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विवाद : विधानसभा सदन में धार्मिक प्रवचन

इससे पहले न कभी लोकसभा में ऐसा हुआ, न किसी और विधानसभा में
हरियाणा विधानसभा के अंदर जैन मुनि तरुण सागर के कड़वे प्रवचन

बीते दिनों कड़वे प्रवचन के लिए मशहूर जैन मुनि तरुण सागर ने भाजपा शासित राज्य हरियाणा विधानसभा में प्रवचन दिए, जिसके बाद इस मसले की संवैधानिक- वैधानिक और विधानसभा परंपरा के मुद्दे पर देशभर में विवाद खड़ा हो गया। सवाल उठ रहा है कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश की विधानसभा में जहां सदन की कार्रवाई चलती है वहां किसी बाहरी व्यक्ति को, वह भी धार्मिक प्रवचनों के लिए इजाजत कैसे मिल सकती है।

हालांकि इससे पहले भी दूसरे राज्यों की विधानसभाओं में अतिथियों को आमंत्रित कर इस प्रकार के धार्मिक प्रवचन होते रहे हैं लेकिन वे विधानसभा के सदन के बजाय परिसर के सभागार में आते रहे हैं और धार्मिक प्रवचन देते रहे हैं, सदन के सभागार में नहीं। इस बारे में भारतीय संविधान के जानकार और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप बताते हैं कि इस मसले को दो पक्षों से देखा जा सकता है। एक पक्ष संवैधानिक-वैधानिक और दूसरा संसदीय परंपरा और औचित्य। एक सदन अपनी प्रक्रिया का स्वामी होता है। चाहे वह लोकसभा हो या राज्य विधानसभा या राज्य विधानपरिषद। सदन का निर्णय सर्वोपरि होता है और उसके बाद सदन अध्यक्ष का। परंपरा अनुसार सदन की ओर से निर्णय अध्यक्ष देता है। अपने जीवनकाल में मैंने लोकसभा में ऐसा कभी नहीं देखा कि सदन के अंदर किसी बाहरी व्यक्ति को बोलने का मौका दिया गया हो। लेकिन सेंट्रल हॉल में भाषण होते रहे हैं। कश्यप के अनुसार, लेकिन राज्य विधानसभाओं में ऐसा हुआ है कि विधानसभा सभागारों में बाहर के लोग जाकर भाषण देते रहे हैं। उनके अनुसार वह खुद विधायकों के प्रशिक्षण कार्यफ्मों में राज्य विधानसभाओं में जाते रहे हैं। विधानसभाओं में इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यफ्मों के लिए वहां के विधानसभा परिसर सभागार का प्रयोग किया जाता रहा है।

लेकिन हरियाणा विधानसभा में जैन मुनि तरुण सागर को उस जगह प्रवचन करने की इजाजत दी गई जिस जगह सदन की कार्रवाई चलती है। केवल इतना ही नहीं, यह इस मामले में भी यह पहला मौका था जबकि किसी धार्मिक गुरु ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री की कुर्सी से ऊंचे सिंहासन पर बैठकर प्रवचन दिए हों। जाहिर है वह धर्म के रीति-रिवाज मुताबिक निर्वस्त्र विधानसभा में पहुंचे, जहां महिलाएं भी मौजूद थीं। वहां उन्होंने आरक्षण, धर्म, राजनीति और महिलाओं जैसे मुद्दे पर बोला। मोदी सरकार की नीतियों की भी जमकर तारीफ की। हरियाणा सरकार के सूत्र बताते हैं कि राज्य के शिक्षा मंत्री राम विलास शर्मा ने जैन मुनि को वहां पर बोलने के लिए आमंत्रित किया था। वैसे राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी की राजनीतिक पृष्ठभूमि मध्य प्रदेश की है और उनका जैन मुनि से पुराना संपर्क रहा है।

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह कहते हैं कि हमारे देश में विभिन्न धर्म हैं। सभी का सम्मान होना चाहिए। मैं विधानसभा में किसी धार्मिक कृत्य के पक्ष में नही हूं। करना था तो मुख्यमंत्री अपने घर या किसी सभागार में करते। वहीं पूर्व राज्यसभा सांसद और महाराष्ट्र से विधायक अबू आसिम आजमी बताते हैं कि आज तक ऐसा नहीं सुना गया कि किसी विधानसभा में किसी धार्मिक गुरु ने इस प्रकार प्रवचन दिए हों। धर्म निजी मसला होता है उसे विधानसभा में नहीं लाया जा सकता है। वहीं हरियाणा कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष अशोक तंवर कहते हैं कि हमें किसी भी संत के प्रवचन करने पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इसका कोई अंत ही नहीं है। यह अंतहीन है। कल दूसरी सरकार किसी और धार्मिक गुरु को बुलाएगी।

लगभग चार वर्ष पहले मध्य प्रदेश विधानसभा में इन्हीं जैन मुनि को प्रवचन देने लिए बुलाया गया था लेकिन वह प्रवचन विधानसभा परिसर सभागार में हुए थे। इस बारे में प्रदेश के संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि विधानसभा परिसर अध्यक्ष के क्षेत्राधिकार में आता है। परिसर में प्रवेश की सभी अनुमतियां अध्यक्ष द्वारा या उनके नाम पर विधानसभा सचिवालय देता है। तरुण सागर जैन संत के अलावा जनसंत भी हैं इसलिए उनका विधानसभा सभागार में अभिनंदन किया गया था।

(साथ में मध्य प्रदेश से

राजेश सिरोठिया)

 

लोकसभा में ऐसा कभी नहीं देखा कि सदन के अंदर किसी बाहरी व्यक्ति को बोलने का मौका दिया गया हो।

सुभाष कश्यप

लोकसभा के पूर्व महासचिव

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