साल भर बाद लोकसभा और उसके पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव यानी अगले 17 महीने में दो चुनावों का सामना करने के लिए हरियाणा के सियासी सूरमा अभी से मैदान में उतर गए हैं। 2014 में राज्य में पहली बार अपने बूते सरकार बनाने वाली भाजपा इस बार भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से लेकर तमाम कैबिनेट मंत्री और विधायक जिला मुख्यालयों पर रोड शो के लिए उतर गए हैं।
भाजपा पद्रेश अध्यक्ष सुभाष बराला ने बताया कि भाजपा मिशन 2019 के तहत लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। मुख्यमंत्री के रोड शो के अलावा हरियाणा भाजपा लोगों के बीच जाएगी और केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं को उन तक पहुंचाएगी। वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री तैयारियों का जायजा लेने के लिए संबंधित जिलों में कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री नहीं चाहते हैं कि उनके रोड शो को लेकर भाजपा के शीर्ष नेताओं तक गलत फीडबैक जाए। तमाम सरकारी मशीनरी झोंकने के बावजूद फरवरी में जींद में अमित शाह की मोटरसाइकिल रैली फ्लॉप होने से प्रदेश भाजपा की किरकिरी हुई थी।
वैसे, इसे लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। विपक्ष का कहना है कि साढ़े तीन साल की खट्टर सरकार के पास उपलब्धियों के नाम पर जनता के सामने गिनाने को कुछ भी नहीं है, इसलिए रोड शो सफल बनाने के लिए विधायकों और मंत्रियों पर सीएमओ की ओर से दबाव बनाया जा रहा है। इसके अलावा विपक्ष भी रोड शो की तैयारियों में जुट गया है। चार खेमों में बंटी कांग्रेस के खेमेदार अपनी-अपनी चुनावी ताल ठोकने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की जनक्रांति रथयात्रा का दूसरा चरण तीन जून से पानीपत के समालखा से शुरू होगा। हुड्डा रथयात्रा के जरिए प्रदेश के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं के बीच पैठ मजबूत करने के प्रयास में हैं। इधर, एकला चलो की नीति पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर अपने स्तर पर आयोजनों में लगे हैं। इसका संदेश कांग्रेस हाईकमान के लिए भी है। इसलिए चुनावी वैतरणी पार लगाने के लिए पिछले दिनों चंडीगढ़ में कार्यकर्ताओं की बैठक में हुड्डा को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की मांग उठी। कांग्रेस के 15 विधायक भी उनके साथ हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और कैथल से विधायक रणदीप सुरजेवाला महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुमित्रा चौहान के साथ मिलकर रैलियां कर रहे हैं। चुनावी बिसात बिछती देख सोनिया गांधी की करीबी कुमारी शैलजा भी अपनी रैलियों से प्रदेश में सक्रिय हो गई हैं।
कांग्रेस में सीएम चेहरे की लड़ाई
मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस में करीब आधा दर्जन चेहरे लालायित हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर, विधानसभा में कांग्रेस दल की नेता किरण चौधरी के खेमों में बंटी कांग्रेस में सिर्फ एक चेहरा हुड्डा का है, जिसका पूरे सूबे में जनाधार है। हुड्डा को असली चुनौती राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला से है। नेशनल यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे रणदीप का जोर इन दिनों रैलियों के जरिए पूरे सूबे के कार्यकर्ताओं में आधार बढ़ाने पर है। वे राहुल गांधी की गुड बुक्स में भी हैं। हालांकि, मानेसर-पंचकूला प्लॉट आवंटन घोटाले के आरोपों में हुड्डा के खिलाफ सीबीआइ जांच जारी है। चुनाव से पहले उन पर कोई कार्रवाई होती है तो पार्टी आखिरी वक्त पर दूसरे जाट चेहरे रणदीप पर भी दांव खेल सकती है।
उधर, विपक्ष के नेता इनेलो महासचिव अभय सिंह चौटाला ने बसपा प्रदेश अध्यक्ष प्रकाश भारती के साथ मिलकर पंजाब से सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) जल बंटवारे की 35 साल पुरानी मांग को लेकर पूरे प्रदेश में जेल भरो आंदोलन छेड़ दिया है। इनेलो-बसपा गठबंधन प्रदेश में वृद्धावस्था पेंशन 2,500 रुपये और बेरोजगारी भत्ता 15,000 रुपये करने के लुभावने वादे भी कर रहा है। जेबीटी टीचर भर्ती घोटाले में पिता-पुत्र ओमप्रकाश चौटाला और अजय चौटाला के जेल जाने से कमजोर पड़ी इनेलो ने 2019 के चुनाव के लिए अपनी ताकत बढ़ाने को बसपा से गठबंधन किया है।
विपक्ष के नेता अभय चौटाला सरकारी खर्चे पर भाजपा सरकार के रोड शो पर भी सवाल उठाते हैं। उनका कहना है कि सरकारी खर्चे पर रोड शो करना कितना जायज है। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि साढ़े तीन साल के कार्यकाल में भाजपा सरकार ने जनहित में एक भी फैसला नहीं लिया है। यही वजह है कि सरकार की पोल खोलने के लिए वह तीन जून से जनक्रांति रथयात्रा का दूसरा चरण शुरू करने जा रहे हैं।