टाइम इज मनी-अगर यह मुहावरा वाकई सही है तो भारतीयों से ज्यादा अमीर दुनिया भर में कोई ना है। कोई भी नहीं। इतना टाइम है, इतना फालतू टाइम है कि फीफा फुटबॉल विश्वकप को जून के तीसरे हफ्ते तक करीब पांच करोड़ भारतीय देख चुके थे। इनमें से 45 प्रतिशत महिलाएं थीं और 55 प्रतिशत पुरुष थे। एक भारतीय फुटबॉल प्रेमी ने बताया कि वह घणा देशभक्त है, इसीलिए फीफा फुटबॉल कप देखता है। क्योंकि इस कप में पक्का है कि भारत कभी भी ना हार सकता, क्योंकि भारत की एंट्री ही ना होती इस कप में। देशभक्त होने का यह पक्का सबूत है कि फुटबॉल देखो, भारत की हार कभी ना देखनी पड़ेगी।
मतलब पेरु जीते या फ्रांस हारे। अर्जेंटीना जीते या जर्मनी हारे, भारतीयों का कुछ ना जा रहा है, ना उनके पास कुछ आ रहा है। बेगानी शादी में अबदुल्ला दीवाना नहीं, दीवानों की बारात है, दीवानों का जुलूस है। भारत में जनसंख्या का जो लेवल है, कुछेक बरस में फुटबॉल के अधिकांश दर्शक भारत से आएंगे, भले ही फीफा विश्वकप में भारतीय टीम खेल भी ना पाए।
खेलना धेले भर का नहीं है, पर शोर मचाएंगे खूब। अरे यह तो लोकतंत्र पर कमेंट हो गया। हमारे सांसदों पर कमेंट हो गया। कामधाम धेले का नहीं, बायकॉट से लेकर ठप मचाए रहेंगे। पर बवाल शोर फुलटू चलेगा। इंडियन फुटबॉल प्रेमी हमारे सांसदों से प्रेरित हैं या सांसद फुटबॉल प्रेमियों से प्रेरित हो रहे हैं, यह पता करना अभी मुश्किल है। पर यह साफ है कि फुटबॉल में भारत के करोड़ों लोग मन लगा रहे हैं। हिंदी में फुटबॉल फीफा कप की कमेंट्री आ रही है। एक मार्केटिंग एक्सपर्ट ने पूछा-क्या हम तमिल भाषा में भी भरपूर दर्शक जुटा सकते हैं। और भोजपुरी की कमेंट्री से भोजपुरी दर्शक फुटबॉल की तरफ आ सकते हैं क्या।
भारत में टीवी पर कुछ भी हो सकता है। नागिन सीरियल का नया संस्करण एकता कपूर की कंपनी ने लॉन्च कर दिया है और यह सुपरहिट हो रहा है। जापानी टेक्नोलॉजी से बने टीवी पर हम स्वदेशी टेकनीक की नागिन देखते हैं। हिंदी में फुटबाॅल को दर्शक मिल रहे हैं। भोजपुरी और तमिल में भी भरपूर मिल सकते हैं। थोड़े मार्केटिंग प्रयोग करने पड़ेंगे।
तमिलनाडु का दर्शक ऐसा कोई भी मैच मंजूर ना करेगा, जिसमें रजनीकांत अकेले ही सौ गोल ना कर रहे हों। बल्कि तमिलनाडु का दर्शक तो यह देखना चाहेगा कि रजनीकांत ने एक फुटबॉल को किक मारी, वह जाकर विपक्षी टीम के गोलबॉक्स में घुसी, फिर निकली तो वह आसमान में टंगी, फिर अगले मैच तक टंगी रही। दूसरा मैच जब शुरू हुआ, तो यही बॉल दूसरी टीम के गोलबॉक्स में जाकर घुस गई। इस तरह से पच्चीस-तीस टीमों के गोलबॉक्स में बारी-बारी घुसकर यह बॉल गोल करती रही। रजनीकांत की एक किक से पच्चीस गोल ना आए, तो क्या खाक रजनीकांत-फुटबॉल।
रजनीकांत खुद ही अकेली टीम होंगे, अकेले ही गोल करेंगे और अकेले ही गोल बचाएंगे। तमिल स्टाइल का फुटबॉल ऐसे ही होगा। तमिल भाषा में बड़े दर्शक बनाने हों, तो रजनीकांत का फॉर्मूला चाहिए। मुझे डर यह है कि रजनीकांत के प्रेमी उनसे इतनी जोर की किक न पड़वा दें फुटबॉल पर कि फुटबॉल गायब हो जाए। फुटबॉल वापस न आए, वापस आए मंगलयान, जो रजनीकांत के किक के असर से नीचे गिर पड़े। भारतीय टीवी में कुछ भी हो सकता है। तमिल और भोजपुरी बहुत संभावनाशील ग्लोबल भाषाएं हैं। विदेशी इन भाषाओं को बहुत उम्मीद भरी नजर से देखते हैं। भोजपुरी में फुटबॉल कमेंट्री बहुत पॉपुलर हो सकती है, पर उसमें मनोज तिवारी का गाना और रवि किशन का डांस बहुत जरूरी है। फुटबॉल मैच रोककर बीच में दोनों टीमों को उस गीत पर नाचता दिखाया जाना जरूरी है-‘तू लगावेलू जब लिपस्टिक, हिलेला पूरा डिस्टिक।’
ग्लोबल फुटबॉल को भारतीय शर्तों पर आना होगा। दर्शक चाहिए, तो भारत आना ही होगा। भारतीय भाषाओं में आना ही होगा। एक मार्केटिंग कंपनी ने कुछ गीतकार लगा दिए हैं, जो अगले फीफा फुटबॉल कप में भोजपुरी कमेंट्री में अपना इनपुट डालेंगे। एक गीत तैयार हो रहा था-‘दिल हमरा फुटबलवा, तू देख हमर जलवा,’ फीफा कप का भारतीय भविष्य बहुत उज्ज्वल है।