अभूतपूर्व बारिश और बाढ़ से हुई भारी तबाही से हिमाचल प्रदेश उबरने में जुटा है। लगभग 111 लोगों की जान चली गई है और बुनियादी ढांचे-राजमार्ग, सड़कों और जल आपूर्ति योजनाओं को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बचाव और राहत उपायों की व्यवस्था करने की कमान खुद अपने हाथ में ले ली है। आउटलुक के अश्वनी शर्मा ने शिमला में मुख्यमंत्री से बात की। कुछ अंश:
भारी बारिश से कितना नुकसान हुआ है?
तबाही बहुत बड़ी, अकल्पनीय है। बारिश ने पिछले 50 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मैंने अपनी याद में इतनी भारी और मूसलाधार बारिश नहीं देखी है। मौसम विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि 7 से 11 जुलाई के बीच रिकॉर्ड बारिश हुई, जो राज्य की कुल मानसूनी बारिश का लगभग 30 फीसदी है।
आपने 7,000 से 8,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया है।
यह सिर्फ शुरुआती अनुमान है। मौतों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं हो सकती क्योंकि बारिश ज्यादातर दिन के समय हुई। इससे लोगों को अप्रत्याशित मौतों से बचने का समय मिल गया। अब तक कुल मौतें 117 हुई हैं।
अब क्या हालात हैं?
हमारे राष्ट्रीय राजमार्ग, खासकर चंडीगढ़-मनाली, परवाणु-शिमला लगभग खत्म हो चुके हैं। पंडोह के पास लगभग 100 साल पुराना पुल बह गया। कुल्लू के औट में एक और 50 साल पुराना पुल बह गया। दूसरे एक दर्जन ज्यादा पुल बह गए हैं। शिमला और मनाली से कनेक्टिविटी अस्थायी रूप से बहाल की गई है। कुल्लू में पानी और बिजली की भी यही स्थिति है।
सबसे बड़ी चुनौती राज्य में फंसे 70,000 पर्यटकों को निकालना और बचाना था?
मैं गर्व से कह सकता हूं कि हमने एक को भी दुर्घटनाग्रस्त नहीं होने दिया। पर्यटकों को सुरक्षित निकाल कर उन्हें उनके गंतव्य पर पहुंचाना देश का सबसे बड़ा अभियान था। हमने 24 घंटों के भीतर 70,000 पर्यटकों और 15,000 वाहनों को बचाया और निकाला। हम हर चैनल यानी मोबाइल फोन, सैटेलाइट फोन, हेल्पलाइन नंबर, नियंत्रण कक्ष और स्थानीय पुलिसवालों के जरिये हम हर एक पर्यटक तक पहुंचे।
आपने चंद्रताल में बचाव अभियान की योजना कैसे बनाई?
जब मैं कुल्लू और मंडी में बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर रहा था, तो मुझे चंद्रताल के शिविरों में 14,100 फुट की ऊंचाई पर 290 लोगों के फंसे होने का संदेश मिला। भारी बर्फबारी हो रही थी। तापमान शून्य से चार से छह डिग्री नीचे चला गया था। लैंडिंग में दिक्कत होने के कारण जोखिम लेने से वायुसेना ने इनकार कर दिया। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी को वहां व्यवस्था करने के लिए तैनात किया। सभी पर्यटकों को सुरक्षित निकाल लिया गया। वे गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत से थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपसे बात की और हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। क्या कोई मदद पहुंची?
मैं गंभीर प्राकृतिक आपदा पर चिंता जताने के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी का आभारी हूं। मैंने केंद्र से 2,000 करोड़ रुपये की मांग की है। हिमाचल प्रदेश के लिए केवल कुछ करोड़ रुपये की एक छोटी राशि स्वीकृत की गई है, जो उत्तराखंड को राष्ट्रीय आपदा निधि से दी गई राशि से भी कम है। हम चाहते हैं कि केंद्र इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करे।
विशेषज्ञों का कहना है कि अभूतपूर्व बाढ़ और भारी क्षति प्राकृतिक आपदा का परिणाम नहीं थी। यह एक मानव निर्मित आपदा थी।
विकास और पर्यावरण असंतुलन के बीच निश्चित रूप से संबंध है। इससे पहले भी यहां बाढ़ और भूस्खलन होते रहे हैं, लेकिन इस बार इतनी विनाशकारी और बाढ़ का प्रकोप क्यों? हम इसकी वजहों को जरूर तलाशेंगे और विश्लेषण करने का प्रयास करेंगे।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने नदी के पानी में हिस्सा मांगने और अब बाढ़ का सामना करने के लिए आपका मजाक उड़ाया था?
फिलहाल हम एक अभूतपूर्व आपदा से लड़ रहे हैं। यह हमारी मदद करने का समय है, उपहास का नहीं।