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नीतियों ने किया मजा किरकिरा

कभी खेलों में डंका बजाने वाले राज्यों में सरकारी रुझानों से खिलाड़ियों में हताशा, प्रोत्साहन के लिए योजनाएं और सुविधाएं घटीं
प्रचार खूब, सम्मान नहींः कॉमनवेल्‍थ गेम्स के बाद जगह-जगह ऐसे होर्डिंग लगाए गए थे

अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में प्रतिद्वंद्वियों को धूल चटाकर मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों के नाम पर खुद की पीठ थपथपाने में सरकारें पीछे नहीं रहतीं। लेकिन, सफलता का शोर थमने के बाद अपने हक और सम्मान की लड़ाई खिलाड़ियों को किस तरह लड़नी पड़ती है इसकी मिसाल हाल में उत्तर भारत के दो राज्यों के सरकारी रुझान हैं। ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में कॉमनवेल्‍थ गेम्स में पदक जीतने वाले हरियाणा राज्य के खिलाड़ियों को पहले मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार ने नीति के अनुसार इनाम देने की घोषणा की और बाद में पाई-पाई का हिसाब करने लगी। पदक विजेता इससे आहत हुए और उनमें से कुछ ने सम्मान समारोह के बहिष्कार का ऐलान कर दिया। फजीहत देख सरकार ने समारोह ही रद्द कर दिया। पंजाब में ऐसा तो नहीं हुआ मगर सरकारी प्रोत्साहन की कमी से पदक बटोरने वाले खिलाड़ियों का टोटा होने लगा है।

इस बार गोल्ड कोस्ट में भारत की झोली में जो 66 पदक आए उसमें से सबसे ज्यादा 22 पदक हरियाणा के खिलाड़ियों ने ही जीते। गोल्ड जीतने वाले खिलाड़ियों को डेढ़ करोड़, सिल्वर लाने वालों को 75 लाख और कांस्य विजेताओं को 50 लाख रुपये बतौर इनाम राज्य सरकार से मिलने थे। लेकिन बाद में खट्टर सरकार ने कहा कि रेलवे और सेना की ओर से खेलने वाले राज्य के पदक विजेताओं की इनामी राशि में से वह रकम काट ली जाएगी जो उन्हें रेलवे और सेना की ओर से मिली है। 22 में से 13 खिलाड़ी ऐसे हैं जो अपने नियोक्ता विभागों की ओर से खेले। इनमें से तीन ने सम्मान समारोह के बहिष्कार की घोषणा की। नतीजतन, करोड़ों के खर्च से 26 अप्रैल को पंचकूला में होने वाले सम्मान समारोह को एक दिन पहले रद्द कर दिया गया। राज्य के खेल मंत्री अनिल विज ने आउटलुक से कहा कि सरकार तो भलमनसाहत में हरियाणा के बाहर से खेलने वाले राज्य के खिला‌ड़ियों को भी सम्मानित करने जा रही थी, वरना खेल नीति इसकी इजाजत नहीं देती।

गौरतलब है कि साक्षी मलिक को राज्य के बाहर खेलने के बावजूद सरकार पूर्व में पूरा इनाम दे चुकी है। लेकिन, विज की मानें तो अब सरकार ने राज्य के बाहर से खेलने वाले खिलाड़ियों को इनाम न देने का मन बना लिया है। ऐसा लगता है कि ‘हरियाणा एक, हरियाणवी एक’ का नारा देने वाली मनोहर सरकार खिलाड़ियों के साथ अहम के टकराव में अपने ही नारे को भूल गई है।

ये सब उस राज्य में हुआ जिसे उसकी खेल नीति और खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने नई पहचान दी है। कुश्ती, कबड्डी जैसे पारंपरिक खेलों का अखाड़ा रहे हरियाणा में प्राथमिक स्कूल स्तर से ही खेलों को बढ़ावा देने के लिए गंभीर प्रयास एक दशक पहले शुरू किए गए थे। राज्य में ब्लॉक और गांव स्तर पर 400 से अधिक स्टेडियम बने। 2010 में स्पैट (स्पोट्‍‍र्स ऐंड फिजिकल एप्‍टीटयूड टेस्ट) की शुरुआत की गई। ओलंपिक, कॉमनवेल्थ और एशियन खेलों में पदक पाने वाले खिलाड़ियों को करोड़ों के इनाम के साथ सरकारी नौकरियां दी गईं। लिहाजा मेडल भी खूब बरसे।

हुड्डा सरकार के कार्यकाल में स्पैट की पहल करने वाले पूर्व खेल निदेशक और वर्तमान में एडीजीपी ओ.पी. सिंह के मुताबिक स्पैट के जरिए प्रदेश के करीब 20 लाख स्कूली बच्चों को खेलों के प्रति प्रेरित करने का ही नतीजा था कि 2011 में केंद्र सरकार ने स्पैट को कॉमनवेल्थ एडवाइजरी बोर्ड ऑन स्पोट्‍‍र्स के फ्लैगशिप प्रोग्राम में शामिल किया। 2012 में राइट टू प्ले एक्ट लाया गया। 2015 में हरियाणा स्पोट्‍‍र्स ऐंड फिजिकल फिटनेस पॉलिसी लाने वाली मौजूदा खट्टर सरकार ने भी स्पैट को ही री-मॉडल किया है।

कभी दबदबा, अब दब्बू

कभी हॉकी, कुश्ती, कबड्डी जैसे खेलों में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबदबा रखने वाला पंजाब खेलों में दब्बू साबित हो रहा है। कॉमनवेल्थ खेलों में पंजाब के खिलाड़ी केवल छह मेडल जीत पाए। इन खिलाड़ियों के लिए अभी तक सरकार ने इनाम का ऐलान नहीं किया है, जबकि कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने चुनावी घोषणा-पत्र में हूबहू हरियाणा की नकल पर करोड़ों के इनाम और नौकरी देने की नीति का वादा किया था। केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के अधीन कार्यरत सेंटर फॉर रिसर्च इन रूरल ऐंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट (क्रिड) के नेहरू सेल के प्रमुख डॉ. आर.एस. घुम्मन के मुताबिक, सरकार की प्राथमिकता में नहीं होने के कारण पंजाब खेलों में पिछड़ रहा है।

राज्य के खेल मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी ने आउटलुक को बताया कि पंजाब की शान फिर से बहाल करने के लिए नई खेल नीति पर काम शुरू हो गया है। 32.90 करोड़ रुपये की लागत से 11 नए स्टेडियम बनाए जाएंगे। मुक्तसर और मोहाली शूटिंग रेंजों का कायाकल्प होगा। पटियाला में खेल यूनिवर्सिटी बनाई जा रही है। अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता खिलाड़ियों की इनाम राशि और वेटरन खिलाड़ियों की पेंशन बढ़ाने का भी प्रस्ताव है।

खेल नीति की होगी समीक्षा

सम्‍मान समारोह रद्द करने की नौबत क्यों आई? इस बारे में हरियाणा के खेल मंत्री अनिल विज से आउटलुक ने बातचीत की

-सम्मान समारोह क्यों रद्द करना पड़ा?

26 अप्रैल को पंचकूला में सम्मान समारोह होना था। एक दिन पहले हरियाणा की ओर से न खेलने वाले तीन खिलाड़ियों ने समारोह के बहिष्कार का ऐलान कर दिया, इसलिए रद्द करना पड़ा।

-नीतियों में क्या बदलाव है?

हमारी खेल नीति में राज्य से खेलने वाले खिलाड़ियों को ही इनाम और नौकरी का प्रावधान है। इसके बावजूद सरकार ने कॉमनवेल्थ गेम्स में आर्मी और रेलवे की ओर से खेलने वाले पदक विजेताओं को उनके नियोक्ता (एम्पलॉयर) द्वारा दी जाने वाली इनाम की रकम काटकर बाकी रकम देने का फैसला किया, क्योंकि वे मूलत: हरियाणा के हैं।

-अब समारोह कब आयोजित होगा? क्या बाहर से खेलने वाले खिलाड़ी सम्मानित होंगे?

आयोजन का फैसला 16 मई को मुख्यमंत्री के विदेश दौरे से लौटने के बाद होगा। राज्य के बाहर खेलने वाले खिलाड़ियों को इनाम-सम्मान पर विचार करने के लिए हम अपनी खेल नीति की समीक्षा करेंगे। जिन खिलाड़ियों ने बहिष्कार किया है उन्हें इनाम-सम्मान देने का मन नहीं है।

-खेलों को बढ़ावा देने के लिए क्या कर रहे हैं?

“कैच देम यंग” अभियान के तहत हर जिले में खेलों की 20-20 नर्सरियां स्थापित की जा रही हैं। हरेक पर करीब एक करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। गांवों में बनाई जा रही 400 व्यायामशालाओं में कुश्ती, कबड्डी, खो-खो वगैरह को बढ़ावा दिया जाएगा। राई स्पोट्‍‍र्स स्कूल में शूटिंग रेंज तैयार है।

-नौकरियों का बैकलॉग भी है?

हुड्डा सरकार के समय का बैकलॉग है। नौकरियों के लिए खिलाड़ियों के लंबित 300 आवेदनों में से सही पाए गए 207 आवेदन प्रक्रियाधीन हैं।

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