अयोध्या विवाद इकबाल अंसारी को विरासत में मिला है। उनके पिता हाशिम अंसारी कोर्ट में बाबरी मस्जिद के पक्षकार थे। 2016 में पिता की मृत्यु के बाद इकबाल अंसारी इस मामले में नए वादी बने। अयोध्या प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए उन्हें न्योता भी मिला है।
अयोध्या विवाद में मस्जिद पक्ष की तरफ से आप वादी थे। अब क्या माहौल है?
अयोध्या में अब कोई विवाद नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद सब खत्म हो गया है। इन चार साल में अयोध्या में मंदिर भी बन रहा है और अब प्राण प्रतिष्ठा भी होने जा रही है। मैं अयोध्या नगरी का वासी हूं। यहां रहने वाले हर दूसरे आदमी से मेरी पहचान है। मुझे भी कार्यक्रम में जाने का न्योता मिला है। मैं जाऊंगा।
कोर्ट में लंबा मामला चला। क्या यह विवाद बहुत पहले ही खत्म हो जाना चाहिए था?
हर चीज समय से होती है। हम इस मामले को बढ़ाना नहीं चाहते थे। 2010 में हाइकोर्ट के निर्णय के बाद हमने कुछ नहीं किया। निर्मोही अखाड़ा इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले गया। मामला वहीं 10 साल अटका था।
क्या अयोध्या में गंगा-जमुनी तहजीब इन विवादों से प्रभावित हुई है?
अयोध्या में हिंदू-मुसलमान हमेशा एक साथ रहे हैं। मेरे पिता जी कहते थे कि यहां कभी धार्मिक माहौल नहीं बिगड़ा। राजनीति करने वाले बाहर से आए और अपनी राजनीति करके चले गए।
मस्जिद निर्माण के लिए मुसलमान पक्ष को 5 एकड़ जमीन मिली थी। उसे बनने में क्यों देरी हो रही है?
यह सुन्नी वक्फ बोर्ड बताएगा। मेरे समझ से हिंदुस्तान के मुसलमानों की उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। चंदा कोई नहीं दे रहा है। वैसे भी, जमीन जहां मिली है उसके आस-पास कई मस्जिदें हैं।
मथुरा और काशी का मुद्दा भी उठाया जा रहा है। आप क्या कहेंगे?
मैं राजनीति नहीं करता हूं। अयोध्या में शांति है। दूसरी जगह क्या हो रहा है उसे राजनीतिक पार्टियां जानें। मैं कुछ नहीं कहना चाहता हूं।