ऑस्ट्रेलिया का गोल्ड कोस्ट तो वाकई भारत के लिए गोल्ड रश या स्वर्णिम दौड़ साबित हुआ। 21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय खिलाड़ियों ने 26 गोल्ड सहित 66 पदक जीता और भारत पदक तालिका में तीसरे पायदान पर रहा। हालांकि, कॉमनवेल्थ में भारत का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं है, लेकिन इसने कुछ खेलों में ऐसे नायकों को उभ्ारने का मौका दिया जिसने 2020 के ओलंपिक के लिए भारत की संभावनाओं को आसमान में पहुंचा दिया है। 15 साल के अनीश भनवाला, 16 साल की मनु भाकर और 17 साल की मेहुली घोष ने बताया कि युवा जोश से कैसे दुनिया जीती जा सकती है। मैरीकॉम, सुशील कुमार और तेजस्विनी सावंत का अनुभव भी पोडियम पर रंग बिखेर गया। भारतीय खिलाड़ियों ने 15 खेलों में हिस्सा लिया और नौ इवेंट में पदक जीतने में कामयाब रहे। 26 गोल्ड, 20 सिल्वर और 20 ब्रॉन्ज भारत के खाते में आए। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि कुल 66 मेडल में से 12 मेडल 21 साल से कम उम्र के खिलाड़ियों ने जीते।
भनवाला और भाकर ने शूटिंग में गोल्ड पर निशाना लगाया तो मेहुली सिल्वर को साधने में कामयाब रही। 22 साल की मनिका बत्रा ने टेबल टेनिस के महिला एकल में भारत को पहला गोल्ड दिलाकर इतिहास रचा। वेटलिफ्टिंग में 18 वर्षीय दीपक लाठर ने अपने नाम ब्रॉन्ज मेडल किया।
कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन 2010 में किया था। दिल्ली में हुए इस आयोजन में 38 गोल्ड, 27 सिल्वर और 36 ब्रॉन्ज मेडल सहित कुल 101 पदक जीते थे और दूसरे नंबर पर रहा था। दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2002 के मैनचेस्टर कॉमनवेल्थ गेम्स में था जब भारत की झोली में 30 गोल्ड आए थे। 2014 के ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने कुल 64 पदक जीते थे।
यहां हुई मेडल की बरसात
गोल्ड कोस्ट में भारतीय शूटरों ने सात गोल्ड सहित कुल 16 पदक जीते। मनु भाकर, अनीश भनवाला और मेहुली घोष जैसे युवा निशानेबाजों ने नए कीर्तिमान बनाए। इनके अलावा हीना सिद्धू, जीतू राय और तेजस्विनी सावंत जैसी अनुभवी शूटरों ने भी भारत के पदकों की झोली भरी। हालांकि, गगन नारंग को निराशा हाथ लगी।
शूटिंग के बाद सबसे ज्यादा पदकों की बरसात वेटलिफ्टिंग में हुई। इस इवेंट में भारत ने पांच गोल्ड, दो सिल्वर और दो ब्रॉन्ज सहित कुल नौ मेडल जीते। भारत के पदकों का खाता भी इसी स्पर्धा से खुला, जब 25 साल के गुरुराजा ने सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद मीराबाई चानू, संजीता चानू और पूनम यादव ने भारत को गोल्ड दिलाया। पुरुष वर्ग में वेंकट राहुल रगाला और सतीश कुमार ने गोल्ड मेडल जीता।
टेबल टेनिस में भारत ने तीन गोल्ड, दो सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज मेडल जीते। इसमें महिला और पुरुष टीम ने गोल्ड मेडल जीतकर एक नया कीर्तिमान बनाया। मनिका बत्रा ने कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में पहली बार भारत को महिला एकल मुकाबले में गोल्ड मेडल दिलाया। पुरुष और महिला युगल मुकाबलों में भारत को सिल्वर मेडल मिला। इससे पहले 2010 के कॉमनवेल्थ में भारत ने पांच मेडल अपने नाम किया था। महिलाओं की टीम इवेंट में मनिका बत्रा ने सनसनीखेज प्रदर्शन करते हुए वर्ल्ड नंबर-चार और तीन बार की ओलंपिक पदक विजेता को हराया। इस कॉमनवेल्थ गेम्स की सबसे बड़ी खोज मनिका बत्रा को ही माना जा रहा है। उन्होंने कुल चार मेडल जीते, जबकि महिलाओं के एकल मुकाबले में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं।
बॉक्सिंग में भारत को कुल नौ पदक मिले। तीन गोल्ड, तीन सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज। 35 साल की उम्र में मैरीकॉम ने गोल्ड मेडल जीतकर यह दिखाया कि जीतने का जज्बा हो तो उम्र मायने नहीं रखती। कॉमनवेल्थ गेम्स में यह उनका पहला गोल्ड था। उनके अलावा गौरव सोलंकी और विकास कृष्णन ने भी गोल्डन पंच मारा।
रेसलिंग में भारत ने पांच गोल्ड, तीन सिल्वर और चार ब्रॉन्ज सहित कुल 12 मेडल अपने नाम किए। बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, सुशील कुमार राहुल अवारे जैसे पहलवानों ने गोल्ड जीता तो बबिता कुमारी, पूजा ढांढा को सिल्वर मिला। साक्षी मलिक को ब्रॉन्ज से संतोष करना पड़ा।
भारत को बैडमिंटन में कुल छह पदक मिले, जिनमें दो गोल्ड मेडल शामिल हैं। एक गोल्ड मिक्स्ड टीम इवेंट में मिला तो दूसरा गोल्ड महिला एकल में। बैंडमिंटन के महिला एकल वर्ग के फाइनल में एक तरफ साइना नेहवाल थी तो उनके सामने हमवतन पी वी सिंधु। यानी गोल्ड और सिल्वर मेडल भारत के लिए पक्का था। हालांकि, इस मुकाबले में साइना नेहवाल पी वी सिंधु पर भारी पड़ीं। पुरुष एकल मुकाबले में किदांबी श्रीकांत को फाइनल में ओलंपिक सिल्वर मेडलिस्ट मलेशिया के ली चेंग वेई से हार का सामना करना पड़ा।
पदकों के लिहाज से हमेशा चुनौती वाले एथलेटिक्स इवेंट में भी भारत ने इस बार तीन पदक जीते। एथलेटिक्स में पहली बार नीरज चोपड़ा ने गोल्ड दिलाया। उन्होंने जेवलिन थ्रो में यह पदक जीता। उनके अलावा, सीमा पूनिया ने डिस्कस थ्रो में सिल्वर और नवदीप ढिल्लो ने ब्रॉन्ज मेडल जीता।
पदकों के लिहाज से स्क्वैश में भारत के प्रदर्शन को बेहतर कहा जा सकता है, लेकिन इस बार दीपिका पल्लीकल और जोशना चिनप्पा की जोड़ी महिला युगल में 2014 का प्रदर्शन दोहराने में असफल रही। पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स में इन्होंने गोल्ड जीता था, लेकिन इस बार सिल्वर मेडल ही हाथ लगा। हालांकि, दीपिका ने सौरभ घोषाल के साथ मिक्सड डबल्स में भी सिल्वर जीता। एक पदक पैरा पावरलिफ्टिंग में भी मिला। सचिन चौधरी ने इस इवेंट में भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया।
वेटलिफ्टिंग में भारत को पहला गोल्ड मेडल मीराबाई चानू ने दिलाया। उन्होंने 48 किलोग्राम वर्ग में कुल छह रिकॉर्ड तोड़े। इससे पहले बहुत कम लोगों ने ही नीरज चोपड़ा का नाम सुना होगा। लेकिन जेवलिन थ्रो इवेंट में भारत को अभी तक का पहला गोल्ड मेडल दिलाकर उन्होंने इतिहास रच दिया। वे मिल्खा सिंह (1958), कृष्णा पूनिया (2010) और विकास गौड़ा (2014) के बाद ट्रैक ऐंड फील्ड में मेडल दिलाने वाले चौथे भारतीय खिलाड़ी बन गए। रेसलिंग में भारत की तरफ से 12 खिलाड़ियों का दल कॉमनवेल्थ गेम्स में शामिल हुआ और इसमें सभी खिलाड़ियों ने मेडल जीतने में सफलता हासिल की। यानी इस इवेंट में भारत के मेडल जीतने की दर सौ फीसदी रही।
पुरुषों के 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल वर्ग में गोल्ड मेडल जीतने के साथ ही 15 साल के अनीश भनवाला कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए। सबसे दिलचस्प बात यह है कि अनीश ने इसी कॉमनवेल्थ गेम्स में यह रिकॉर्ड तोड़ा। 16 वर्षीय मनु भाकर ने 10 मीटर एयर राइफल वर्ग में गोल्ड मेडल जीतने के बाद सबसे कम उम्र की भारतीय गोल्ड मेडलिस्ट होने का रिकॉर्ड बनाया था। बेशक, रिकॉर्ड टूटने के लिए ही होते हैं और जब युवाओं में यह होड़ दिखे तो समझिए देश में खेलों का स्वर्णिम काल बहुत दूर नहीं।