यकीनन फैशन के महारथियों ने ग्लैमर के ब्रह्मास्त्र से दुनिया भर और भारत में अपना कामयाब जलवा ऐसे बिखेरा है कि क्षेत्र और इलाके की दीवारें टूटने लगी हैं और ढेरों लोग उनके लेबल वाले कपड़ाां के दीवाने हो उठे हैं। फैशन की दुनिया में रंगों, कट और स्टाइल का लगातार युद्ध छिड़ा हुआ है। युद्ध का यह मैदान दिनोंदिन व्यापक होता जा रहा है जो इन महारथियों को अपना वजूद बचाए और कायम रखने के लिए नए साथियों और नए क्षेत्रों में घुसपैठ करने पर मजबूर करता है। भारत का फैशन जगत दमखम और जोश-जज्बे से भरा है और पिछले कुछ साल में इसके महारथियों ने इस पेशे को दुनिया के सबसे ग्लैमरस, रोमांचक, कमाई और उम्मीदों भरे कॅरिअर की तरह पेश किया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देने वाला वस्त्र उद्योग सिले-सिलाए कपड़ांे और डिजाइन के क्षेत्र में इनोवेशन के जरिए उभरने की कोशिश कर रहा है। फैशन और उसका दिनोंदिन बढ़ता जलवा इसे कॅरिअर के तौर पर चुनने का पर्याप्त मौका मुहैया कराता है। आज फैशन उद्योग इस कदर विशेषज्ञता की मांग करता है कि डिजाइन की पढ़ाई, उस पर अमल करने का हुनर, प्रबंधन और उत्पादन से जुड़े हर मामले में विशेषज्ञ बनने की दरकार है। भारतीय फैशन उद्योग ने एक अनूठा माहौल तैयार किया है और उसके पास वह सबकुछ है जो इसके लिए जरूरी है। आज फैशन स्कूल के ग्रेजुएट काफी सफलतापूर्वक दुनिया में होड़ लेते नजर आते हैं।
टेक्नोलॉजी के विस्तार ने सोशल नेटवर्क और मीडिया के जरिए ग्राहकों तक फौरन पहुंच की आजादी दी है, जिससे ग्लैमर अब आम लोगों पर भी जादू बिखेरने लगा है, जो कुछ समय पहले तक खास अभिजन बिरादरी तक ही सीमित था। इससे कॅरिअर विकल्प के रूप में फैशन का आकर्षण बढ़ा है। अधिक से अधिक युवा फैशन की पढ़ाई कर रहे हैं। पिछले कुछ दशक में फैशन उद्योग का पैमाना और दायरा भी काफी बढ़ा है।
अपना डिजाइनर होने की बात अब कई लोग गर्व से कहते हैं। इसका असर इस कदर फैल रहा है कि प्रमुख टीवी चैनलों के प्राइम टाइम पर भविष्य बांचने वाले कहने लगे हैं, “यदि आप फैशन डिजाइनर हैं तो आज आपका दिन मंगलमय होगा और आपका लकी कलर है ब्लैक।”
सीबीएसई ने 2004 में फैशन स्टडीज की शुरुआत की। इससे भारत में फैशन एजुकेशन को रफ्तार मिली और माता-पिता बच्चों को डिजाइनिंग को अपनी पहली पसंद बनाने की आजादी देने के लिए मजबूर हुए। इस पहल ने युवा पीढ़ी को स्कूल में ही डिजाइन के बारे में सोचने का विकल्प दिया। वह दिन दूर नहीं जब छात्रों के पास मैथ, केमिस्ट्री और फिजिक्स (पीसीएम) के बजाय केमिस्ट्री और फैशन के साथ टेक्सटाइल्स एलीमेंट, डिजाइन के साथ हिस्ट्री और संभवतः कॉमर्स के साथ डिजाइन पढ़ने का विकल्प होगा। इन विषयों के युग्म को करीब से देखने पर पता चलता है कि ये वास्तव में एक-दूसरे के पूरक हैं और फैशन की विभिन्न बारीकियों की समझदारी बढ़ाते हैं और कामयाब होने की राह आसान करते हैं।
इसके अलावा, देश में डिजाइन पर तवज्जो देने के लिए नेशनल डिजाइन पॉलिसी 2011 में महत्वपूर्ण और रणनीतिक योजनाओं पर ध्यान दिया गया है। इसने परंपरागत संसाधन और तकनीक की मदद से रचनात्मक डिजाइन के विकास, प्रचार और कई क्षेत्रों, राज्यों में साझेदारी का मंच तैयार करने में मदद की है। द वर्ल्ड स्किल कांटेस्ट में फैशन टेक्नोलॉजी भी उन क्षेत्रों में एक है जहां पूरी दुनिया के लोग प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतने की कोशिश करते हैं।
वह दौर बीत चुका, जब डिजाइनिंग में कॅरिअर बनाने की चाह रखने वाले बच्चे और उनके माता-पिता कुछ सतर्क और उलझन भरे दिखते थे। तब उन्हें पता नहीं होता था कि इंडस्ट्री में डिजाइनर की कितनी मांग है और उसकी क्या हैसियत है। आज फैशन आइकन, पेशेवरों और संस्थानों की भरमार है, जो अपने अनुभवों से इस क्षेत्र में कॅरिअर बनाने की इच्छा रखने वाले लोगों के सपनों को उड़ान देते हैं ताकि उनका भविष्य और नजरिया सीमित न हो और ह्यूमन इंटरफेस और डिजाइनिंग की उनकी समझ व्यापक हो। दुनिया भर में हस्तनिर्मित चीजों का चलन तेजी से बढ़ा है। इसने अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों की एक नई मांग पैदा की है।
अंतरराष्ट्रीय जगत में भारतीय फैशन एजुकेशन को व्यापक स्वीकार्यता हासिल है। इससे नए प्रोग्राम बनाने, छात्र और शिक्षकों के एक-दूसरे के यहां आने-जाने और अनुसंधान के लिए डिजाइन स्कूलों को अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ के महत्वपूर्ण अवसर मिले हैं। अब डिजाइन स्कूल पीएचडी की डिग्री प्रदान करते हैं जो इस तरह के कार्यक्रमों के दायरे और अंतरराष्ट्रीय मान्यताओं के लिहाज से बड़ी उपलब्धि है। नतीजतन, फैशन की दुनिया में अपना नाम स्थापित करने की महत्वाकांक्षा लेकर काफी संख्या में लोग आ रहे हैं और साल दर साल यह संख्या बढ़ती जा रही है। असाधारण प्रतिभा और सृजनात्मकता से फैशन की समझ आती है और किसी अन्य पेशे की तरह जो लोग खुद के लिए काम करते हैं वे स्थापित हो जाते हैं।
वर्तमान में भारत में डिजाइनिंग एजुकेशन के मानदंड कमजोर हैं। कुछ संस्थान वैश्विक स्तर के हैं और कुछ दूसरे बुनियादी मसलों में ही उलझे हैं। डिजाइन के विभिन्न क्षेत्रों के बीच की दीवारें ज्यादा से ज्यादा पारदर्शी हो रही हैं और बदलते तकनीक के साथ हर दिन विकसित होने वाला नया ज्ञान उपलब्ध है। अवसर की तलाश करने वालों को मौके मिलते हैं।
देशभर में फैले निफ्ट के 16 परिसरों में जुलाई से शुरू हो रहे नए पाठ्यक्रम भविष्य की फैशन शिक्षा की दिशा तय करने को तैयार हैं। बाजार के बदलते आयामों और इंडस्ट्री पर इसके असर के बीच फैशन गुरुओं को छात्रों के साथ मिलकर फैशन और इससे संबंधित इंडस्ट्री के नए क्षेत्रों को भुनाने के मौके बनाने होंगे। मेरा मानना है कि देश के अग्रणी फैशन स्कूल ऐसा कर रहे हैं।
भारत में फैशन डिजाइनिंग के पाठ्यक्रमों की भारी मांग है। न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय फलक पर भी कॅरिअर शुरू करने की अपार संभावना है। यह फैशन हाउस या फैशन बुटीक तक ही सीमित नहीं है, बल्कि फैशन चैनल, फैशन शो और कार्यक्रमों के माध्यम से फिल्म, मनोरंजन और मीडिया इंडस्ट्री तक इसका विस्तार हो सकता है।
डिजाइनिंग स्नातकों को कभी-कभी मांग और आपूर्ति में असंतुलन की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन इनोवेशन और नई विशेषज्ञता से डिजिटल मैन्यूफैक्चरिंग, सोशल इनोवेशन, स्थिरता और नए व्यावसायिक मॉडल उभर रहे हैं, जो फैशन की दुनिया में कॅरिअर के नए रास्ते खोल रहे हैं। लोक संस्कृति, फिल्म, स्टाइल में रुचि रखने वालों को यह इंडस्ट्री आकर्षित करती रहेगी। मेरा मानना है कि फैशन की दुनिया में ठहराव का कोई वक्त नहीं होता।
पतले से धागे और उसकी बुनाई-कढ़ाई-सिलाई ने कई बदलाव देखे हैं और भविष्य में भी यह जारी रहेगा ताकि कल के फैशन महारथियों के लिए यह दुनिया और महफूज हो।
(लेखक निफ्ट, पटना के निदेशक हैं)