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25 नवंबर 2024 · NOV 25 , 2024

पत्र संपादक के नाम

पाठको की चिट्ठियां
पिछले अंक पर आई प्रतिक्रियाएं

ग्लैमराइज करना बंद हो

11 नवंबर की आवरण कथा ने एक बार फिर मुंबई के अंडरवर्ल्ड की कहानी बयां की। ‘मायानगरी की सियासत में जरायम के नए चेहरे’ मुंबई में फिर दस्तक दे रहे अंडरवर्ल्ड की अच्छी कहानी कहती है। पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद से महाराष्ट्र पर फिर गैंग के कब्जे का साया मंडरा रहा है, क्योंकि मुंबई में अंडरवर्ल्ड फिर अपने पैर जमाता है, तो इसका असर पूरे महाराष्ट्र में होगा। बॉलीवुड में पैसे उगाही का नया धंधा शुरू हो जाएगा और फिल्मी दुनिया के लोग लॉरेन्स पर फिल्में बना कर उसे ग्लैमराइज करेंगे। सलमान खान को मिली धमकी सिर्फ उन्हें मिली धमकी नहीं है, बल्कि इसका दायरा आगे बढ़ेगा ही। सिद्दीकी की हत्या से दशहत का माहौल जरूर बन गया है लेकिन कुछ दिनों बाद जब वसूली की रकम तय हो जाएगी, तो ऐसी धमकियों का सामान्यीकरण हो जाएगा। सिद्दीकी की हत्या ने मुंबई और अपराध-जगत के रिश्ते को फिर से जीवित कर दिया है। लॉरेंस बिश्नोई को लगता है कि सलमान खान को धमकी देने भर काम चल जाएगा, तो ऐसा नहीं है। देश में अभी भी कानून-व्यवस्था जिंदा है और पुलिस के आगे लॉरेंस की एक नहीं चलेगी।

संजय कराटे | पुणे, महाराष्ट्र 

 

काला हिरण तो बहाना है

इस बार की आवरण कथा, (11 नवंबर) ‘लॉरेंस फाइल’ मुंबई में फिर अपराध जगत की शुरुआत की कथा कहती है। इस बात पर यकीन करना ही मुश्किल है कि लॉरेंस सिर्फ काले हिरण की वजह से सलमान का दुश्मन बन बैठा है। यह सही है कि लॉरेंस का समाज काले हिरण को पूजता है, लेकिन गलती पर किसी की जान का दुश्मन हो जाना कहां तक ठीक है। सलमान कह भी चुके हैं कि जोधपुर में जो हुआ, वह एक दुर्घटना थी। सलमान पर अभी भी काले हिरण के शिकार का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। शिकार के वक्त तो सैफ अली खान, तब्बू, नीलम और सोनाली बेंद्रे भी थे, लेकिन लॉरेंस उनके पीछे नहीं पड़ा। सलमान का नाम बड़ा है इसलिए उनके पीछे पड़ जाने से मीडिया में भी तवज्जो मिलती है। लॉरेंस को भी पता है कि बाकी कलाकारों को धमकी देने से उसको कोई फायदा नहीं होने वाला। घटना बहुत पुरानी है और तब पूरा बिश्नोई समुदाय इस घटना के विरोध में सड़क पर उतर आया था। थोड़ी गलती सलमान खान की भी है। जब उनसे माफी मांगने को कहा गया था, तब उन्हें समुदाय की भावनाओं की कद्र करते हुए माफी मांग लेना थी। उनका उस वक्त अड़े रहना ठीक नहीं था। यह भी अजीब है कि सबूतों की कमी के चलते बाकी लोग बरी हो गए और सलमान को पांच साल की जेल हो गई। मामला अब भी अदालत में है। लॉरेंस को अदालत पर भरोसा करना चाहिए और मुंबई के अंडरवर्ल्ड पर कब्जे की आड़ में सलमान को धमकाना बंद कर देना चाहिए।  हालांकि सलमान आज भी खुद को बेगुनाह ही मानते हैं। दूसरी ओर बिश्नोई समुदाय उन्हें खलनायक मानता है, लॉरेंस जिसके नाम पर कारनामा करता है। 

जयराम पंवार | मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश

 

फिल्मी कहानी

हालांकि राम गोपाल वर्मा कह चुके हैं कि काले हिरण की वजह से कोई सुपरस्टार को धमकी दे, ऐसी कहानी हास्यास्पद लगती है। लेकिन सच तो यह है कि यह कहानी एकदम फिल्मी है और जल्द ही कोई निर्माता-निर्देशक इसे परदे पर ले आएगा। आउटलुक की 11 नवंबर की आवरण कथा, ‘लॉरेंस फाइल’ लॉरेंस बिश्नोई और सलमान खान के बीच के विवाद और मुंबई में अंडरवर्ल्ड की कहानी को बहुत अच्छे ढंग से सामने रखती है। सलमान की एक छोटी-सी गलती ने उन्हें पूरे बिश्नोई समाज को अपना दुश्मन बना लिया है। सलमान ने भी उस वक्त सबके सामने कह दिया था कि उन्हें अपनी हरकत पर कोई अफसोस नहीं है। यह उस वक्त उनका एरोगेंस ही था। उन्हें लगता था कि आखिर कोई उनका क्या बिगाड़ लेगा। अब भी देर नहीं हुई है। सलमान खान को बिश्नोई समाज से माफी मांग लेना चाहिए। इस डर से नहीं कि उनकी हत्या हो जाएगी, बल्कि इसलिए कि माफी मांगने से वे छोटे नहीं हो जाएंगे। उन्हें समाज की भावनाओं की कद्र करना चाहिए।

चारू शर्मा | लखनऊ, उत्तर प्रदेश

 

अकड़ ठीक नहीं

आउटलुक की 11 नवंबर की आवरण कथा, लॉरेंस पर है। इस अंक में, ‘लॉरेंस के गुर्गे’ में उसके सहयोगियों की जानकारी है। मतलब अब अपराधी भी टीम बना कर काम करने लगे हैं। अपराध में अलग तरह का रोमांच होता है, जो सभी को लुभाता है। लॉरेंस का मामला भी ऐसा ही है। सलमान ने कहा कि उन्हें अपने कृत्य पर शर्मिंदगी नहीं हैं, बदले में लॉरेंस ने कहा कि यदि वह माफी नहीं मांगेंगे, तो उसका गैंग सलमान की हत्या कर देगा। जिसकी धमकी मिल रही है, उसे भी और जो धमकी दे रहा है, उसे भी मीडिया में भरपूर कवरेज मिल रही है। सोच कर देखिए बिना पैसों के इतनी शोहरत किसी को मिल सकती है। दोनों ही एक-दूसरे को तौल रहे हैं। मारने की धमकी देने वाले को मालूम है, उसे नहीं मारना है। धमकी मिलने वाले को भी मालूम है कि उसे नहीं मारा जाएगा। यह सिर्फ पावर प्ले और पब्लिसिटी स्टंट है। मीडिया इससे दूर हो जाए, तो यह मामला खुद ब खुद खत्म हो जाएगा।

कलंदर अंसारी | मुंबई, महाराष्ट्र

 

ग्लैमर से बढ़े अपराध

आउटलुक के 11 नवंबर के अंक में, ‘कभी बोलती थी जिनकी तूती...’ अपराध जगत के पुराने खिलाड़ियों की याद फिर दिला गया। देश के हर भाग में अपराध होते हैं। हर इलाके में छोटे से लेकर बड़े गुंडे तक राज करते रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच मुंबई की बात ही अलग है। मुंबई के अपराधियों पर हमेशा से ही बहुत खबरें बनती रही हैं। दरअसल मुंबई से ही अपराध का ग्लैमराइजेशन शुरू हुआ, जो आज तक कायम है। इस वजह से युवाओं को लगता है कि यह कोई बहुत अच्छा काम है और वे इसकी ओर खिंचे चले जाते हैं। मुंबई के जितने भी डॉन रहे हैं, उनमें से अधिकांश पर फिल्में बन चुकी हैं। यदि मीडिया और फिल्म वाले इन लोगों की इतनी बात न करें, तो आम जनता को पता ही न चले। कायदे से तो ऐसे लोगों पर फिल्में बननी ही नहीं चाहिए। अखबारों में भी इनके काम को ग्लैमराइज कर लिखने के बजाय केवल अपराध की जानकारी देना चाहिए। अपराध की खबर को खबर की तरह लिखना चाहिए न कि उन्हें हीरो बना कर। यही वजह है कि ये लोग अब बहुत जाने पहचाने नाम हो गए हैं और इनके कृत्यों पर कुछ लोग गर्व करते हैं।

सेतु माहेश्वरी | जयपुर, राजस्थान

 

ड्रामेबाजों से ज्यादा

28 अक्टूबर के अंक में, ‘कुर्सी महा ठगिनी हम जानी’ पढ़ी। आवरण कथा, मौजूदा राजनीति में कुर्सी की मायावी कथा का पोस्टमार्टम करती है। बात चाहे नीतीश- मांझी की हो या हेमंत- चंपाई की। आतिशी- केजरीवाल की हो या लालू-राबड़ी हर जगह धोखा और मतदाताओं के साथ छलावा है। ऐसी हरकतों से नेताओं की अति महत्वाकांक्षा और विश्वासघात ही देखने को मिलता है। शायद राजनीति की बिसात पर कुर्सी का यही चरित्र है। आज हर दल, कुर्सी के लिए हैरान, परेशान और बेचैन है। कुर्सी के लिए वे अपना आत्मसम्मान, स्वाभिमान, लोकलाज और सिद्धांत को भी गिरवी रखने से परहेज नहीं करते। नेताओं ने बड़े- बड़े ड्रामेबाज़ को भी इस मामले में पीछे धकेल दिया है। कल तक जिसको कोसते थे, आज उसी के साथ गठबंधन कर लेते हैं या सरकार बना लेते हैं। लोक के तंत्र से अब सबका विश्वास उठता जा रहा है।

डॉ. हर्षवर्द्धन | पटना, बिहार

 

केजरीवाल की चुनौती

28 अक्टूबर के अंक में ‘खड़ाऊं या खंजर’ पढ़ने के बाद दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दिल की धड़कनें तेज हो गई होंगी। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि मुख्यमंत्री की कुर्सी अरविंद केजरीवाल की है और जब तक वे वापस इस पद पर नहीं आते, उनके कार्यालय में उनकी कुर्सी खाली रखी जाएगी। उन्होंने अपने नेता के प्रति अटूट वफादारी दिखाई। आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव तक आतिशी की यह वफादारी कायम रहेगी या झारखंड और बिहार की कहानी दिल्ली में भी दोहराई जाएगी? तीसरी बार हरियाणा जीतने के बाद भाजपा की बांछे खिली हुई हैं। जम्मू-कश्मीर में भाजपा की बढ़त से आलाकमान गदगद है। हरियाणा और जम्मू -कश्मीर में करारी हार मिलने के बाद आप विचलित हुई है मगर दिल्ली जीतने के लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल कई मोर्चों पर पैनी नजर रखे हुए हैं, जिसमें सर्वप्रथम मुख्यमंत्री आतिशी अंतिम क्षणों तक भरत की भूमिका निभाती रहें। भरत को विचलित करने के लिए मौका साध रहे भाजपाइयों से कैसे निपटा जाए? पार्टी में वैसा माहौल न बने जिससे आतिशी को फायदा हो? कोर्ट में चल रहे मुकदमों से कैसे निजात मिले आदि ऐसे अहम सवाल केजरीवाल को हर समय कुदरती होगी।

युगल किशोर राही | छपरा, बिहार

 

पुरस्कृत पत्रः हमारा गुंडा, आपका गुंडा

लॉरेंस गैंग ने मुंबई में जब पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या की, तो मिनट भर में ही यह खबर तेजी से फैल गई। वजह साफ थी। इस हत्या को सलमान खान के साथ रिश्तों जोड़ कर देखा गया। लेकिन हद तो तब हो गई, जब वॉट्सऐप पर लॉरेंस के पक्ष में मैसेज आने लगे। किसी भी देश के लिए यह बहुत चिंताजनक स्थिति है कि गुंडों को भी धर्म के आधार पर विरोध या बल मिले। कुछ लोगों को कहना है कि दाऊद था, तो हिंदू निशाना बनते थे। लॉरेंस रहेगा, तो मुसलमानों को दब कर रहना होगा। एक अपराधी के हाथ एक मनुष्य मारा गया है। इसे इसी तरह देखा जाना चाहिए। गुंडे भी धर्म के आधार पर ताकत हासिल करेंगे तो जनता कहां जाएगी। अंक (11 नवंबर लॉरेंस फाइल।)

लतीफ अहमद खान|मुंबई महाराष्ट्र

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