Advertisement

खाट से कितना बढ़ेगा ठाट

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस खाट पंचायत के जरिये बना रही चुनावी माहौल
राहुल गांधी की खाट सभा के लिए मंगाई गई खाटें

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का 27 साल का वनवास खत्म करने की कोशिश में जुटे पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी किसानों के मुद्दों को खाट पंचायत के जरिये उठा रहे हैं। छह सितंबर से देवरिया से शुरू हुआ उनका यह अभियान 25 दिनों तक चलेगा और यह यात्रा दिल्ली में आकर खत्म होगी। अभियान के बारे में कांग्रेस रणनीतिकार मानकर चल रहे हैं कि पार्टी को इससे सीधा फायदा होगा और बड़ी संख्या में किसान भी जुड़ेंगे। जहां-जहां राहुल गांधी की सभा होगी उसके लिए पार्टी की ओर से विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। खाट पंचायत के समापन के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता सीधे किसानों से मिलेंगे और उन्हें एक फार्म देंगे जिसमें किसानों के नाम पते से लेकर व्यवसाय तक की पूरी जानकारी मांगी गई है, साथ ही, पार्टी यह वायदा भी कर रही है कि अगर कांग्रेस की सरकार आएगी तो किसानों की कर्ज माफी से लेकर जो तमाम समस्याएं होंगी उन्हें दूर किया जाएगा। कांग्रेस नेता जो फार्म भरवा रहे हैं उसे चुनावी लालच के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि कांग्रेस नेता अखिलेश प्रताप सिंह कहते हैं कि हम किसानों के लिए पक्का वादा करना चाहते हैं। इसलिए यह फार्म भी इसी शर्त पर भरवाया जा रहा है कि कांग्रेस ने जो वादा किया है उसे पूरा करेगी। सिंह कहते हैं कि जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी तब भी किसानों के हित में बड़े फैसले लिए गए।

कांग्रेस के इस नए तरह के प्रयोग के पीछे केवल यह तर्क है कि प्रदेश में जाति और धर्म की सियासत से ऊपर उठकर पार्टी हर वर्ग को साथ लेकर चलना चाहती है। इसलिए किसानों के मुद्दों को उठाने के लिए पार्टी प्राथमिकता के साथ काम कर रही है। किसानों के अलावा राहुल गांधी दलित और मुसलमानों के बीच भी जाएंगे और उनकी समस्याएं सुनेंगे। खाट पंचायत के आयोजन की परिकल्पना पार्टी के रणनीतिकार कहे जाने वाले प्रशांत किशोर की है। वैसे कांग्रेस उपाध्यक्ष की किसानों को लेकर दिलचस्पी कोई नई नहीं है। इससे पहले राहुल गांधी ने भट्ठा परसौल से किसानों की लड़ाई की शुरुआत की थी। उस समय राहुल गांधी के साथ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इसकी पूरी रणनीति बनाई थी। भट्ठा परसौल के बाद दिल्ली में भी राहुल गांधी ने एक लंबे प्रवास से लौटने के बाद किसानों की रैली को संबोधित किया था और उसमें किसानों के हक की आवाज उठाई थी। उस रैली का पूरा खाका दिग्विजय सिंह ने तैयार किया था और राहुल गांधी को किसान नेता के तौर पर स्थापित करने की पूरी तैयारी भी की गई। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक आज कांग्रेस ही नहीं, किसी भी राजनीतिक दल में कोई बड़ा किसान नेता नहीं है। कभी उत्तर प्रदेश में किसान नेता के रूप में मशहूर रहे चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजीत सिंह ने किसानों के जरिये अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश की थी लेकिन उनका भी ध्यान किसान हितों से ज्यादा सियासी दांवपेच में लग गया। अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समय-समय पर किसानों के मुद्दे को उठाने का काम तो करती है लेकिन किसानों के बीच पकड़ बनाने में कामयाब नहीं हो सकी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ही किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के निधन के बाद कोई ऐसा नेता नहीं हुआ जो किसानों को एकजुट कर सके। वहीं राहुल गांधी को अब किसान नेता के रूप में स्थापित करना चाह रहे हैं। कांग्रेस रणनीतिकार के मुताबिक किसान नेता के रूप में राहुल गांधी को स्थापित करने के पीछे यह भी एक प्रमुख कारण है कि देश की एक बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है और जब तक किसानों की समस्या दूर नहीं होगी किसान बदहाल ही रहेगा।

पूर्वांचल से शुरू हुई इस यात्रा में अवध, बुंदेलखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उस इलाके में भी राहुल गांधी जाएंगे जहां बड़ी संख्या में किसान बदहाल हैं। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने यात्रा की शुरुआत में ही प्रदेश और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि आज किसानों के सामने राज्य और केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण संकट खड़ा हुआ है। राहुल ने कहा कि जब यूपीए की सरकार थी तब किसानों के हित में कई बड़े कदम उठाए गए लेकिन पिछले दो साल में किसान बदहाल हैं। राहुल के लिए इस पूरी यात्रा के आयोजन में जुटे एक रणनीतिकार के मुताबिक हर जगह राहुल किसानों के अलग-अलग मुद्दों को उठाएंगे। उदाहरण के तौर पर बुंदेलखंड में जहां सूखे के संकट पर चर्चा होगी वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के मुद्दों को उठाया जाएगा। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर भी उन मुद्दों को उठाएंगे जिससे कि जनता के बीच माहौल बन सके। दलित और मुसलमान कांग्रेस के एजेंडे में शामिल हैं।

कांग्रेस इस यात्रा के दौरान किसानों के लिए यूपीए सरकार के दौरान जो बड़े कदम उठाए गए थे उसका पूरा विवरण भी दे रही है। खासकर भूमि अधिग्रहण के मुद्दे को कांग्रेस अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि मानती है। इसके साथ ही मनरेगा के लाभ के बारे में भी किसानों को अवगत कराया जाएगा। कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह कहते हैं कि मौजूदा केंद्र और राज्य सरकार ने जिस तरह किसानों की उपेक्षा की है उससे उनकी बदहाली और बढ़ गई है। सिंह कहते हैं कि राहुल गांधी किसानों की समस्याएं सड़क से लेकर संसद तक में उठा रहे हैं। इसलिए इस यात्रा को किसान यात्रा के रूप में चलाया जा रहा है। कांग्रेस की इस किसान यात्रा का खाका तैयार करने में पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह, राजस्थान कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का सहयोग भी बताया जा रहा है। सचिन पायलट की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गुर्जर नेताओं में अच्छी पकड़ है और कई जगहों पर कांग्रेस उन्हें इस यात्रा का हिस्सा भी बनाएगी। कांग्रेस उपाध्यक्ष को किसान नेता के रूप में स्थापित करने का जो फॉर्मूला पार्टी के रणनीतिकार बना रहे हैं उससे कितना लाभ होगा इसको लेकर राजनीतिक विश्लेषक संशय भी जता रहे हैं।

पूर्वांचल पीपुल्स पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद सिंह कहते हैं कि जब तक गांव, गरीब की बात नहीं होगी तब तक इस तरह के मुद्दे उठाने से कोई फायदा नहीं। सिंह के मुताबिक आज पूरे प्रदेश में किसान नेता किसानों के नाम पर चुप्पी साध जाते हैं। पश्चिम से लेकर पूरब तक कोई भी बड़ा किसान नेता नहीं है जो उनकी समस्याओं को उठा सके। सिंह के मुताबिक किसानों की कर्जमाफी को लेकर आज भले ही राहुल गांधी खाट पंचायत कर रहे हों लेकिन इससे पहले वह स्वयं बड़ी पदयात्रा कर चुके हैं। सिंह कहते हैं कि आज किसानों की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। लेकिन सियासी दल केवल चुनाव के समय में यह मुद्दे उठाते हैं। दूसरी ओर कांग्रेस ने पूर्वांचल के लिए पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश मिश्रा को जिम्मेदारी सौंपी है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इमरान मसूद को यात्रा का जिम्मा सौंपा गया है। जबकि यात्रा का पूरा आयोजन किसानों के लिए किया जा रहा है और इसमें कोई भी बड़ा किसान नेता कांग्रेस उपाध्यक्ष के साथ मौजूद नहीं है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के अलावा प्रभारी महासचिव गुलाम नबी आजाद, मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित के अलावा प्रदेश के कई नेता तो मंच पर मौजूद रहेंगे लेकिन जिस तरह खाट पंचायत के आयोजन के बाद खाट की लूट हुई उससे तो माना ही जा रहा है कि कांग्रेस के कार्यकर्ता इस तरह का व्यवहार नहीं करेंगे। कांग्रेस के इस अभियान पर सियासी दल भी चटकारे लेते हैं। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि जब चुनाव का समय आया तो किसान याद आने लगे। इससे पहले कांग्रेस ने किसानों के लिए क्या किया इसका कोई ब्यौरा क्यों नहीं दे रहे। वहीं भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी कहते हैं कि कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है इसलिए अब खाट पंचायत करके सुर्खियां बटोरने का काम कर रहे हैं। 

Advertisement
Advertisement
Advertisement