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झारखंडः सहानुभूति की कल्पना

झामुमो के 51वें स्थापना दिवस पर पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी ने बढ़ाया सियासी कदम
आंसू की ताकतः हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना गिरिडीह में

झारखंड में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिशों में जुट गया है। हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद मुख्‍यमंत्री चम्‍पाई सोरेन धड़ाधड़ फैसले और घोषणाएं कर रहे हैं। दूसरी तरफ हेमंत सोरेन की पत्‍नी कल्‍पना सोरेन ने राजनीति के मैदान में कदम बढ़ा दिया है। कल्‍पना सोरेन के लिए अपने जन्‍मदिन 3 मार्च को यह नया रूप धारण करने जैसा था, जब उन्‍होंने राजनीति में पति की विरासत को संभालने का फैसला किया। उस दिन उन्होंने बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार जाकर पति हेमंत से मुलाकात की और लौटकर सास-ससुर का आशीर्वाद लिया। अगले दिन झामुमो के 51वें स्‍थापना और आक्रोश दिवस पर गिरिडीह के उसी ऐतिहासिक झंडा मैदान में कल्‍पना ने राजनीति में औपचारिक एंट्री ली, जहां से झामुमो सुप्रीमो दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा के खिलाफ बिगुल फूंका था।  उन्होंने जोश में ललकार कर कहा, ‘‘झारखंडी झुकेगा नहीं, टूटेगा नहीं।’’ लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने पूछा, ‘‘आखिर हेमंत सोरेन का अपराध क्‍या था। यही कि उन्होंने सरना धर्म कोड सदन से पारित कराया, पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिलवाया, स्‍थानीय नीति की पहल की और केंद्र से बकाया एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये की मांग की।’’

दो दिन बाद साहिबगंज के उधवा में पार्टी के कार्यकर्ता मिलन समारोह में भी कल्‍पना ने केंद्र सरकार व केंद्रीय एजेंसियों को ललकारा। मौके पर आजसू यानी एनडीए गठबंधन के घटक दल के केंद्रीय महासचिव एमटी राजा को सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ झामुमो की सदस्‍यता दिलाई गई। हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद आदिवासी, मूलवासी वोटरों में पैदा हुई सहानुभूति को अपने आंसू और केंद्र के खिलाफ आक्रोश के जरिये वे जिंदा रखने का प्रयास कर रही हैं।

कल्‍पना सोरेन के राजनीति में कदम रखने की योजना एक माह पहले यानी हेमंत के जेल जाने के तत्‍काल बाद ही बना ली गई थी। हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने रांची आकर कल्‍पना सोरेन से मुलाकात की तो आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल सहित इंडिया गठबंधन के अनेक नेताओं ने कल्‍पना से बात कर सहानुभूति जताई और साथ देने का वादा किया। अब कल्‍पना सोरेन स्‍टार प्रचारक के रूप में राज्‍य के विभिन्‍न हिस्‍सों का दौरा करने की तैयारी में हैं।

कल्‍पना सोरेन को लेकर उसी समय चर्चा तेज हो गई थी जब गिरिडीह के गांडेय से झामुमो विधायक सरफराज अहमद ने आनन-फानन इस्‍तीफा दिया। चर्चा हुई कि हेमंत अपनी पत्‍नी कल्‍पना को मुख्‍यमंत्री की कुर्सी सौंपना चाहते हैं, हालांकि हेमंत ने इसे भाजपा की कोरी कल्‍पना करार दिया था। तकनीकी कारणों से गांडेय में उपचुनाव नहीं हो पाया। जमीन घोटाले में ईडी की कार्रवाई के बाद हेमंत के मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफे और जेल जाने की नौबत आने के दौरान कल्‍पना सोरेन की चर्चा तेज हुई। तब हेमंत की भाभी सीता सोरेन खुलकर बगावत पर उतर आईं और कहा कि वे कल्‍पना को सीएम नहीं मानेंगी। हेमंत के छोटे भाई बसंत के मन में भी कुछ पक रहा था। अंतत: पारिवारिक विवाद का पार्टी पर असर न पड़े इसे ध्‍यान में रखते हुए शिबू सोरेन के पुराने साथी चम्‍पाई सोरेन को कुर्सी सौंप दी गई।

कल्पना सोरेन

कल्पना सोरेन गिरिडीह में

शिबू सोरेन दुमका से आठ बार सांसद और तीन बार मुख्‍यमंत्री बने। उनके बड़े पुत्र दुर्गा सोरेन भी विधायक थे। उन्हें शिबू सोरेन के उत्‍तराधिकारी के रूप देखा जाता था, मगर 2009 में विधायक रहते अचानक उनकी मौत हो गई थी। उनकी पत्‍नी सीता सोरेन उसी विधानसभा क्षेत्र जामा से तीन बार की विधायक हैं। 2021 में उनकी बेटियों ने दिवंगत पिता के नाम पर दुर्गा सोरेन समूह का गठन कर राजनीति में कदम रखा। शिबू सोरेन की बड़ी बेटी अंजनी सोरेन विवाह के बाद ओडिशा में बस गईं। वे झामुमो की ओडिशा इकाई की प्रदेश अध्‍यक्ष हैं। हेमंत का छोटा भाई बसंत सोरेन एक दशक से झामुमो की युवा इकाई का प्रदेश अध्‍यक्ष है। हेमंत की छोड़ी दुमका सीट से 2020 के विधानसभा उपचुनाव में वे पहली बार विधायक बने। अब चम्‍पाई सरकार में मंत्री हैं।

सीता सोरेन या बसंत सोरेन का राजनीतिक प्रभाव  हालांकि संताल के एक हिस्‍से तक ही सीमित है। ऐसे में कल्‍पना सोरेन के राजनीति में प्रवेश को जानकार शिबू की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की कवायद मान रहे हैं। हेमंत के साथ नाइंसाफी और और आक्रोश का असर यदि आदिवासी मूलवासी समुदाय पर पड़ा तो दुमका, राजमहल, चाईबासा, खूंटी, लोहरदगा जैसी आधा दर्जन से अधिक संसदीय सीटों पर भाजपा की परेशानी बढ़ सकती है।

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