कांग्रेस से जुड़े आचार्य प्रमोद कृष्णम ने राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में जाने का फैसला किया है। वे कांग्रेस के टिकट पर दो बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर आपका क्या रुख है?
मैं इसका स्वागत करता हूं। मैं कांग्रेस से जुड़ा हूं और 2019 में भाजपा के कद्दावर नेता राजनाथ सिंह के खिलाफ लखनऊ से चुनाव लड़ चुका हूं। मैं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सदस्य हूं। भाजपा से मेरा वैचारिक मतभेद है। उम्मीद नहीं थी कि प्राण-प्रतिष्ठा आयोजन का निमंत्रण मुझे आएगा। निमंत्रण मिला है, तो मैं जाऊंगा।
कांग्रेस के तीन शीर्ष नेताओं ने इसमें हिस्सा लेने से मना कर दिया है। आपका क्या विचार है?
प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के निमंत्रण पर आभार व्यक्त करना चाहिए था, न कि इनकार करना था।
आपके हिसाब वो तीन बड़े मुद्दे क्या हैं जिसको लेकर कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में उतरना चाहिए?
देश में सामाजिक समरसता टूट रही है। यह मुद्दा कांग्रेस का होना चाहिए। कांग्रेस को फिर से गांधी, नेहरू के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए। साम्यवादी विचारधारा कांग्रेस की विचारधारा नहीं है।
आने वाले चुनाव में क्या अयोध्या मुद्दे का भाजपा को फायदा मिलेगा?
राम के नाम पर राजनीति हमेशा से होती आई है और शायद होती भी रहेगी। मगर मेरे लिए राम कभी राजनीतिक नहीं थे। अयोध्या और इस प्राण-प्रतिष्ठा को मैं राजनीति के चश्मे से नहीं देखता हूं।
क्या आचार्य प्रमोद चुनाव से पहले भाजपा के पाले में जाएंगे?
राजनीति संभावनाओं का खेल है। मैं वर्तमान में जीता हूं और फिलहाल कांग्रेस का कार्यकर्ता हूं। मेरी किसी संदर्भ में भाजपा के नेताओं से कोई बातचीत नहीं हुई है।