मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। खेती को जानने-समझने वाले युवा नेता सचिन यादव को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कृषि विकास की जिम्मेदारी सौंपी है। राज्य सरकार किसानों का कर्ज माफ करने के साथ खेती की लागत कम करने, उपज का सही दाम दिलाने और बाजार उपलब्ध कराने के लिए काम कर रही है। आउटलुक के रवि भोई ने मध्य प्रदेश के कृषि और किसान कल्याण मंत्री सचिन यादव से इन मुद्दों और राज्य में खेती के विकास के लिए सरकार की योजनाओं पर बातचीत की। मुख्य अंश :
किसानों को लेकर सरकार की प्राथमिकता क्या है?
किसानों को कर्ज के बोझ से मुक्त करना ही प्राथमिकता है। पहले चरण में 20 लाख किसानों के कर्ज माफ किए गए हैं। इससे किसानों को फिर से लोन मिल सकेगा। उनका बिजली बिल आधा किया गया है। दस हार्स पावर के सिंचाई पंप वाले किसानों को इसका लाभ मिल रहा है। किसानों को एक रुपये प्रति यूनिट बिजली देने वाला मध्य प्रदेश पहला राज्य है।
भाजपा आधी-अधूरी ऋणमाफी का आरोप लगाती है। कहीं-कहीं किसानों की नाराजगी भी दिखती है।
ऋणमाफी चरणबद्ध तरीके से हो रही है। पहले चरण में सात हजार करोड़ रुपये के ऋण माफ किए गए। ऐसे किसान जो पहले नियमित भुगतान करते थे, लेकिन कुछ समय से डिफॉल्ट कर रहे हैं, उनके दो लाख रुपये तक के कर्ज माफ हुए हैं। वर्षों से डिफॉल्ट करने वाले किसानों के 50 हजार रुपये तक के कर्ज माफ हुए हैं। दूसरे चरण में भी बड़ी संख्या में किसानों के ऋण माफ किए गए हैं।
किसानों को उपज का सही दाम मिले, इसके लिए सरकार क्या करने जा रही है?
हमारी कोशिश है कि मंडियों में किसानों की उपज समर्थन मूल्य से कम दाम पर न बिके। हम किसानों के उपज की ग्रेडिंग कर गुणवत्ता के आधार पर उन्हें मूल्य दिलाने के लिए काम कर रहे हैं।
आपने कहा है कि पिछली सरकार ने फर्जी आंकड़े देकर ‘कृषि कर्मण पुरस्कार’ प्राप्त किया। आपकी सरकार पुरस्कार के लिए क्या करेगी?
पिछली सरकार ने एक साल कृषि विकास दर 24 फीसदी बताई, जो दूसरे साल नकारात्मक हो गई। यह संभव नहीं लगता। कृषि में विकास की गति धीमी होती है। हम किसानों की मेहनत सामने रखेंगे। उस आधार पर जो पुरस्कार मिलेगा, उसे स्वीकार करेंगे।
किसानों की आय बढ़ाने के लिए किस तरह के प्रोजेक्ट लाएंगे? पिछले साल कृषि का बजट बढ़ा था। आगे बजट में क्या उम्मीद है?
समस्या यह है कि किसानों के बेटे खेती से दूर हो रहे हैं। उन्हें कृषि से कैसे जोड़े रखें, इस पर सरकार काम कर रही है। इसके लिए मुख्यमंत्री बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण योजना लेकर आ रहे हैं। इसे क्लस्टर आधार पर पूरे प्रदेश में लागू करेंगे। पिछले साल कृषि बजट 22 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का था। हमने इसे बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री से आग्रह किया है।
आपके पिता सुभाष यादव भी मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री थे, उनकी किन योजनाओं को आप धरातल पर लाना चाहेंगे?
उनकी इच्छा सिंचाई का रकबा बढ़ाने की थी। सरकार का लक्ष्य सिंचाई का रकबा सात लाख हेक्टेयर करने का है। 2024 तक नर्मदा के जल का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में करने की योजना है।
कृषि मंत्री के नाते आपकी योजना और लक्ष्य क्या हैं? जैविक खेती के क्या फायदे देखते हैं?
खेती की बढ़ती लागत बड़ी समस्या है। मेरा पहला लक्ष्य इसे कम करना है। लागत बढ़ने का बड़ा कारण रासायनिक खादों का अधिक इस्तेमाल है। किसानों को जागरूक कर जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे लागत में कमी आएगी और किसानों की आय भी बढ़ेगी। साथ में आम लोगों को केमिकल मुक्त खाना मिलेगा। रासायनिक खादों के अधिक उपयोग से किसान कई तरह के दुष्चक्र में फंस जाते हैं। उनके परिजन गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। इलाज के लिए उन्हें कर्ज के जाल में उलझना पड़ता है।
जैविक खेती करने वाले किसानों को किस तरह प्रोत्साहन देंगे?
हमारी सरकार ने पहले चरण में एक हजार गोशालाओं का निर्माण किया है। गोसेवा के लिए अनुदान राशि तीन रुपये से बढ़ाकर 20 रुपये प्रति गाय की गई है। गाय के गोबर और दूसरी चीजों के इस्तेमाल को बढ़ावा देंगे।
किसानों की आय बढ़ाने की क्या योजना है? उपज के भंडारण की समस्या के समाधान के लिए क्या कदम उठाएंगे?
पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट पर काम कर रहे हैं। किसानों को उपज का दाम बहुत कम मिलता है, लेकिन उपभोक्ता तक पहुंचते-पहुंचते चीजें काफी महंगी हो जाती हैं। किसानों को ग्रेडिंग कर उपज बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। किसानों को कई साधन और सुविधाएं सरकार की तरफ से निःशुल्क उपलब्ध कराने पर विचार हो रहा है। किसानों को परंपरागत खेती की जगह बागवानी की तरफ ले जाने का प्रयास भी होगा। उन्हें चार महीने तक मुफ्त भंडारण की सुविधा देंगे। बाजार सुधरने और उपज का अच्छा दाम मिलने पर किसान फसल बेच सकेगा। उपज के एवज में ऋण भी उपलब्ध कराएंगे।