कोरोना, किसान और कांग्रेस के तीन ‘क’ से जूझते हुए हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने अप्रैल में ढाई वर्ष पूरे कर लिए हैं। कोरोना के कहर से निपटने की चुनौती और किसानों की लामबंदी मंद हुई तो सरकार ने राहत की सांस ली, मगर विपक्षी दल कांग्रेस की बेरोजगारी, नौकरी भर्ती घोटाला, निजी नौकरियों में आरक्षण जैसे मुद्दों पर सदन के भीतर-बाहर सरकार की घेराबंदी जारी है। घेराबंदी से पार पाने के सरकार के प्रयासों पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने आउटलुक के हरीश मानव के सवालों के जवाब बड़ी बेबाकी से दिए। प्रमुख अंश:
यूक्रेन से लौटे हरियाणा के करीब 1700 छात्रों में से ज्यादातर एमबीबीएस के छात्र हैं, जिनकी डिग्री बीच में छूट गई। ऐसे छात्रों की मदद के लिए सरकार क्या कदम उठाने जा रही है?
केंद्र और राज्य के संयुक्त प्रयासों से हम अपने अधिकतर लोगों को वहां से सकुशल निकालने में सफल रहे हैं। डिग्री बीच में न छूटने पाए इसके लिए केंद्र सरकार और मेडिकल कमीशन से विचार-विमर्श चल रहा है। पढ़ाई जारी रखने के लिए यूक्रेन के मेडिकल कॉलेजों ने ऑनलाइन क्लास का शेड्यूल भी जारी किया है।
प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की फीस एक करोड़ रुपये तक है। इसलिए यहां के छात्र यूक्रेन व अन्य देशों में कम फीस की वजह से पढ़ाई के लिए जा रहे हैं। क्या सरकार ऐसी नीति पर विचार कर रही है, जिससे इसे को रोका जा सके?
हरियाणा के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के लिए 10 लाख रुपये का वार्षिक बॉन्ड हरियाणा शिक्षा ऋण गारंटी स्कीम के तहत बैंकों से ऋण लेने की सुविधा है। कोर्स पूरा होने पर वह डॉक्टर हरियाणा में सेवा करता है तो यह ऋण भी हरियाणा सरकार भरेगी। प्रदेश से प्रतिभा पलायन रोकने के लिए अन्य प्रोफेशनल कोर्सेज में भी ऐसी ही व्यवस्था करने पर विचार कर रहे हैं।
किसी भी राज्य के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं अति महत्वपूर्ण होती हैं। इन दोनों क्षेत्रों में सरकार द्वारा कौन से तीन बड़े कदम उठाए गए हैं?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है। स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक की शिक्षा को कौशल के साथ जोड़ा गया है। केजी से पीजी तक की शिक्षा एक ही परिसर में देने पर कार्य किया जा रहा है। हमारा लक्ष्य हर जिले में कम से कम एक विश्वविद्यालय और एक मेडिकल कॉलेज खोलने का है।
दो वर्ष तक कोरोना के असर से अर्थव्यवस्था भी अछूती नहीं रही। बजट के आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि राजस्व घाटा कम हुआ है, क्या राज्य की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पटरी पर लौट आई है?
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में हरियाणा के 3.4 प्रतिशत के वर्तमान योगदान को 4 प्रतिशत करने का लक्ष्य है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 1,77,255.99 करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव किया गया है। कुछ वर्षों से कुल व्यय में पूंजीगत व्यय का हिस्सा बढ़ा है, जबकि राजस्व व्यय में कमी आई है। राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आई है। 2014-2021 की अवधि में हरियाणा की जीडीपी 6.47 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ी है।
अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आपकी सरकार ने कौन से उपाय किए हैं?
हमने तीन प्रमुख उद्देश्यों-अंत्योदय की भावना से गरीब का कल्याण, प्रभावी आय पुनर्वितरण रणनीतियों के साथ उत्पादकता में वृद्धि और रोजगार एवं उद्यमिता सृजन के लिए एक रणनीति तैयार की है। हमारा दृष्टिकोण विकेन्द्रीकृत शासन के सुदृढ़ीकरण और नागरिक-केंद्रित विकास को मजबूत करने का है।
विपक्ष का आरोप है कि आपके दोनों बजट में गठबंधन की सरकार की किसी भी चुनावी घोषणा को शामिल नहीं किया गया है। बुजुर्गों को 5,100 रुपये मासिक पेंशन का वादा करने वाली यह सरकार अपने वादे से पीछे हटी है।
विपक्ष का काम सरकार के हर काम पर सवाल खड़े करना है। चुनावी वादे पूरे करने के साथ हमें प्रदेश की आर्थिक हालात को भी ध्यान में रखना है। जहां तक वृद्धावस्था सम्मान भत्ता की बात है तो हम इसे लेकर रत्तीभर भी पीछे नहीं हटे हैं। हमने वृद्धावस्था सम्मान भत्ता बढ़ाकर 2500 रुपये प्रतिमाह किया, जो कांग्रेस के समय 1000 रुपये था।
विपक्ष का कहना है कि हरियाणा के गठन के 48 (1966 से 2014) वर्ष में प्रदेश पर 70,931 करोड़ रुपये कर्ज का बोझ था, जो आपकी सरकार के करीब साढ़े सात साल के कार्यकाल में 300 प्रतिशत बढ़कर सवा दो लाख लाख करोड़ रुपये हो गया है।
विपक्ष सात वर्ष से यही कह रहा है। 2013-14 में राज्य के 72,263 करोड़ रुपये ऋण में बिजली कंपनियों की उदय योजना के लिए लिया गया 25,950 करोड़ रुपये का ऋण शामिल नहीं था। इसे मिलाकर ऋण राशि 1,02,213 करोड़ रुपये थी।
‘ईज़ ऑफ डुइंग बिजनेस’ में हरियाणा की रैंकिंग 16वें पायदान पर है। इस दिशा में सुधार के क्या कदम उठाए गए?
‘हरियाणा उद्यम एवं रोजगार नीति-2020’ में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए आवश्यक भूमि, श्रम, बिजली, पर्यावरण संबंधी विभिन्न सुधार और नियमों का सरलीकरण किया गया है। 56 सेवाओं को सेवा का अधिकार अधिनियम के दायरे में लाया गया है। नए उद्योग को 20 वर्ष तक बिजली-शुल्क में छूट दी गई है। जो उद्योग हरियाणा के व्यक्तियों को रोजगार देंगे, उन्हें 7 वर्ष तक प्रति कर्मचारी प्रतिवर्ष 48 हजार रुपये तक सब्सिडी मिलेएगी। उद्योगों की ‘कॉस्ट ऑफ डूइंग बिजनेस’ कम करने के लिए औद्योगिक प्लाटों की लीजिंग पॉलिसी बनाई है।
15 जनवरी से लागू की गई हरियाणा एंटरप्राइजेज प्रमोशन पॉलिसी के तहत निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण के लिए 5 वर्ष के डोमिसाइल की शर्त है। विपक्ष का आरोप है कि सियासी फायदे के लिए यह शर्त वृद्धावस्था पेंशन समेत कई समाज कल्याणकारी योजनाओं में लागू करने से प्रदेश की ‘डेमोग्राफी’ बदल जाएगी?
‘स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन अधिनियम, 2020’ से हरियाणा में उद्योगों को कोई नुकसान नहीं होगा। यह अधिनियम निजी क्षेत्र में उन पदों पर लागू नहीं होता, जिनका वेतन 30 हजार रुपये मासिक से अधिक है। ऐसा कानून बनाने वाला हरियाणा पहला राज्य नहीं है। मध्य प्रदेश ने 70 प्रतिशत, आंध्र प्रदेश ने 75 और कर्नाटक ने 70 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की है। जहां तक डोमिसाइल का सवाल है तो अप्रैल 1975 में राज्य सरकार ने हरियाणा का मूल निवासी होने के लिए प्रदेश में निवास की 3 वर्ष की समय-सीमा निर्धारित की थी। यह शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश, छात्रवृत्ति और अन्य रियायतें प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था। हरियाणा में पांच साल या उससे अधिक समय से रहने वालों को डोमिसाइल देने का प्रावधान है।
सीएमआइई के डाटा के मुताबिक 34 फीसदी की दर से हरियाणा बेरोजगारी में देश में पहले नंबर पर है। विपक्ष भी लगातार आपकी सरकार को घेर रहा है। इस दिशा में क्या ठोस कदम उठाए जा रहे हैं?
सीएमआइई लाभ कमाने के लिए बनाई गई निजी स्वामित्व वाली कंपनी है। उसे निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता। उसकी रिपोर्ट में प्रदेश में दिसम्बर, 2021 में 34.1 प्रतिशत बेरोजगारी का आंकड़ा बताया गया है, उसके ठीक एक महीने बाद जनवरी, 2022 में हरियाणा में बेरोजगारी दर 23.4 प्रतिशत दिखाई गई है। मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि एक महीने में बेरोजगारी दर 11 प्रतिशत कैसे घट गई।
भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड में हरियाणा का प्रतिनिधित्व केंद्र ने खत्म कर दिया है। ऐसे में एसवाईएल के पानी में राज्य के हक की लड़ाई कमजोर पड़ सकती है?
25 नवंबर, 2021 को प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक में मैंने आग्रह किया कि केंद्रीय विद्युत मंत्रालय को निर्देश दिया जाए कि बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति पिछली परंपरा के अनुसार की जाए और हरियाणा से सदस्य (सिंचाई) और पंजाब के सदस्य (विद्युत) की स्थिति यथावत रखी जाए। बोर्ड के सदस्य की नियुक्ति के लिए केन्द्र सरकार ने 23 फरवरी, 2022 को अधिसूचना जारी की है।
आपकी सरकार साढ़े सात साल से एक लाख सरकारी नौकरियां बगैर पर्ची-खर्ची देने का दावा कर रही है, परन्तु प्रतियोगी परीक्षाओं के पर्चे बार-बार लीक होने के कई मामले हुए। इसकी पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
परीक्षाओं की शुचिता को बनाए रखने के लिए ‘हरियाणा लोक परीक्षा अनुचित साधन निवारण विधेयक, 2021‘ पारित करवाया गया है। पेपर लीक या नकल के दोषी को दो साल तक भर्ती परीक्षा से वंचित करने, दो से दस साल तक की सजा और 5 हजार से 10 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।