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आवरण कथा/इंटरव्यू/सुष्मिता सेन: “मिस यूनिवर्स बनना मतलब दुनिया को खुले नजरिए से देखना”

सुष्मिता सेन ने 18 साल की उम्र में 1994 में पहली बार भारत को मिस यूनिवर्स का खिताब दिलाया था
सुष्मिता सेन

हरनाज कौर संधू के मिस यूनिवर्स चुने जाने पर बरबस सुष्मिता सेन की याद आ जाती है। उन्होंने 18 साल की उम्र में 1994 में पहली बार भारत को यह खिताब दिलाया था। 46 साल की सुष्मिता अपनी अवॉर्ड विजेता वेब सीरीज आर्या के दो सीजन के लिए चर्चा में रही हैं। उनके साथ बातचीत में लक्ष्मी देब राय ने जानना चाहा कि बीते दो दशकों में सौंदर्य प्रतियोगिताएं कैसे विकसित हुईं। उन्होंने उनसे हिट सीरीज के साथ ओटीटी जगत में उनके सफर पर भी चर्चा की। बातचीत के मुख्य अंशः

 

21 साल बाद भारत की हरनाज कौर संधू मिस यूनिवर्स बनी हैं। लेकिन आप भारत की पहली मिस यूनिवर्स हैं। इन दो दशकों में सौंदर्य प्रतियोगिताएं किस तरह बदली हैं?

जब भी कोई भारतीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीतता है तो सबसे पहले मुझे यह एहसास होता है कि उन्होंने विश्व मानचित्र पर हमें दोबारा ला खड़ा किया है। आज सोशल मीडिया का इतना असर है कि हम वास्तव में बड़ा प्रभाव डालते हैं। पहले मैंने और फिर 2000 में लारा दत्ता ने यह खिताब जीता था। आज 21 साल की बच्ची को यह खिताब जीतते देख मुझे बहुत ही गर्व का एहसास हो रहा है। यह सिर्फ ऐसा नहीं कि हरनाज, लारा या मैं प्रतियोगिता में सबसे खूबसूरत दिखने वाली महिलाएं थीं, बल्कि इससे इस विचार को बड़ा महत्व मिलता है कि एक विश्व नागरिक के रूप में आप अपने आप को कैसे प्रस्तुत करती हैं। आप सिर्फ आप, एक भारतीय, हिंदू या सिख नहीं रह जातीं, बल्कि दुनिया को खुले नजरिए से देखती हैं। मिस यूनिवर्स वही तो होती है, दुनिया की एंबेसडर। मुझे लगता है कि अब सवाल-जवाब वाले राउंड को काफी ज्यादा महत्व दिया जाने लगा है। वे ऐसी बातचीत करते हैं, जो युवाओं को प्रभावित करती हैं। यह प्रतियोगिता बड़े ही खूबसूरत तरीके से आगे बढ़ी है।

ब्यूटी क्वीन का मतलब क्या होता है?

आमतौर पर ऐसे प्लेटफॉर्म पर जाने या उनमें हिस्सा लेने वाली लड़कियों को यह एहसास नहीं होता कि ब्यूटी क्वीन का अर्थ क्या होता है। वे सिर्फ इसलिए प्रतियोगिता में जाती हैं कि उन्हें खूबसूरती का जश्न मनाना अच्छा लगता है, उन्हें लगता है कि फिल्म या मॉडलिंग में उनका भविष्य है और इस तरह की प्रतियोगिता उन्हें खुद को दिखाने का बड़ा प्लेटफॉर्म देगी। फिर ऐसे बच्चे भी होते हैं जो बड़े देशभक्त होते हैं। मैं ऐसा इसलिए कह रही हूं क्योंकि मेरी कहानी भी वैसी ही है। सशस्त्र सेना में कार्यरत अनेक लोगों के बच्चे इन प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। हमारा परिवार देश के लिए लड़ने पर गर्व करता है और वह इस बात पर भी गर्व करता है कि उनकी बेटियां भारत का प्रतिनिधित्व करती हैं।

उम्र बढ़ने के साथ सबसे अच्छी बात क्या होती है?

उम्र बढ़ने के साथ आपको कुछ ऐसी चीजें हासिल होती हैं जो आपको युवावस्था में नहीं मिलती हैं। परिपक्वता, अनुभव और विभिन्न परिस्थितियों से आप कैसे निपटती हैं, उम्र के साथ आप में ये सब गुण आते हैं।

जब आपने शुरुआत की थी तब और आज जब आपने आर्या जैसी हिट वेब सीरीज के साथ वापसी की है, तो इस दौरान मनोरंजन उद्योग कितना बदला है?

मुझे नहीं लगता कि मैं मनोरंजन उद्योग या बॉलीवुड का हिस्सा हूं। कला के रूप में ओटीटी ने सबको एक प्लेटफॉर्म दिया है। लोग यहां कंटेंट के रूप में अनेक जोखिम उठाते हैं। ईमानदारी से कहूं तो आर्या अगर थिएटर में लगने वाला प्राइम टाइम सिनेमा होता तो इसका बजट सीमित होता, वितरण भी सीमित स्तर पर किया जाता। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आपको एक सीजन में छह-सात घंटे मिलते हैं। इससे आप किरदार के और ज्यादा करीब होते हैं, अगले सीजन में जाने का जोखिम लेते हैं जो थियेटर में रिलीज होने वाली फिल्मों में नहीं होता है। इससे एक ऐसा बाजार बन रहा है जहां वेब सीरीज और फिल्में इसी तरह बनाई जा सकती हैं। अच्छी बात है कि इसे स्वीकार भी किया जा रहा है। मैं जिस काल में जी रही हूं उसे बहुत पसंद करती हूं, क्योंकि कलाकार नए सिरे से अपना करिअर शुरू कर रहे हैं, उन्हें ज्यादा काम करने का मौका मिल रहा है। मुझे लगता है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म अलग-अलग उम्र के कलाकारों को लेखक आधारित भूमिकाएं करने का अवसर दे रहे हैं।

इस शो के लिए आपको जैसी प्रतिक्रिया मिली उसकी उम्मीद थी?

आर्या में काम करने के लिए मैं इसलिए राजी हुई क्योंकि स्क्रिप्ट और टीम अच्छी थी। मैं जानती थी कि इस शो में काफी संभावनाएं हैं, लेकिन मुझे यह नहीं मालूम था कि यह संभावना लोगों की पसंद किस हद तक बदलेगी। यह महिला केंद्रित शो है और ड्रग कार्टेल पर है। इसमें भारतीय महिला को जिस तरह दिखाया गया है, आमतौर पर वैसा दिखाया नहीं जाता है। इसलिए मैं इसकी स्वीकार्यता को लेकर पशोपेश में थी, लेकिन कंटेंट को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थी। मेरी आश्वस्ति इसलिए भी थी क्योंकि मेरे अपने प्रशंसक हैं जो मुझे काफी प्यार करते हैं। वे लंबे समय से मेरी वापसी का इंतजार कर रहे थे। मैं जानती थी कि अगर मैं उन्हें अच्छा कंटेंट देती हूं तो वह उसे हाथों-हाथ लेंगे। सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए एमी अवॉर्ड में नॉमिनेशन बहुत अच्छा लगा।

आर्या वेब सीरीज ने एक व्यक्ति के तौर पर विकसित होने में आपको कैसे मदद की?

सीजन की तरह आर्या भी विकसित हो रही है। मेरे लिए आर्या सीजन 1 उस कला की तरफ लौटना था जिसे मैं पसंद करती हूं। सीजन 2 उसी दिशा में प्रगति है जो मुझे और आर्या को कुछ और ऊंचाई पर ले जाता है। काम के लिहाज से देखें तो यह मेरे लिए अब तक का सबसे महत्वपूर्ण है। मैं सिर्फ आर्या पर काम कर रही थी, इसलिए मेरा पूरा फोकस इसी पर था। एक बार में एक काम करने में एक जादू होता है।

आर्या खुद कितना बदली है?

आर्या जीती-जागती महिला है। सीजन 1 में उसमें अनेक खामियां थीं जिससे बार-बार उसे चोट खाना पड़ता था, लेकिन इन बातों ने उसे और मजबूत बनाया। आर्या का किरदार जीवन की तरह है, जो आपको सिखाता है कि आप मजबूत हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आप के भीतर कोई कमजोरी नहीं। आप हमेशा मजबूत बने नहीं रह सकते। ऐसे क्षण भी आएंगे जो आपको तोड़ देंगे, लेकिन वे क्षण आपको पहले से अधिक मजबूत बना कर जाते हैं। लेकिन यह बदलाव प्राकृतिक रूप से और धीरे-धीरे होता है।

सीजन 1 में कहानी काफी हद तक बच्चे को बचाने, पति को खो देने का दुख और अपने ही परिवार से धोखा मिलने पर केंद्रित है। सीजन 2 में वह फिर उन कठिनाइयों की ओर धकेल दी जाती है जिनसे वह बचना चाहती है। फिर उसे एहसास होता है कि शायद उसका ध्यान गलत जगह पर था। और बात सिर्फ अपने बच्चे को बचाने की नहीं है, उन्हें बचाने के लिए उसे अपने आप को भी बचाना होगा। फिर वह फैसला करती है कि बहुत हुआ भागना, आप जीवन से बचकर नहीं भाग सकते। अगर आप किसी शेर से बचकर भागना चाहें तो वह आप को खा जाएगा, लेकिन अगर आप शेर की सवारी करना सीख लें तो संभव है कि आप बच जाएं। मुझे लगता है कि सीजन 2 इसी बात को बताती है। आर्या शेर की सवारी करती है। अब वह शिकार नहीं बनना चाहती, बल्कि शिकार करना चाहती है।

आप अपने जीवन में भी मां है। उससे आर्या का किरदार निभाने में कितनी मदद मिली?

बहुत ज्यादा। लेकिन मां के रूप में मेरे ऊपर कोई डायरेक्टर नहीं होता, वहां मैं खुद डायरेक्ट करती हूं। लेकिन आर्या का जिस तरह विकास हुआ उसकी मुख्य वजह यह है कि हमारे डायरेक्टर राम माधवानी ने हमें वह बनने की छूट दी जो हम वास्तव में हैं। और वे दोनों बच्चे भी जो टेक से पहले और बाद में भी मुझे मां कहकर बुलाते हैं। वह बड़ा विचित्र दृश्य होता है जब उनकी असली मां और मैं दोनों उनकी आवाज सुनकर कहती हैं ‘हां बच्चों तुम्हें क्या चाहिए?’ मैं आर्या की बड़ी प्रशंसक हूं, सिर्फ मां के रूप में नहीं बल्कि एक औरत के रूप में भी, जो शिष्टता को दर्शाती है। मैं जीवन में भी आर्या जितनी शिष्टता और सुघड़ता चाहती हूं। जो महिलाएं अपने भीतर की ताकत को महसूस करना चाहती हैं, आर्या उन्हें इसी तरह प्रभावित करती है।

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