हमारे किसी वरिष्ठ विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। सरकार का एक वर्ष अक्टूबर में पूरा हो रहा है, संभवतः तब तक मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाए।
पार्टी के चार-पांच विधायकों के बागी सुर अभी थमे नहीं हैं। क्या कोई पद न मिलने से इन विधायकों में नाराजगी है?
विधायकों को कई अहम जिम्मेदारियां दी जानी हैं। इसके लिए दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व विचार करेगा।
नाराज विधायकों का कहना है कि सरकार में भागीदार होने के बावजूद उनके हलकों में विकास के कार्य नहीं हो रहे हैं?
सरकार की सोच पूरे प्रदेश में एक समान विकास कार्य करने की है। यह कांग्रेस की सोच रही है कि विकास कार्य उसी इलाके तक सीमित रहते थे जहां के मुख्यमंत्री होते थे।
अभी तक के 10 महीने के कार्यकाल को आप कैसे देखते हैं? सरकार के चुनावी वादे पूरे करने की दिशा में क्या तैयारी है?
गठबंधन सरकार के 10 महीने भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी रहे हैं। पिछली सरकारें घोटाले करके छिपाती रहीं जो उन सरकारों के जाने के बाद उजागर हुए हैं। हमने कई विभागों की अनियमितताएं उजागर कर उन्हें दुरुस्त किया है। विकास के साथ सरकार का जोर ‘गुड गर्वनेंस’ पर है। हरियाणा के युवाओं को निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 फीसदी आरक्षण जैसे कई बड़े वादों पर काम चल रहा है। महिला सशक्तीकरण की दिशा में हमने पंचायतों में 50 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने की पहल की है।