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मप्र में घर पहुंचता मयखाना

सरकार के सख्त कदमों से सुधार की उम्मीद लेकिन अवैध शराब का कारोबार धड़ल्ले से चालू
शराब की दुकान पर लगी भीड़

मध्य प्रदेश में पिज्जा-बर्गर की तरह शराब की होम डिलिवरी के खेल पर सरकार ने शिकंजा कस दिया है। खाने-पीने के सामान की घर पहुंच सेवा तो शहरों तक सीमित है लेकिन इसी तर्ज पर घर-घर शराब की सप्लाई ने सामाजिक ताने-बाने को तहस-नहस कर दिया था। ‘वाइन एट होम’ के खिलाफ चली मुहिम ने प्रदेश के शराब कारोबारियों की नींद उड़ा दी है। इस अवैध कारोबार के प्रति आंखें मूंदे रहने वाले पुलिस और आबकारी के अमलों की पेशानी पर भी बल पड़ने लगे हैं। सरकार की मुहिम से मध्य प्रदेश की डिस्टलरी और शराब दुकानों के माल की गुजरात में आवाजाही भी रुक गई है लेकिन राजस्थान और पंजाब से मध्य प्रदेश से होकर गुजरात जाने वाली अवैध शराब का कारोबार अब भी धड़ल्ले से जारी है।

प्रदेश में दो महीने के भीतर 2 लाख लीटर देशी-विदेशी और कच्ची शराब जब्त हुई है। पंद्रह हजार 575 लोगों की गिरफ्तारी हुई है तो 1,147 ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। सड़क हादसों का सबब बन रहे शराब पीकर वाहन चलाने वालों पर भी रोक लगाने के लिए 15 हजार चालान काटे गए हैं।  कुल छियासठ लाख रुपये की वसूली जुर्माने के रूप में हुई है और ऐसे 1,400 ड्राइवरों के लाइसेंस भी निरस्त हुए हैं। जुलाई के पहले हफ्ते में गृहमंत्री की कमान संभालने के बाद भूपेंद्र सिंह ने सबसे पहला काम यही किया है। सुनने में यह हैरत की बात नहीं लगती लेकिन पंजाब में अगर सूखे नशे (मादक पदार्थ) की सप्लाई बड़ा मुद्दा है जो पंजाब की युवा पीढ़ी को नशे के अंधकार में धकेल रहा है तो मध्य प्रदेश के गांवों को शराब की सुलभ सप्लाई तबाह कर रही है।

राजस्थान के बाद देश के सबसे बड़े राज्य मध्य प्रदेश के गांवों में शराब ठेकेदारों ने घर-घर देशी-विदेशी शराब पहुंचाने की सेवा शुरू कर रखी थी। भूपेंद्र सिंह ने आउटलुक को बताया कि जब भी वह किसी गांव के दौरे पर जाते थे तो गांव की महिलाओं और बुजुर्गों का एक ही सवाल होता था, गांव में अवैध शराब की होम डिलिवरी कब रुकेगी? जिसे पीना हो वह शराब के ठेके, अहाते, बार और होटलों में जाए। गांव-गांव में जब अवैध रूप से शराब की घर पहुंच सप्लाई से घर उजड़ रहे हैं, क्चोती पिछड़ रही है। सिंह कहते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले कई सालों से राज्य में देशी और विदेशी शराब की नई दुकानें नहीं खुलने दीं। आबकारी विभाग ने देशी-विदेशी शराब की दुकानें बढ़ाने का प्रयास किया तो मुख्यमंत्री ने उनके प्रस्तावों को सिरे से खारिज किया। यही नहीं, बीच में देशी शराब दुकानों पर विदेशी शराब बेचने का प्रस्ताव भी लाया गया लेकिन मु्ख्यमंत्री ने इस फैसले को भी उलट दिया। बावजूद इसके शराब माफियाओं ने शहरों में प्रचलित खाने के सामान की होम डिलिवरी की तर्ज पर गांव-गांव में शराब पहुंचाने की ‘घर पहुंच सेवा’ शुरू कर मुख्यमंत्री की मंशा पर पानी फेर रखा था। भूपेंद्र सिंह बताते हैं, ‘अवैध शराब बिकने की गांव वालों की शिकायत पर वह कुछ नहीं कर पाते थे। वजह थी न उनके पास आबकारी विभाग था, न अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने की क्षमता रखने वाला पुलिस महकमा। वह कहते हैं, ‘जैसे ही मेरे पास गृह विभाग की कमान आई, मैंने पहला फरमान शराब की होम डिलिवरी पर पाबंदी लगाने की मुहिम छेड़ने का जारी किया।’

प्रदेश में आबकारी विभाग ने 2,594 देशी और 1,089 विदेशी शराब की दुकानों के ठेके जारी कर रखे हैं। कानून के तहत सरकार द्वारा नियत स्थान के अतिरिक्त कोई ठेकेदार शराब नहीं बेच सकता। अपने क्षेत्र से बाहर जाकर शराब बेचना गैरकानूनी है। अतिरिक्त कमाई के लोभ में ठेकेदार शराब की घर पहुंच सेवा का काम कर रहे हैं। सरकार ने शराब के नियमित ठेकों के अलावा 172 अहातों, 73 बार, 181 होटल बार लाइसेंसों, 3 रिसोर्ट बार लाइसेंस, 15 क्लब में शराब लाइसेंस, 16 कर्मशियल क्लब लाइसेंस, सेना के थोक एवं रिटेल 120 कैंटिन लाइसेंस दे रखे हैं। इनके साथ ही गांवों में शराब की घर पहुंच सेवा के साथ होटल, ढाबे और रिसोर्ट चलाने वाले कई रसूखदारों ने अपने रेस्टोरेंट में बगैर लाइसेंस अवैध शराब बिक्री सेवा चला रखी थी।

बहरहाल, गृहमंत्री के फरमान के बाद प्रदेश के शराब माफियाओं में हड़कंप है। अवैध तौर पर शराब बेचने वाले परेशान हैं। इलाके में शराब की अवैध बिक्री की तरफ से आंख मूंदने वाले दरोगा और पुलिस महकमे के कई बड़े मैदानी अफसर भी अपनी महीने की कमाई हाथ से जाने से हैरान हैं तो आबकारी विभाग का अमला भी हलकान है। शराब की होम डिलिवरी और होटलों, ढाबों में अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगने से पुलिस के साथ ही आबकारी अमले की कमाई पर भी असर पड़ा है। लिहाजा शराब माफिया के साथ पुलिस और आबकारी अमला भी गृहमंत्री के खिलाफ लामबंद हो रहा है। पहले कोशिशें गृहमंत्री को साधने की हुईं लेकिन इसमें नाकामी हाथ लगी तो अब शराब माफियाओं और अफसरों की लॉबी उनका विभाग बदलवाने की कवायद में जुट गया है। लेकिन न तो मुख्यमंत्री पीछे हटने को तैयार हैं न भूपेंद्र सिंह टस से मस हो रहे हैं।

मेरे पास गृह विभाग की कमान आई, मैंने पहला फरमान शराब की होम डिलिवरी पर पाबंदी लगाने की मुहिम छेड़ने का जारी किया।

भूपेंद्र सिंह

गृहमंत्री, मध्य प्रदेश

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