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हरियाणा: “अविश्वास ग्रस्त कांग्रेस के मंसूबों पर फिरा पानी”

कोरोना, किसान, कृषि-कानून और कांग्रेस के चार ‘क’ के फेर में हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार फंसी नजर आ रही है
मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर

कोरोना, किसान, कृषि-कानून और कांग्रेस के चार ‘क’ के फेर में हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार इस कदर फंसी नजर आ रही है कि उसके बाकी कामकाज पर किसी की नजर ही नहीं है, जबकि मौजूदा बजट में भी अर्थव्यवस्था  को उबारने के प्रयास दिखे। विधानसभा में कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव तो गिर गया, लेकिन प्रदेश में किसानों के सामाजिक बहिष्कार से सरकार और उसके मंत्रियों-विधायकों का चंडीगढ़ से बाहर निकलना दूभर हो गया है। इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर सदन में एक पंक्ति का प्रस्ताव ले आए कि समाज का कोई वर्ग या संगठन किसी राजनैतिक पार्टी के नेता का बहिष्कार करता है तो यह सदन उसकी निंदा करता है। लंबे समय तक खुद कोरोना ग्रस्त रहे मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य, सियासत, किसान आंदोलन और आर्थिक मोर्चे से जुड़े तमाम सवालों पर आउटलुक के हरीश मानव से विस्तृत बातचीत की। प्रमुख अंश:

 

विधानसभा में कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव तो गिर गया, पर लगता है मुश्किलें बनी हुई हैं।

अविश्वास कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। खुद अविश्वास ग्रस्त कांग्रेस के मंसूबों पर 56 विधायकों ने पानी फेर दिया। सत्ता हथियाने की कांग्रेस की साजिश यहां कभी कामयाब नहीं होगी। भाजपा-जजपा की गठबंधन सरकार बेहतर तरीके से चल रही है और यह पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी।

केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध जारी है। किसानों और खाप पंचायतों ने भाजपा-जजपा नेताओं का बहिष्कार किया है। आपकी सरकार किसानों में विश्वास का माहौल नहीं बना पाई?

किसान हमारे भाई हैं। कैमला (करनाल) में मेरे एक कार्यक्रम का विरोध हुआ, जिसे देखते हुए मैंने मौके से ही चंडीगढ़ वापस लौटना उचित समझा। अभी वे कांग्रेस के बहकावे में हैं पर तीनों कृषि कानून किसानों के हित में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी लोकसभा में कहा है कि ये कानून वैकिल्पक हैं और किसी भी किसान पर थोपा नहीं गया है। लेकिन प्रधानमंत्री जी की लोकप्रियता और उनकी नीतियों के विरुद्ध विपक्ष को जब कोई भी मुद्दा नहीं मिला तो उसने इन कानूनों को लेकर किसानों को बरगला दिया। किसान आंदोलन की आड़ में कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल अपनी राजनैतिक रोटियां सेंक रहे हैं। तथाकथित किसान नेताओं की एक लॉबी है, जो सरकार के खिलाफ राजनैतिक एजेंडे पर काम कर रही है।

कोरोना संक्रमण फिर बढ़ने लगा है। नियंत्रण के लिए क्या रणनीति है?

हरियाणा में कोरोना नियत्रंण में है। अब तक 2.72 लाख व्यक्ति संक्रमित हुए हैं, इसमें 2.67 लाख ठीक हो चुके हैं। मरीजों की रिकवरी दर 98.38 प्रतिशत है। 1348 एक्टिव मरीज निगरानी में हैं। टेस्ट बढ़ाए जा रहे हैं। बड़े पैमाने पर टीकाकरण के तीसरे चरण में 60 साल से अधिक आयु और गंभीर रोगों से पीड़ित 45 साल से अधिक आयु के व्यक्तियों का टीकाकरण किया जा रहा है। अभी तक तीन लाख से अधिक व्यक्तियों का टीकाकरण हो चुका है।

कोरोना संकट में राज्य की आर्थिक सेहत पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। राजस्व का बड़ा नुकसान हुआ है। मौजूदा वित्त वर्ष में इसका कोई आकलन किया गया है? राज्य की माली हालत कैसी है?

वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही, अप्रैल से सिंतबर में 17,000 करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ। अक्टूबर 2020 से आर्थिक दशा में तेजी से सुधार हुआ है। अक्टूबर 2020 से जनवरी 2021 दौरान राजस्व संग्रह 29,082 करोड़ रुपये रहा है जबकि अक्टूबर 2019 से जनवरी 2020 के दौरान यह 21,896 करोड़ रुपये था।

मौजूदा परिस्थितयों में कब तक अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आएगी?

हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौट रही है। अक्टूबर 2020 से जनवरी 2021 तक के चार महीनों की राजस्व प्राप्तियां गत वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 7,190 करोड़ रुपये ज्यादा है। यह वित्त वर्ष समाप्त होते-होते अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पटरी पर लौट आएगी।

कोरोना महामारी के बीच गेहूं, धान और अन्य फसलों की कटाई और मंडियों में खरीद भी बड़ी चुनौती रही है। खरीदारी सामान्य बनाए रखने के मोर्चे पर सरकार कितनी सफल रही?

बिजाई से लेकर बाजार तक हम किसानों के साथ खड़े हैं। प्राकृतिक आपदा के कारण फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए पिछले 6 साल में 2812 करोड़ रुपये का मुआवजा सरकार ने और 2981 करोड़ रुपये के बीमा क्लेम दिये गये हैं। ‘एकमुश्त ऋण निपटान’ योजना में 1002 करोड़ रुपये की ब्याज व जुर्माना राशि माफ की है। ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में 1856 करोड़ रुपये किसानों के बैंक खातों में डाले हैं। ‘‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा‘‘ ई-खरीद पोर्टल के जरिए खरीफ-2020 सीजन में सीधे 9.5 लाख किसानों के खातों में 17 हजार करोड़ रुपये जमा किए हैं। पहले यह भुगतान किसानों को आढ़तियों के जरिए होता था।

कोरोना काल में शिक्षा पर भी बड़ा प्रतिकूल असर पड़ा है। ज्यादातर शैक्षिक सत्र ऑनलाइन ही गुजरा पर ग्रामीण इलाकों में ऑनलाइन सेवाएं सुचारू न होने से शिक्षा प्रभावित हुई। ऐसे में क्या कदम उठाए गए हैं जिससे विद्यार्थियों का मौजूदा शैक्षणिक सत्र व्यर्थ न हो?

गत वर्ष कोरोना के कारण हमें सभी स्कूल-कालेजों को बंद करना पड़ा। लेकिन शिक्षा पर कोई खास असर नहीं पड़ा। हमने ऑनलाइन और टीवी के माध्यम से विद्यार्थियों की शिक्षा जारी रखी। जनवरी से स्कूलों को खोल दिया है।

बतौर वित्त मंत्री यह आपका दूसरा बजट था। इस बार का बजट किन क्षेत्रों पर केंद्रित रहा?

कोविड महामारी को देखते हुए स्वास्थ्य क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया है। इसके अलावा कृषि को केंद्रित किया गया। उद्योग क्षेत्र कोविड महामारी से अत्यंत प्रभावित हुए हैं। उन्हें भी सशक्त करने के लिए विषेश प्रावधान किए गए हैं। राज्य में ‘ईज ऑफ डुइंग बिजनेस’ के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।

ईज ऑफ डुइंग बिजनेस’ में हरियाणा की रैंकिंग गिरकर 16वें पायदान पर आ गई है। निवेश को लेकर हरियाणा में कोई संभावना दिख रही है?

चीन में स्थित कई अमेरिकी, जापानी, कोरियाई और यूरोपीय कंपनियां ‘चीन प्लस वन पॉलिसी’ के तहत चीन से बाहर वैकल्पिक जगहों की तलाश कर रही हैं। शिफ्टिंग में रुचि रखने वाली कंपनियों की पहचान करने के लिए यूकेआइबीसी, यूएसआइबीसी, यूएसआइएसपीएफ, जेट्रो, एंटरप्राइज सिंगापुर आदि एजेंसियों के साथ बातचीत हुई है। जापान के  टीडीके  कॉर्पोरेशन के स्वामित्व वाली एम्पीरेक्स टेक्नोलॉजी लिमिटेड (एटीएल) ने आइएमटी सोहना में 550 करोड़ रुपये में 180 एकड़ जमीन खरीदी जहां 7500 करोड़ रुपये का निवेश होगा। मानेसर में फ्लिपकार्ट एशिया का सबसे बड़ा आपूर्ति केंद्र 140 एकड़ में 1500 करोड़ रुपये के निवेश से स्थापित करने जा रहा है जहां 15000 लोगांे को रोजगार मिलेगा। मारुति सुजुकी आइएमटी खरखौदा में 800 एकड़ जमीन के आवंटन के लिए एचएसआइआइडीसी के संपर्क में है। महिंद्रा ट्रैक्टर्स भी एक औद्योगिक परियोजना के लिए जमीन तलाश रही है।

जनवरी 2021 में लाई गई हरियाणा एंटरप्राइजेज प्रमोशन पॉलिसी के तहत राज्य में नए निवेश जुटाने की कवायद है जबकि निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण की बात की गई है। इसे असंवैधानिक कहा जा रहा है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, मारुति के चेयरमैन आरसी भार्गव और औद्योगिक संगठन विरोध कर रहे हैं।

यह असंवैधानिक नहीं है। आरक्षण का प्रावधान चुनावी घोषणा पत्र में शुरू से ही था। इसलिए उसका कोई विरोध उस समय नहीं हुआ और आज भी नहीं है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र समेत 7 राज्य इसे लागू कर चुके हैं। 75 प्रतिशत आरक्षण से उद्योग कम नहीं हो जाएगा। हमने तो इतना ही कहा है कि कामगारों में हरियाणा के स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दें। हमारे यहां बेरोजगारी की दर 5 से 7 फीसदी के बीच है जिसे बढ़ा-चढ़ा कर बताया जा रहा है। हमारे यहां एक नया सेक्टर स्पोर्ट्स का खुल गया है। स्पोर्ट्स में भी हजारों लोग अब आगे बढ़ रहे हैं।

आपकी सरकार ने साढ़े छह साल के कार्यकाल में लगभग एक लाख सरकारी नौकरियां बगैर पर्ची-खर्ची के देने का दावा किया है। पर बार-बार प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने के मामले सामने आ रहे हैं, विपक्ष भी सरकार को घेर रहा है।

मेरे विपक्षी भाइयों ने अपने शासनकाल में जो कुछ किया है, वे सोचते हैं कि वैसा ही अब भी हो रहा है। उनके शासनकाल में तो सरकारी नौकरियों की बोली लगती थी, भाई-भतीजावाद, जातपात, क्षेत्रवाद व अन्य अनियमितताओं की भरमार थी। लिखित परीक्षा दिखावा थी। इंटरव्यू के नाम पर केवल अपने चहेतों को नौकरी दी जाती थी। इसका प्रमाण यह है कि उनके शासनकाल में जो भर्तियां की गईं, उनमें से कई हाइकोर्ट ने रद्द कर दी। लेकिन हमने उनकी नौकरी की गारंटी तय कर उनका भविष्य सुरक्षित किया है।

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