Advertisement

जनादेश 2022/इंटरव्यू/जिग्नेश मेवाणी : “मोदीजी की दोस्त है 'आप'”

इस बार मार्जिन बढ़ेगा क्योंकि पिछली बार हिंदू-विरोधी, एंटी-नेशनल, टुकड़े-टुकड़े प्रोपेगेंडा जो मेरे खिलाफ चलाया गया था वो पूरा तितर-बितर हो चुका है पांच साल में
जिग्नेश मेवाणी

गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के ऊना में 2016 में दलित उत्पीड़न के खिलाफ एक यात्रा निकाल कर चर्चा में आए जिग्नेश मेवाणी 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार वडगाम से निर्दलीय विधायक चुने गए थे। तब उन्हें कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था। बाद में वे कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। इस साल चुनाव से पहले पार्टी ने उन्हें प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया। अबकी वे कांग्रेस के टिकट पर वडगाम से दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं। फर्क बस इतना है कि पिछली बार उनका चुनाव प्रचार अहमदाबाद-पालनपुर हाइवे पर स्थित होटल वन टेन से चल रहा था, लेकिन इस बार उसके ठीक सामने हाइवे पार होटल अल-कामा उनका ठिकाना है। यहीं पर उनकी तैयारियों और चुनावी माहौल के बारे में आउटलुक के लिए अभिषेक श्रीवास्तव ने उनसे लंबी बातचीत की।

चुनाव की तैयारी कैसी चल रही है? इस बार आपका मार्जिन बढ़ेगा या घटेगा

अच्छा चल रहा है। लगे हुए हैं। इस बार मार्जिन बढ़ेगा क्योंकि पिछली बार हिंदू-विरोधी, एंटी-नेशनल, टुकड़े-टुकड़े प्रोपेगेंडा जो मेरे खिलाफ चलाया गया था वो पूरा तितर-बितर हो चुका है पांच साल में। वडगाम में भाजपा का मतदाता भले ही भाजपा को वोट दे लेकिन वह जानता है जिग्नेश आदमी अच्छा है, काम किया है और जनता के बीच में रहता है। भाजपा का कार्यकर्ता भी यह कहता है। दूसरा प्रमुख कारण ये है कि चौधरी समुदाय, जो भाजपा का कोर वोटर है, बहुत नाराज चल रहा है। फिर असम का एपिसोड, जब मुझे गिरफ्तार कर जेल में डाला गया था, उससे दलितों में काफी गुस्सा है। महंगाई के कारण लोगों में बहुत गुस्सा है। 

स्थानीय स्तर पर क्या बातें हैं जो आपके समर्थन में जाती हैं, आपको पांच साल यहां विधायक बने हो गए।

मैं जब चुनाव जीत कर आया तो मुझसे पहली मांग यह थी कि मुक्तेश्वर बांध और कर्मावत तालाब में नर्मदा के पानी का प्रोजेक्ट मंजूर करवाइए। यह पच्चीस साल पुरानी मांग है। मैंने 190 करोड़ का प्रोजेक्ट मंजूर करवा दिया है। दूसरा, गुजरात का सबसे बड़ा ऑक्सीजन का प्लांट छापी गांव के प्राइमरी हेल्थ सेंटर के परिसर में हमने लगवाया है। इसके लिए हमने तीस-पैंतीस लाख की क्राउड फंडिंग की थी, जिसे। सरकार ने ब्लॉक करवा दिया था। फिर हम लोग हाई कोर्ट गए। कोर्ट ने न सिर्फ प्लांट लगाने की अनुमति दी बल्कि कोरोना पर 90 करोड़ खर्च हुए।

प्लांट में प्रोडक्शन हो रहा है?

प्लांट बन गया है। 254 लोग इससे लाभान्वित भी हुए हैं। प्रोडक्शन की अभी तो कोई जरूरत ही नहीं है। कोरोना खत्म हो चुका है। एक और बात, कोरोना के दो साल के दौरान मेरा विधानसभा क्षेत्र गुजरात में मनरेगा रोजगार सृजन में नंबर वन रहा है।

पहली बार आप निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे। इस बार कांग्रेस के टिकट पर एक विधायक के रूप में लड़ रहे हैं। जिम्मेदारी और समर्थन के मामले में दोनों चुनाव में आपको क्या फर्क दिखता है?  

देखिए, पार्टी का ढांचा, आधार और समर्थन हमेशा प्लस प्वाइंट होता है। अभी तो कांग्रेस का बंदा लड़ रहा है इसलिए कांग्रेस मुझे उठाएगी। मेरे एक्टिविस्ट साथियों का नेटवर्क भी बना हुआ है।

आपने ऊना कांड से राजनीति की शुरुआत की थी। वहां कभी लौट कर गए?

दो-तीन बार गए थे। ऊना आंदोलन का जो प्रमुख नारा था, ‘गाय की पूंछ आप रखो, हमारी जमीन हमें दो’, उस नारे को हमने इतना सार्थक किया कि करीब 300 करोड़ की जमीन दलितों को हमने पूरे गुजरात में दिलवाई। गुजरात के दलितों को पता है कि जिग्नेश भाई है हमारे लिए। विश्वसनीयता के मामले में मैं आज की तारीख में सबसे ज्यादा स्वीकृत हूं। इसमें कोई दो राय नहीं। अभी सीएसडीएस का सर्वे आया था, उसमें गुजरात के मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में मैं पांचवें नंबर पर हूं और कांग्रेस में पहले नंबर पर।

ऊना कांड के तुरंत बाद पीडि़त दलित परिवार आरएसएस के साथ क्यों चला गया?

अब तो वापस आ गया है, लेकिन इस पर मैं इसलिए टिप्पणी नहीं करूंगा। किन परिस्थितियों में वे आरएसएस में गए वह उन्हीं को बेहतर मालूम है। हो सकता है राजनीतिक जागरूकता के अभाव में कोई उनको ले गया हो, लेकिन वे आरएसएस के मेंबर कभी नहीं बने। उनके लड़के के साथ आज भी मैं संपर्क में हूं। कल ही उसको जान से मारने की धमकी मिली है।

आपके क्षेत्र में एमआइएम से भी प्रत्याशी खड़ा है। इस बार मुसलमानों का क्या रुख है?

एमआइएम को कोई ज्यादा वोट नहीं देगा। मुसलमान मतदाता इतने समझदार हैं कि वे अपना वोट खराब न करने को लेकर बहुत सचेत हैं। ‘आप’ और एमआइएम वाले मोदीजी के दोस्त हैं।

आपकी सारी उम्मीद दलितों और मुसलमानों पर ही टिकी है?

चौधरी और ठाकोर भी हमारे साथ हैं। ठाकोर 55 से 65 फीसद हर जगह पर कांग्रेस के साथ हैं। इसके अलावा दलितों की कोई भी उपजाति मोटे तौर पर आज भी कांग्रेस समर्थक है।

पूरे राज्य का आपका आकलन क्या है?

अबकी कांग्रेस बेहतर करेगी। इस बार बहुत बड़ा अंडरकरेंट है। साइलेंट वोटर बन चुका है। पिछली बार आंदोलन का असर था। इस बार कांग्रेस संगठित है। गोदी मीडिया के कारण कांग्रेस की छवि को धक्का लगा है। मीडिया के बोलने से फर्क पड़ता है।

गुजरात चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा क्या है?

यह चुनाव महंगाई के मुद्दे पर लड़ा जा रहा है। सारे तबके नाराज हैं। बस रिएक्ट नहीं कर रहे क्योंकि सब थके हुए हैं, इसलिए सब अभी साइलेंट हैं।

आपको लगता है कि महंगाई का कोई नैरेटिव बन पाया है?

सच कहूं तो नहीं बन पाया है, पर हम लोग इस मुद्दे को खड़ा करने की कोशिश जरूर कर रहे हैं।

Advertisement
Advertisement
Advertisement