हरियाणा में पौने चार साल की भाजपा सरकार के लिए मिशन-2019 दोहरी चुनौती है। हालांकि अभी तय नहीं है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव दोनों एक ही साथ कराए जाएंगे या अलग-अलग। लेकिन सरकार और विपक्ष दोनों अभी से चुनावी मोड में आ चुके हैं। चुनावी चिंता में खुद मुख्यमंत्री प्रदेशभर में रोड शो, राहगीरी और जनसंपर्क अभियान में जुटे हैं। 2014 की मोदी लहर में तो हरियाणा की सत्ता भी भाजपा की झोली में आ गिरी थी पर 2019 कैसे फतह करेंगे, इस पर और राज्य सरकार के कामकाज पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से आउटलुक के संपादक हरवीर सिंह और वरिष्ठ सहायक संपादक हरीश मानव ने लंबी बातचीत की। कुछ अंशः
आप लगातार दौरे, रोड शो और सभाएं कर रहे हैं। क्या यह चुनावी तैयारी है?
लोकतंत्र में चुनाव अहम हैं और चुनाव से पहले ये सारी गतिविधियां सभी पार्टियां करती हैं। जनता सबका मूल्यांकन करती है। कौन ठीक बोल रहा है और कौन गलत। विपक्ष के इतिहास और सत्ता पक्ष के मौजूदा काम की तुलना कर लोग फैसले करेंगे कि अगली बार किसे सत्ता में लाना है। विधानसभा का सवा साल और लोकसभा में नौ माह ही बचे हैं। उसके लिए तैयारी शुरू हो गई है।
इन दिनों आप चंडीगढ़ में कम, राज्य के दूसरे हिस्सों में ज्यादा दिखते हैं। शिलान्यास और उद्घाटन पर जोर है। जल्दी चुनावी मोड में आने की वजह क्या है?
तीन साल तक चंडीगढ़ में रहकर बहुत-सी जन कल्याणकारी नीतियां और योजनाएं बनाईं। ये कितनी कारगर हुईं, जनता को कितना फायदा मिला, यह जानने के लिए अब आगे का साल-सवा साल जनता और कार्यकर्ताओं के बीच ही गुजरेगा। चुनावी मोड में हम ही नहीं, विपक्ष भी सक्रिय हो गया है।
2019 में लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव भी हैं। क्या दोनों एक साथ कराने की तैयारी है?
प्रधानमंत्री सहित कई लोगों ने इस विषय को उठाया कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। पांच साल लगातार चुनाव में लगे रहना किसी के हित में नहीं है। हमें कोई आपत्ति नहीं है और हम एक साथ चुनाव कराने को तैयार हैं।
आप से पहले सभी मुख्यमंत्री मजबूत राजनीतिक पृष्ठभूमि या परिवारों से आते रहे हैं। सिर्फ आप ही ऐसे हैं, जो किसी दावेदारी, राजनीतिक पृष्ठभूमि या परिवार से नहीं रहे। आप इसमें क्या अंतर महसूस करते हैं?
बाकी पार्टियों और भाजपा में एक अंतर है । बाकी पार्टियों में व्यक्ति विशेष होता है और उसी पर पार्टी टिकी होती है। भाजपा एक विचार है और सुदृढ़ संगठन है। यहां व्यक्ति के साथ संगठन का भी विशेष महत्व है। इस पर किसी व्यक्ति विशेष का कब्जा नहीं रहा।
सरकार के लगभग चार साल होने जा रहे हैं। कौन-सी ऐसी बड़ी उपलब्धियां हैं, जो लोगों के बीच लेकर जा रहे हैं?
हम लोगों के बीच चार उपलब्धियां लेकर जा रहे हैं। एक, विकास। पिछली सरकारों ने विकास के जो काम अधूरे छोड़ दिए थे, उसे हमने पूरा किया है। जैसे कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) मार्ग 2009 तक पूरा होना था। अब 15 अगस्त तक पूरा हो जाएगा, सितंबर में प्रधानमंत्री से उद्घाटन कराने की तैयारी है। दूसरे, नागरिक सेवाओं को बेहतर किया है। 350 से ज्यादा योजनाओं का लाभ देने के लिए सिंगल विंडो व्यवस्था कायम की। तीसरे, रोजगार की दिशा में प्राइवेट सेक्टर के लिए हमने स्किल यूनिवर्सिटी की पहल की, इसके तहत 800 कोर्स चिह्नित किए हैं और एक लाख लोगों को स्किल्ड किया है। चौथे, 2014 में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत पर लिंगानुपात 871 था, जो अब बढ़कर 922 हुआ और लक्ष्य 950 का है।
पिछली सरकारों पर विकास कार्यों को लेकर क्षेत्रीय असंतुलन के आरोप लगते रहे हैं। आपने इस धारणा को कैसे बदला?
मैंने अपने हलके करनाल के लोगों को पहले ही दिन समझा दिया था कि ऐसी उम्मीद न करें कि करनाल ही सारे सितारे तोड़ लाए। हरेक हलके का मैंने खुद दौरा किया है। पूरे प्रदेश का एक-साथ एक जैसा विकास हुआ है। हर जिले के विकास के लिए 200 से 250 करोड़ रुपये की विकास योजनाएं शुरू कीं। हर जिले में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की योजना पर काम हो रहा है, ताकि डॉक्टरों की कमी दूर हो। प्रदेश की 2.70 करोड़ आबादी में प्रत्येक 1000 लोगों पर एक डॉक्टर के हिसाब से 27000 डॉक्टर चाहिए, जबकि अभी लगभग 12,000 डॉक्टर हैं। हम चाहते हैं कि हर साल 2000 नए डॉक्टर बनकर निकलें। सरकारी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस कराने वालों से बॉन्ड भरवाएंगे कि वे कम से कम तीन साल सरकारी सेवा में रहें।
हमारा देश कृषि प्रधान है, लेकिन कई इलाकों में किसानों की हालत चिंताजनक है। किसानों के हित में कौन-से कार्य किए गए?
बड़े किसानों के हालात ठीक हैं। जिनकी जोत तीन एकड़ से कम है, उनकी आमदनी कम है। हमने किसानों का रिस्क कम करने की कोशिश की है। प्रधानमंत्री बीमा योजना लागू की गई है। अभी 35 फीसदी किसान आए हैं। विपक्षी दलों का रवैया किसानों को बहकाने का रहा है। किसानों से झोली फैलाकर मैंने खुद बिजली के बिल मांगे हैं। सब्जी उत्पादक किसानों को भाव गिरने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भावांतर भरपाई योजना शुरू की है। किसानों को गन्ने का 330 रुपये प्रति क्विंटल यानी देश में सबसे ऊंचा भाव दिया जा रहा है। माइक्रो इरिगेशन पर 80 फीसदी तक सब्सिडी दी जा रही है। हर टयूबवेल को सोलर पावर से जोड़ा जा रहा है। हम आश्वस्त करेंगे कि केंद्र द्वारा हाल में फसलों के बढ़ाए गए एमएसपी प्रदेश के किसानों को मिलें।
सरकार के चार साल हो चुके हैं, लेकिन कहीं-न-कहीं सरकार और पार्टी में कुछ मतभेद हैं। मंत्रियों और विधायकों की नाराजगी की खबरें भी आती हैं, खासतौर से ट्रांसफर पोस्टिंग के मसले पर।
कहीं कोई नाराजगी नहीं है। सब एकजुट और संगठित हैं। लोकतंत्र में मतांतर होना स्वाभाविक है। जहां तक ट्रांसफर पोस्टिंग की बात है तो मंत्री अपने विभागों में ट्रांसफर-पोस्टिंग करने को आजाद हैं और वे कर रहे हैं। मैं खुद नहीं चाहता कि मैं ट्रांसफर करूं। इसे हम ऑनलाइन कर रहे हैं। शिक्षा विभाग में इसकी पहल कर दी है। लेकिन दूसरे दलों को देखें तो क्या-क्या खेल कर रहे हैं। एक-दूसरे पर मुकदमे दर्ज करा रहे हैं। आपसी बातचीत भी बंद है।
सरकार और संगठन में फेरबदल की चर्चाएं लंबे अरसे से हैं।
ऐसी चर्चा करने वाले लोगों से मैं पूछता हूं कि उनके पास यदि कोई स्कीम हो तो हमें बता दें।
अमित शाह और संघ के नेताओं के साथ हाल ही में दिल्ली में हुई बैठक में क्या आगामी चुनावों में किसी क्षेत्रीय दल से गठबंधन पर भी चर्चा हुई। इनेलो के बारे में सुनने में आ रहा है...
हमारी अपनी ताकत पर्याप्त है। चुनावों में हम अकेले सब पर भारी रहेंगे। किसी से गठबंधन की कोई योजना नहीं है।
जाट आरक्षण आंदोलन, किसान आंदोलन, राम रहीम प्रकरण, जिसमें पंचकूला में दर्जनों जाने गईं। ये दो-तीन ऐसी घटनाएं हुईं, जिसमें सरकार की बहुत किरकिरी हुई। इससे बिगड़ी छवि से कैसे निपटेंगे?
हम सब घटनाओं से निपटने में सफल रहे हैं। हमारा ऑपरेशन सब जगह सफलतापूर्वक चला है। जाट आरक्षण लागू करने के लिए हमने एक्ट पास कर दिया। उसके बाद अब मामला कोर्ट में है तो क्या कर सकते हैं।
'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा देने वाले हरियाणा में महिलाओं के गैंगरेप जैसे अपराधों में इजाफा हुआ है। 2016 में रेप की 1187 घटनाएं हुईं, यानी औसतन एक दिन में तीन से भी ज्यादा। विरोधी दल हरियाणा को भारत की रेप राजधानी कहने लगे हैं।
रेप के मामले अब बढ़ गए, ऐसा नहीं है। 2012 में भी बहुत से मामले एकदम ऐसे ही सामने आए थे। तब भी कहा गया था कि हरियाणा इज ए रेप स्टेट। ये घटनाएं तो होती हैं। यह एक सामाजिक समस्या है। रेप की 80 फीसदी घटनाएं जानकारों के बीच की हैं। सरकार ने कार्रवाई में कोई कोताही नहीं बरती। पहले की सरकारों के समय तो एफआइआर ही नहीं होती थी। हम एफआइआर करने में पीछे नहीं रहे। आज एक भी शिकायत ऐसी नहीं है कि एफआइआर दर्ज न हो। हमने महिलाओं के थाने खोले, शिकायत दर्ज कराने के लिए महिलाएं खुलकर सामने आईं। एफआइआर दर्ज होने लगी तो स्वाभाविक है कि प्रकाश में आने वाले मामले बढ़े।
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर रॉबर्ट वाड्रा को गुड़गांव में सस्ती जमीन के सीएलयू, राजीव गांधी ट्रस्ट को गुड़गांव में और नेशनल हेराल्ड के ट्रस्ट एजीएल को पंचकूला में सस्ती जमीन देने संबंधी घोटाले के मामलों की जांच आगे नहीं बढ़ पाई है?
हमने एजेंसियों को जांच के लिए फाइलें सौंप दी हैं। सीबीआइ, विजिलेंस और सुप्रीम कोर्ट को फाइलें दे दी गईं। हमने बदले की भावना से कोई कार्रवाई नहीं की। विधानसभा में खुद हुड्डा ने छाती ठोक कर कहा कि वह किसी भी जांच को तैयार हैं, लेकिन जब जांच शुरू हुई तो कहने लगे कि उनके खिलाफ षड्यंत्र रचे जाने लगे हैं।