आखिरकार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दरवाजे पहुंच ही गया। उनके खिलाफ खुद के नाम खनन पट्टे का नवीकरण कर पद के दुरुपयोग से संबंधित एक मामले में चुनाव आयोग की राय दो महीने से राज्यपाल के पास लिफाफाबंद है। मई के पहले सप्ताह में राज्य की तत्कालीन खदान सचिव वरिष्ठ आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल के ठिकानों पर ईडी के छापे के बाद ऐसा अनुमान नहीं था कि केंद्रीय एजेंसी इतनी जल्दी सोरेन के यहां दस्तक देगी। इससे लग रहा है चुनाव आयोग की राय हेमंत सोरेन के अनुकूल नहीं निकली। दीपावली से ठीक पहले रायपुर में एक चैनल से इंटरव्यू में राज्यपाल ने कहा था कि आयोग से सेकेंड ओपिनियन मांगी गई है। ईडी के समन के बाद सोरेन सरकार में सहयोगी कांग्रेस पार्टी के पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव और बेरमो विधायक अनूप सिंह उर्फ जयमंगल सिंह और उनके कुछ करीबी कारोबारियों के ठिकानों पर भी आयकर और ईडी का छापा पड़ा था। जाहिर है, इससे सर्दियों के मौसम में भी राज्य की राजनीतिक में गरमी बढ़ गई है।
अनूप सिंह ने सरकार गिराने की साजिश और विधायकों की खरीद-फरोख्त (कोलकाता में तीन विधायक नकद के साथ पकड़े गए थे) के मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। यूपीए के नेता सोरेन के समन और विधायकों के यहां आयकर छापे को भाजपा की साजिश बता रहे हैं। ईडी के समन के खिलाफ रांची के मोरहाबादी मैदान में झारखंड मुक्ति मोर्चा की रैली में हेमंत सोरेन ने ईडी को चुनौती देते हुए कहा, “यदि अपराध किया है तो गिरफ्तार करो, समन क्यों भेजते हो।” राज्यपाल की खिंचाई करते हुए उन्होंने कहा कि गवर्नर साहब एक लिफाफा लेकर घूम रहे हैं। मैं देश का ऐसा पहला मुख्यमंत्री होऊंगा जिसने कहा है कि चुनाव आयोग ने जो सजा दी है, सुना दें। मगर आज तक उनका लिफाफा नहीं खुल रहा। यह सब षड्यंत्र है।
3 नवंबर को हेमंत को जब समन आया, तो उनके सब्र का बांध टूट गया। अगले दिन साहिबगंज में वे आपके अधिकार, आपकी सरकार, आपके द्वार कार्यक्रम में शामिल हो रहे थे। उधर जनसंपर्क विभाग मुख्यमंत्री के 15 दिनों का कार्यक्रम जारी कर रहा था। हेमंत ईडी कार्यालय नहीं गए और संयम दिखाते हुए ईडी कार्यालय को पत्र भेजकर तीन सप्ताह की मोहलत मांग ली। साहिबगंज से लौटकर यूपीए के विधायकों, नेताओं के साथ बैठक कर उन्होंने एकजुटता दिखाई। बैठक में तय हुआ कि 5 नवंबर से चरणबद्ध तरीके से ईडी के खिलाफ जिला मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा और ऐसा हुआ भी।
उधर, भाजपा ने हेमंत सरकार के भ्रष्टाचार और विफलताओं को लेकर 7 नवंबर से चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा कर दी। भाजपा लगातार हेमंत के कुनबे पर हमलावर है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने फरवरी में माइनिंग पट्टे के खिलाफ शिकायत की थी। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने दस-बारह साल में सोरेन कुनबे पर करीब ढाई सौ करोड़ रुपये की 108 संपत्तियां अर्जित करने का आरोप लगाया है। बाबूलाल कहते हैं कि “आदिवासी होने के कारण हेमंत को राज्य को लूटने की छूट नहीं दी जा सकती। उन्होंने राज्य को दलालों के हाथ गिरवी रख दिया है। सरकार को उखाड़ने तक हम शांत नहीं बैठने वाले।”
प्रवर्तन निदेशालयः सोरेन सरकार का सिरदर्द
3 नवंबर को रायपुर रवाना होने से पहले सोरेन जनता के बीच सब कुछ कह देना चाहते थे। वे बोले, “बीस साल बाद राज्य सरकार राज्य के विकास में लगी है, सरकार गरीबों के दरवाजे पर जाकर उनकी समस्याएं दूर कर रही है। उन लोगों को यही खटकता है। वे अदालत, आयकर, सीबीआइ और ईडी का चेहरा दिखाकर डराना चाहते हैं। केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। राज्य सरकार को अस्थिर करने की गहरी साजिश रची जा रही है। जब राज्य का बकाया पैसा केंद्र से मांगते हैं, तो पैसे के बदले ईडी और सीबीआइ को भेज दिया जाता है।” ईडी और भाजपा कार्यालय की सुरक्षा बढ़ाने पर उन्होंने कहा “क्या इन्हें झारखंडियों से क्या डर लगता है। अभी तो हमने कुछ किया नहीं है। जब झारखंडी अपनी बातों पर उतर आएंगे तो वे दिन दूर नहीं जब आप लोगों को यहां सिर छुपाने की जगह भी नहीं मिलेगी।”
हेमंत 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने जा रहे हैं। इसके लिए 11 नवंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है।
लंबे समय से हेमंत की घेराबंदी चल रही थी। विधायकों की खरीद-फरोख्त और सरकार गिराने की साजिश को लेकर दो प्राथमिकियां भी दर्ज हुईं। इससे भी पहले कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने यह कहकर राजनीति गरमा दी थी कि कांग्रेस के आधा दर्जन विधायकों पर भाजपा डोरे डाल रही है। वे लोग विधायकों के संपर्क में हैं। मुख्यमंत्री के नाम पर माइनिंग पट्टे के खिलाफ फरवरी में भाजपा ने राज्यपाल को ज्ञापन दिया और सोरेन की विधानसभा सदस्यता समाप्त करने का आग्रह किया था। राज्यपाल ने आयोग को मंतव्य के लिए पत्र लिखा, तो आयोग ने 25 अगस्त को अपना मंतव्य विशेष दूत से राजभवन पहुंचा दिया। आज तक उस बंद लिफाफे का मजमून सामने नहीं आया है।
इसे लेकर भी खूब राजनीति हुई। विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर विश्वास मत हासिल किया गया तो विधायकों को एकजुट रखने के लिए रायपुर तक घुमाया गया। इस मौके का फायदा उठा कर सोरेन ने चुनावी वादों और जनता को प्रभावित करने वाले नीतिगत फैसलों की बाढ़ ला दी। अब 12 अक्टूबर से आम जनता की समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार द्वारा आपके द्वार कार्यक्रम चलाया जा रहा है। पिछले साल इस कार्यक्रम में 35.95 लाख लोगों के आवेदन आए थे, जिसमें 35.56 लाख आवेदनों का निपटारा किया गया। ताजा अभियान में करीब 30 लाख आवेदन आए हैं, जिसमें 18.40 लाख आवेदनों का निपटारा किया गया है।
पूजा सिंघल के ठिकानों पर देश भर में छापा पड़ा तो झामुमो की रांची इकाई ने भाजपा कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया। आरोप लगाया कि भाजपा ईडी की कार्रवाई के बहाने मुख्यमंत्री सोरेन को टारगेट कर रही है, हालांकि तत्काल बाद झामुमो के बड़े नेता ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का स्वागत किया।
पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापा 12-14 साल पहले के 18 मनरेगा घोटालों को लेकर पड़ा था। तब सिंघल खूंटी जिला की कलक्टर हुआ करती थीं। उनके सीए सुमन कुमार के घर से 19 करोड़ रुपये की बरामदगी हुई। पूछताछ के बाद मामला अवैध खनन, शेल कंपनियों के माध्यम से हवाला तक पहुंच गया। अफसरों से पूछताछ और मिले इनपुट के बाद जांच का दायरा बढ़ता गया। मई में ही मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का के बिल्डर रिश्तेदार और सत्ता में पैठ रखने वाले निशित केसरी, विशाल चौधरी और सत्ता में गहरी पैठ रखने वाले अफसरों के तबादलों को लेकर ख्यात प्रेम प्रकाश के ठिकानों पर छापा पड़ा। प्रेम प्रकाश के बारे में कहा जाता है कि अफसरों के तबादले की सूची उनके यहां से होकर गुजरती थी। आइएएस, आइपीएस अफसर वहां दरबार लगाते थे। बाद में प्रेम प्रकाश के आवास से ही मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात जवानों की दो एके 47 और साठ गोलियां ईडी ने जब्त की थीं।
कभी हेमंत के करीबी रहे झामुमो से निकाले गए झामुमो के कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल से भी ईडी ने पूछताछ की। सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्र के बारे में भी कुछ जानकारी मिली। उसी समय लगा कि सोरेन के करीबी लोगों की घेराबंदी तेज हो रही है। जुलाई के प्रारंभ में ईडी ने मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्र और उनसे जुड़े लोगों के साहिबगंज, बरहेट, राजमहल आदि डेढ़ दर्जन ठिकानों पर छापेमारी की। 19 जुलाई को पंकज मिश्र को गिरफ्तार कर लिया गया। ईडी ने विशेष अदालत को बताया था कि पंकज मिश्र के ठिकाने से सोरेन की दो चेकबुक मिली हैं, जिसके 31 ब्लैंक चेक पर हेमंत सोरेन के हस्ताक्षर थे। इसी कड़ी में ईडी ने झामुमो के सीए जयशंकर जयपुरियार के यहां डापा मार कर उनसे भी पूछताछ की। जयपुरियार एक दशक से अधिक से जेएमएम का रिटर्न फाइल करते हैं। बाद में मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अभिषेक पिंटू से कई दिनों तक ईडी ने दफ्तर बुलाकर पूछताछ की। कई और अधिकारियों से ईडी ने पूछताछ की है।
इस तरह हेमंत के करीबी लोगों की घेराबंदी करते हुए मुख्यमंत्री तक पहुंचा गया है। हाल के महीनों में झारखंड में विशेषकर ईडी की सक्रियता से अफसरों, नेताओं की जान सांसत में है। संशय बना हुआ है कि पता नहीं कब कौन शिकार बन जाए।