केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत स्कीम जन दबाव में नहीं बल्कि कॉरपोरेट के दबाव में लांच की, जो पूरी तरह से गलत मॉडल पर काम कर रही है। आम लोगों को जरूरत प्राइमरी हेल्थकेयर की है, दिल्ली सरकार यही कर रही है, ये दावे दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने आउटलुक के एसोसिएट एडिटर प्रशांत श्रीवास्तव को दिए साक्षात्कार में किए हैं..
आयुष्मान स्कीम से दिल्ली क्यों नहीं जुड़ी?
आयुष्मान स्कीम का मॉडल पूरी तरह से गलत है। मोदी सरकार कॉरपोरेट के दबाव में यह स्कीम लेकर आई है। सरकार का फोकस प्राइमरी हेल्थकेयर पर नहीं है। जबकि आज उसी की जरूरत है। यह ठीक उसी तरह है कि आपको जब दिल का दौरा पड़ेगा, तभी इलाज मिलेगा लेकिन दिल का दौरा नहीं पड़े, इसकी जिम्मेदारी नहीं लेंगे। ऐसे में इस योजना से जुड़ने का क्या फायदा है? साथ ही पूरी योजना बीमा मॉडल पर है। जब कंपनियां प्रीमियम बढ़ा देंगी तब कैसे इलाज होगा? अगर बीमा मॉडल सफल होता तो अमेरिकी हेल्थ पॉलिसी की आलोचना क्यों होती? जिसका कि पूरी दुनिया में लोगों को पता है।
आप किस मॉडल पर काम कर रहे हैं?
हम प्राइमरी केयर पर फोकस कर रहे हैं। इसके लिए मोहल्ला क्लिनिक शुरू किए गए हैं। जहां पर अब तक एक करोड़ लोग इलाज करा चुके हैं। क्लीनिक पर 212 टेस्ट मुफ्त होते हैं। साथ ही 130 तरह की दवाइयां मिलती हैं। इसका फायदा यह हुआ कि 97 फीसदी मरीज यहीं ठीक हो जाते हैं। अभी तक 189 मोहल्ला क्लिनिक खोले गए हैं। इसके अलावा 300 के करीब और खोले जा रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस की साजिश की वजह से हम जमीन नहीं ले पा रहे थे, ऐसे में अब हम किराया मॉडल के जरिए मोहल्ला क्लिनिक खोलेंगे।
केवल प्राइमरी हेल्थकेयर से तो काम नहीं चलेगा, बाकी के लिए क्या?
सबसे पहले हमने दिल्ली में अस्पतालों में कैश काउंटर खत्म कर दिए हैं। सभी को मुफ्त इलाज की सुविधा मिल रही है। आयुष्मान स्कीम में केवल बीपीएल पर फोकस है। क्या एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी या फिर मिडिल क्लास आदमी के लिए इलाज कराना आसान है? यह भेदभाव नहीं होना चाहिए। दिल्ली के नागरिक हैं तो इलाज के साथ-साथ टेस्ट के लिए भी मुफ्त परीक्षण की सुविधा है। वह भी सरकारी और निजी (रेफर करने पर ) दोनों तरह के अस्पतालों में है। इसी तरह दिल्ली में अगर कोई दुर्घटना का शिकार होता है, उसका इलाज भी दिल्ली सरकार मुफ्त कराती है। इसके लिए दिल्ली का नागरिक होना जरूरी नहीं है।
आप कितने नए अस्पताल खोल रहे हैं?
अगले 6-8 महीने में आंबेडकर नगर में 600 बेड, बुराड़ी में 800 बेड और द्वारका में 1,200 बेड वाले अस्पताल तैयार हो जाएंगे। इसके अलावा मादीपुर, नांगलोई, सरिता विहार, विकासपुरी, सीरसपुर में नए अस्पताल स्थापित किए जाएंगे। साथ ही हम मौजूदा अस्पतालों में भी बेड की संख्या बढ़ा रहे हैं। कुल मिलाकर अगले दो से तीन साल में मौजूदा 10 हजार बेड की संख्या को बढ़ाकर 20 हजार की जाएगी।