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क्रिकेट/इंटरव्यू/हरभजन सिंह: “मैंने ऐसे गेंदबाजी की जैसे कल होगा ही नहीं”

बीस साल के उभरते ऑफ स्पिनर भज्जी ने तीन टेस्ट मैच की श्रृंखला में 32 विकेट चटका कर मैन ऑफ द सीरीज अपने नाम किया था
हरभजन सिंह

परिस्थिति कैसी भी हो, जीत का हौसला होना चाहिए। यह बात हरभजन सिंह पर बिलकुल सटीक बैठती है। कप्तान सौरव गांगुली के आग्रह पर उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के लिए राष्ट्रीय टीम में दोबारा शामिल किया गया था, और इसने उनका करिअर ही बदल दिया। बीस साल के उभरते ऑफ स्पिनर भज्जी ने तीन टेस्ट मैच की श्रृंखला में 32 विकेट चटका कर मैन ऑफ द सीरीज अपने नाम किया था। हरभजन ने कोलकाता में खेले गए दूसरे टेस्ट में 13 विकेट लिए। इसमें टेस्ट मैच में किसी भारतीय की तरफ से पहली हैट्रिक भी शामिल है। आउटलुक के सौमित्र बोस के साथ उन्होंने इन तमाम मुद्दों पर बात की। पेश हैं मुख्य अंशः

 

ईडेन गार्डन्स की जीत आपकी यादों में कैसे दर्ज है?

सब कुछ कल की तरह ताजा लगता है। मैदान पर जाने से पहले मैं थोड़ा नर्वस था। हम 0-1 से पीछे थे और दादा (सौरव) फिर टॉस हार गए थे। चौथी पारी में हम गेंदबाजी करना चाहते थे, लेकिन अचानक नाटकीय रूप में चीजें बदल गईं! वह क्रिकेट का शानदार खेल था। मैं इससे बेहतर टेस्ट मैच का हिस्सा कभी नहीं रहा। एक व्यक्ति के रूप में, इसने मुझे इतना आत्मविश्वास दिया कि अंत में मुझे लगा मैं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का हिस्सा हूं और वहां खेल सकता हूं।

उस हैट्रिक ने भारत को पहले दिन खेल में वापस ला दिया...

मैथ्यू हेडन हमारे गेंदबाजों को बुरी तरह मार रहे थे, लेकिन चाय के बाद मेरी हैट्रिक ने अचानक चीजों को बदल दिया। मैंने पहली बार पांच विकेट लिए थे, लेकिन मैंने ज्यादा जश्न नहीं मनाया क्योंकि स्टीव वॉ अभी बल्लेबाजी कर रहे थे और हमें अगले दिन हर हालत में वापसी करनी थी। हमें ऑस्ट्रेलिया को 350 के भीतर रोकना था।

एक किताब की लांचिंग के मौके पर गांगुली ने कहा था कि आपने और लक्ष्मण ने उनकी कप्तानी बचाई थी...।

मुझे नहीं पता कि मैंने दादा की कप्तानी बचाई या नहीं, लेकिन मैंने अपना करिअर जरूर बचाया था। हममें से कई लोग टीम में अपनी जगह बचाने की कोशिश कर रहे थे। मैंने चार घरेलू मैचों में 28 विकेट लिए और अनिल कुंबले चोट के कारण खेल नहीं रहे थे। इसने मेरे लिए दरवाजे खोले।

इससे आपको बहुत प्रेरणा मिली होगी...।

मैं ऐसे खेल रहा था, जैसे कल होगा ही नहीं। तब से मेरी यही शैली रही। मेरा करिअर दांव पर था; उन 13 विकेटों ने निश्चित रूप से टीम की मदद की। कोलकाता मैच के बाद, हमें विश्वास होने लगा कि हम ऑस्ट्रेलिया को हरा सकते हैं।

ईडेन की जीत को आप भारतीय क्रिकेट इतिहास में कहां रखते हैं?

कपिलदेव की टीम ने जब 1983 का विश्व कप जीता, तो उसने मुझ जैसे अनेक युवाओं को प्रेरित किया। मुझे लगता है, 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत भी उतनी ही प्रेरणादायक थी और इसने टीम इंडिया के लिए खेलने के इच्छुक युवाओं में जोश भरा। हम देख सकते हैं कि कैसे वर्तमान पीढ़ी ने विरासत को आगे बढ़ाया है। मुझे यकीन है कि 2001 की जीत ने इसमें कुछ भूमिका निभाई होगी।

भारत जब 171 पर ऑलआउट हो गया और फॉलोऑन खेलने के लिए कहा गया, तो ड्रेसिंग रूम में क्या बात हुई?

ड्रेसिंग रूम बहुत शांत था। हम अपने प्रदर्शन से खुश नहीं थे, लेकिन यह दृढ़ निश्चय था कि चीजों को सुधारा जा सकता है। राहुल और लक्ष्मण ने अविश्वसनीय खेल खेला। मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि मैकग्रा और वार्न के खिलाफ दो बल्लेबाज पूरे दिन बल्लेबाजी कर सकते हैं।

फॉर्म में चल रहे ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों के सामने गेंद डालना कैसा था?

मुझे अपने कौशल पर पूरा भरोसा था। स्टीव वॉ मेरे रोल मॉडल थे। लेकिन जब उनके खिलाफ मुकाबला था, तो मैं केवल यही सोच रहा था कि उन्हें आउट कैसे किया जाए। मेरे जिम्मे बस एक काम था, कप्तान की निर्धारित फील्डिंग पर गेंदबाजी करना। खुशी है कि मैंने ऐसा किया।

उस सीरीज के लिए आपने तैयारी कैसे की?

मैंने बहुत कड़ी मेहनत की। हमने सीरीज से पहले चेन्नई में लंबा शिविर लगाया था और हमने काफी स्पॉट गेंदबाजी की थी। किसी खास बल्लेबाज के लिए गेंदबाजी पर बहुत जोर दिया गया। इस तरह तैयारी का पूरा श्रेय दादा और कोच जॉन राइट को जाता है।

सचिन का योगदान कितना महत्वपूर्ण था?

आप उन्हें खेल से कभी दूर नहीं कर सकते। जब वे रन नहीं बना रहे होते हैं, तब वे विकेट चटका रहे होते हैं। पांचवें दिन मैं चाय के बाद अपने छोर से ऑस्ट्रेलिया पर हमला कर रहा था, लेकिन दूसरे छोर पर कुछ हो ही नहीं रहा था। तब सचिन ने हमारे लिए तीन विकेट लेकर रास्ता खोला। हम इस तरह के योगदान को भूल जाते हैं, लेकिन सचिन के उस स्पेल का योगदान मेरे सात विकेट (पहली पारी में) के समान है, जिससे नतीजे हमारे पक्ष में आए। उन्होंने हेडन और गिलक्रिस्ट जैसे शीर्ष बल्लेबाजों के साथ वार्न का भी विकेट लिया। गिलक्रिस्ट का विकेट मिलना मैच विनिंग पॉइंट की तरह था।

ईडेन गार्डन्स की पिच कैसी थी?

यदि पिच ने भूमिका निभाई होती, तो खेल पांच दिन नहीं चलता। विकेट सही था और दोनों टीमों ने काफी रन बनाए। निश्चित रूप से वह तीन दिन का विकेट नहीं था। पिच अंत तक ठीक थी।

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