लंबे समय से पुरुष प्रधान फिल्मों वाले बॉलीवुड में नई कोंपलें फूटने लगी हैं। कुछ समय से महिला प्रधान फिल्मों को दर्शक पसंद करने लगे हैं। दिलचस्प यह है कि इसके मुख्य लाभार्थी अपेक्षाकृत कम जाने-पहचाने कलाकारों की जमात है। ये कलाकार इंडस्ट्री की बड़ी हीरोइनों के साथ अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका पा गए। बेशक, उनकी भूमिकाएं भी उतनी ही अहम थीं, जितनी नामी-गिरामी अदाकाराओं की। 2014 में परमानेंट रूममेट्स नाम की वेबसीरीज में भूमिका निभाने के बाद से ही सुमित व्यास के पास प्रशंसकों का अपना एक वर्ग था। लेकिन यह खबर भी तब चर्चा में आई जब उन्हें इसी साल आने वाली फिल्म वीरे दी वेडिंग में करीना कपूर के साथ भूमिका निभाने का मौका मिला। इस फिल्म को करीना की कमबैक मूवी के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।
पिछले दिनों राखी शांडिल्य की फिल्म रिबन के लिए व्यास को अपने शानदार परफॉर्मेंस की वजह से प्रशंसा मिली थी। इसमें उन्होंने कल्कि केकलां के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी। 34 साल के इस अभिनेता की नई फिल्म हाइजैक इसी महीने आने वाली है। सुमित व्यास इससे पहले 2012 में इंग्लिश-विंग्लिश में दिखाई दिए थे। लेकिन वीरे दी वेडिंग उनके लिए स्टारडम लेकर आई है।
चूंकि बड़े नायक अमूमन लोकप्रिय नायिकाओं के सामने कमतर भूमिका करना नहीं चाहते इसलिए महिला केंद्रित फिल्मों ने निश्चित तौर पर व्यास जैसे प्रतिभाशाली नायकों के लिए नए रास्ते खोले हैं। पिछले साल ऐसा ही मौका मानव कौल को मिला जब तुम्हारी सुलु के लिए उन्हें विद्या बालन के पति का रोल ऑफर हुआ। कौल ने छोटे बजट वाली फिल्म में न सिर्फ गजब की अदाकारी की, बल्कि खूब तारीफ भी बटोरी और अवॉर्ड के लिए नामिनेट भी हुए। दिलचस्प बात यह है कि कौल की फिल्म और थिएटर सर्कल में हमेशा से प्रतिभाशाली और संभावनाशील कह कर सराहना की जाती है लेकिन यह केवल विद्या बालन-स्टारर की सफलता थी, जिसने उनके अभिनय को सबके बीच ला दिया।
हालांकि, लोकप्रिय अभिनेत्रियों के सामने प्रमुख भूमिकाएं करने वाले ‘नौसिखियों’ की ऐसी घटना इस उद्योग में नई नहीं है। लेकिन अतीत के विपरीत, अब नए नायकों को बराबर से खबरों में उनका हिस्सा मिलता है, न सिर्फ बराबर बल्कि उनके साथ-साथ। जबकि उस वक्त बड़ी नायिकाओं के साथ काम करने वाले नायकों पर बमुश्किल ही बात होती थी। इसके सबसे अच्छे उदाहरण रिबन और तुम्हारी सुलु हैं, जिनमें व्यास और कौल के चरित्रों को मुख्य भूमिका निभा रही स्त्री पात्रों के सामने बिलकुल भी दबाया नहीं गया। जबकि पटकथा स्त्री पात्रों के लिए ही लिखी गई थी।
इस समय बहुत से नए अभिनेता ऐसी फिल्मों में काम कर रहे हैं, जिनमें वे लोकप्रिय अभिनेत्रियों के साथ भूमिका निभा रहे हैं। न्यूटन, बरेली की बर्फी और पिछले साल आई ट्रैप्ड में अपनी प्रतिभा दिखा चुके राजकुमार राव फन्ने खां में एश्वर्या राय के साथ शूटिंग में व्यस्त हैं। इस फिल्म का सभी को बेसब्री से इंतजार है। यह 2000 में आई ऑस्कर नॉमिनेटेड बेल्जियन फिल्म एवरीबडी’ ज फेमस का रीमेक है। 2015 में मसान से आलोचकों और दर्शकों का ध्यान खींचने वाले विकी कौशल राजी में आ रहे हैं। इसमें विकी आलिया भट्ट के साथ काम कर रहे हैं।
उद्योग पर नजर रखने वालों का मानना है कि एक अभिनेता, चाहे वह नया हो या पुराना, को देखना चाहिए कि उसे किस फिल्म में भूमिका निभाने के लिए कहा जा रहा है। सुधीर मिश्रा ने राहुल भट्ट को अपनी फिल्म दास देव में एक जटिल भूमिका निभाने के लिए चुना है। उनका कहना है कि एक अभिनेता को वह देना चाहिए जिसकी उससे उम्मीद की जा रही है। आउटलुक से उन्होंने कहा, “दास देव के लिए मैंने राहुल के सामने रिचा चड्ढा और अदिति राव हैदरी को चुना क्योंकि मैं ऐसा अभिनेता चाहता था जो इस तथ्य से न डरे कि फिल्म में उसके सामने दो अभिनेत्रियों की बराबर से दमदार भूमिका है। इसके अलावा वह एक राजनैतिक घराने के उत्तराधिकारी के रोल के लिए बिलकुल मुफीद थे, जिसके पास खानदानी अहंकार हो लेकिन एक अलग तरह की संवेदनशीलता भी हो।” मिश्रा कहते हैं कि 2014 में आई अनुराग कश्यप की फिल्म अग्ली में राहुल का काम देख कर वह उन्हें साइन करने के लिए उत्साह में आए थे। वह कहते हैं, “अग्ली में मैंने गौर किया कि राहुल ने अभिनेता के तौर पर गजब की क्षमता दिखाई, क्योंकि जैसी भूमिका उन्होंने की वह उनसे बिलकुल विपरीत थी।”
सुधीर मिश्रा कहते हैं, “राहुल मूल रूप से निर्देशक के अभिनेता हैं और उनमें अभिनय की अपार संभावनाएं हैं। आज के दौर में जब लेखक जटिल किरदार रच रहे हैं, मुझे पूरी उम्मीद है कि कई निर्देशक उन्हें अपनी फिल्म में लेना चाहेंगे। अनुराग कश्यप उनके साथ एक और फिल्म बना रहे हैं।”
इन अभिनेताओं को थिएटर और टेलीविजन धारावाहिक से लेकर वेब सीरीज तक के विभिन्न माध्यमों से पाया अनुभव काम आ रहा है। सुमित व्यास को मौका देने वाली रिबन की निर्देशक राखी शांडिल्य कहती हैं कि सुमित जैसे अभिनेता वास्तविक अभिनय करने में सक्षम हैं क्योंकि उन्हें विभिन्न तरह के माध्यमों की बेहतरीन समझ है। वह कहती हैं, “नए आने वाले अभिनेताओं को जो भूमिकाएं निभाने के लिए दी जाती हैं, उन्हें उसके बारे में अच्छी तरह मालूम होता है। अनुभव की वजह से वे अपने चरित्रों में नयापन लेकर आते हैं, खासकर ऐसी भूमिकाओं में जो मध्य या उच्च मध्यवर्ग की भूमिका से जुड़ा हो।”
बेशक, ताजा कहानियों के लिए बॉलीवुड की प्रवृत्ति ने इन कलाकारों के उदय के लिए मैदान तैयार किया है, लेकिन साथ ही अन्य कारक भी हैं। फिल्म लेखक विनोद अनुपम कहते हैं, “नई कहानियां नए चेहरे चाहती हैं। यदि किसी को बरेली के लड़के की कहानी कहनी है तो वहां सलमान या शाहरुख नहीं चल सकते। उस कहानी के लिए वास्तविक लगने वाले किरदार को खोजना ही पड़ेगा। लेकिन इसके बाद भी कुछ बातें होती हैं जो रचनात्मक होने के अलावा भी मायने रखती हैं।”
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता लेखक दावा करते हैं कि कुछ बड़े बजट वाली फिल्मों, जिनसे आजकल 100 करोड़ रुपये से ज्यादा के कारोबार करने की उम्मीद रखी जाती है, के अलावा बड़ी संख्या में वे फिल्में हैं जो अपनी रिलीज के तीन दिन के भीतर ही प्रोडक्शन कॉस्ट निकाल लेती हैं। वह कहते हैं, ‘‘यदि फिल्म मेकर ने पहले से ही विद्या बालन जैसी बड़ी नायिका को साइन कर लिया है तो वह अपनी फिल्म में फिर किसी बड़े स्टार पर पैसा नहीं लगा पाएगा। क्योंकि ऐसा करने से उसका बजट गड़बड़ा जाएगा। इसलिए फिल्मकार ऐसे कलाकार खोजता है जो कम लागत में अच्छा अभिनय करते हुए भूमिका के साथ न्याय करे। तब यही युवा और प्रतिभाशाली अभिनेता काम आते हैं, जो उनके सपनों को साकार कर देते हैं।