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दागदार टोपी

डेढ़ साल में आधे मंत्री हटाने पड़े, दो दर्जन के करीब विधायक आपराधिक मामलों में पुलिस के घेरे में, पंजाब में मोर्चा संभाले नेताओं पर पैसा वसूलने और यौन शोषण के आरोप, आम आदमी पार्टी सचमुच बड़ी मुश्किल में है
मनीष सिसौदिया और संदीप कुमार अरविंद केजरीवाल के सबसे करीबियों में गिने जाते है

कहते हैं पूत के पांव पालने में नजर आते हैं। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार पर यह कहावत सटीक बैठती है। महज डेढ़ साल के कार्यकाल में इस सरकार के मंत्री आसिम खान भ्रष्टाचार के आरोप में, जितेंद्र तोमर धोखाधड़ी के आरोप में और संदीप कुमार सेक्स कांड में पद गंवा चुके हैं। एक और मंत्री गोपाल राय ने स्वास्थ्य के आधार पर परिवहन मंत्री का पद छोड़ने की घोषणा की मगर विपक्ष उनपर बस घोटाले का आरोप लगा रहा है और कहा जा रहा है कि इसी आरोप के कारण उन्हें यह पद छोड़ने की सलाह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दी थी। वैसे कमाल की बात है कि खराब स्वास्थ्य के कारण गोपाल राय एक मंत्रालय छोड़ देते हैं जबकि श्रम मंत्री का काम बदस्तूर संभाले हुए हैं और नियमित रूप से काम भी कर रहे हैं। यह तो हुई मंत्रियों की बात, अगर बात पार्टी के इन 67 विधायकों की करें तो इनमें से करीब दो दर्जन विधायक आपराधिक मामलों में पुलिस के घेरे में हैं। कई तो हवालात तक भी पहुंच चुके हैं। महिला उत्पीड़न आप विधायकों का पसंदीदा काम लगता है क्योंकि दो पूर्व मंत्री संदीप कुमार और सोमनाथ भारती तो इसी आरोप में जेल तक पहुंच चुके हैं। इसके अलावा संगम विहार के विधायक दिनेश मोहनिया महिला से छेड़छाड़ के आरोप में हवालात जा चुके हैं। उन्हें तो पुलिस ने तब गिरफ्तार किया था जब वे प्रेस कॉन्फ्रेस कर अपने निर्दोष होने की दुहाई दे रहे थे। रोज सुबह उठकर पत्नी के पांव छूने का दावा करने वाले संदीप कुमार की सेक्स सीडी तो पार्टी के लिए भारी शर्मिंदगी का कारण बन गई।

यह हालत सिर्फ दिल्ली में नहीं है बल्कि पार्टी पूरे दम-खम से पंजाब के जिस चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है वहां भी स्थिति अलग नहीं है। पंजाब में जिस नेता सुच्चा सिंह छोटेपुर को संयोजक पद पर बिठाया गया उन्हीं पर बाद में रिश्वत लेने का आरोप लगाकर पद से हटा दिया। पार्टी पंजाब में सत्ताधारी अकाली-भाजपा गठबंधन पर नशे के कारोबार में शामिल होने का आरोप लगा रही है मगर खुद उस पर अब ज्यादा गंभीर आरोप लग रहे हैं। पार्टी के दिल्ली के विधायक देवेंद्र सहरावत ने यह आरोप लगाकर सनसनी फैला दी है कि पार्टी के पंजाब प्रभारी और अरविंद केजरीवाल के करीबी दोस्त संजय सिंह और राज्य में पार्टी के रणनीतिकार दुर्गेश पाठक समेत एक और बड़े नाम दिलीप पांडे पंजाब में टिकट बंटवारे के नाम पर महिलाओं का यौन शोषण कर रहे हैं। हालांकि सहरावत ने कोई सबूत नहीं सौंपा मगर सुच्चा सिंह छोटेपुर ने सहरावत का समर्थन करते हुए कहा कि आरोप सही हो सकते हैं।

मगर क्या ये महज संयोग हैं कि एक के बाद एक विधायक और खुद सरकार भी आरोपों के घेरे में आ गई है। शायद नहीं। फरवरी 2015 में जिस दिन दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे उस दिन इस संवाददाता को पूर्वी दिल्ली के एक नए-नए जीते विधायक से मिलने का मौका मिला। पूरी दिल्ली में शराब बिक्री पर प्रतिबंध के बावजूद विधायक जी के मुंह से शराब की बू दूर से महसूस की जा सकती थी और गरीब पृष्ठभूमि से आने के बावजूद चुनाव जीतते ही वह एक महंगी एसयूवी में सवार थे। विधायक जी के बेहद करीबी से जब पूछा गया कि गाड़ी किसकी है तो जवाब मिला कि क्षेत्र के स्थानीय शराब कारोबारी ने यह गाड़ी मुहैया कराई है। संबंधित शराब कारोबारी के साथ विधायक की दोस्ती पुरानी थी और इसकी जानकारी इलाके में सभी लोगों को थी। उस समय दिल्ली जीतने के लिए लोगों से ताबड़तोड़ वादे कर रहे आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने लोगों से कहा था, ‘मैं यकीन दिलाता हूं कि आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए तीन सी, करप्शन (भ्रष्टाचार), क्रिमनैलिटी (अपराध) और कैरेक्टर (चरित्र) की जांच करने के बाद ही टिकट दिया जाएगा।’ यानी हर उम्मीदवार की अच्छे से पड़ताल की जाएगी कि उस पर भ्रष्टाचार और अपराध का कोई आरोप तो नहीं है और चारित्रिक रूप से भी उसे मजबूत होना चाहिए।

मगर हकीकत पर नजर डालें तो केजरीवाल अपने वादे पर खरे नहीं उतरे। टिकट बंटवारे से पहले ही, तब केजरीवाल के करीबी रहे योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने बाकायदा ई-मेल भेजकर पार्टी के उस समय के लोकपाल रहे एडमिरल रामदोस को 12 उम्मीदवारों के खिलाफ शिकायत दी थी मगर केजरीवाल ने न सिर्फ इन शिकायतों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया बल्कि चुनाव जीतने के बाद योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। यादव और भूषण के अनुसार जो शिकायत दी गई थी उनमें से बवाना से चुने गए विधायक वेद प्रकाश पर जमीन विवाद में हिंसा का आरोप, आर.के. पुरम से चुनी गईं प्रमिला टोकस और उनके पति पर नॉर्थ ईस्ट के किराएदारों के खिलाफ खाप पंचायत की बैठक आयोजित करने का आरोप, मुस्तफाबाद के विधायक हाजी यूनुस के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप, छतरपुर से करतार सिंह तंवर पर बेहिसाब बेनामी संपत्ति रखने का आरोप, ओखला के विधायक अमानतुल्ला पर कई एफआईआर दर्ज होने, आयकर रिटर्न में अपनी संपत्ति ढाई लाख दिखाने के बावजूद चार करोड़ 70 लाख की संपत्ति खरीदने का आरोप, तुगलकाबाद क्षेत्र में सही राम पहलवान पर हत्या, गुंडागर्दी जैसे कई आरोप होने और पालम क्षेत्र से कुमारी भावना गौड़ के खिलाफ दूसरे की संपत्ति हड़पने के आरोप थे। इसके अलावा महरौली से गोवर्धन सिंह की शिकायत दी गई थी और उनका टिकट बाद में काट दिया गया था। मुंडका से राजिंदर डबास पर आप के एक कार्यकर्ता को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का आरोप था और उनका टिकट भी काट दिया गया था। हालांकि इनका टिकट इन आरोपों की वजह से नहीं बल्कि भाजपा से इनकी नजदीकी बताते हुए काटे जाने की घोषणा की गई थी।

अगर हम इस लिस्ट के नामों पर नजर डालें तो करतार सिंह तंवर के पास से सक्षम एजेंसियों ने करीब 300 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति बरामद की है। वेद प्रकाश पर दिनदहाड़े ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गईं और जानने वाले बताते हैं कि जमीन के विवाद में ही यह हमला हुआ था। सरकारी कर्मचारी पर हमला करने के आरोप में प्रमिला टोकस के पति को गिरफ्तार किया गया है। यानी कहीं न कहीं योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के आरोपों में सच्चाई थी मगर केजरीवाल और उनकी टीम ने उन पर ध्यान नहीं दिया। आज स्थिति यह है कि केजरीवाल के अलावा उनके 21 विधायकों पर कोई न कोई मामला दर्ज है।

केजरीवाल के अलावा उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, मंत्री सतेंद्र जैन और विधायक जरनैल सिंह, अखिलेश त्रिपाठी, गुलाब सिंह, रघुवीर शौकीन, संजीव झा, राकेश गुप्ता, राखी बिड़लान, ऋतुराज, वेद प्रकाश, मनोज कुमार, रामनिवास गोयल, सहीराम पहलवान, प्रकाश जरवाल, अमानतुल्ला खान, सोमनाथ भारती, जितेंद्र तोमर, नरेश बाल्यान और सोमदत्त पर मामले दर्ज हैं। करोल बाग के विधायक विशेष रवि के मामले में अभी आरंभिक जांच जारी है। इस कड़ी में सबसे ताजा मामला संदीप कुमार का है जो एक से अधिक महिलाओं के साथ सेक्स सीडी कांड में फंसे हैं और अधिकांश मामलों में ऐसा लगा है कि सभी वीडियो और फोटो उन्होंने खुद ही तैयार की है। यानी यह या तो मनोविकृत मानसिकता का मसला हो सकता है या फिर महिलाओं को ब्लैकमेल करने का। एक सीडी में दिख रही महिला ने तो पुलिस को शिकायत देकर कहा है कि संदीप ने उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें नशीली दवा पिलाकर उनके साथ संबंध बनाए और सीडी बना ली। इसी शिकायत के आधार पर संदीप कुमार फिलहाल दिल्ली पुलिस की हिरासत में हैं।

केजरीवाल के तीन ‘सी’ के आधार पर चुने गए विधायकों द्वारा पिछले डेढ़ साल में किए गए कांडों पर एक नजर डालें तो साफ हो जाता है कि तीन ‘सी’ का मामला कोरी लफ्फाजी ही थी। सबसे पहले तो केजरीवाल की पहली सरकार के दौर में मंत्री रहे सोमनाथ भारती एक विदेशी महिला से बदसुलूकी में घिरे और उसके बाद अपनी ही पत्नी को प्रताड़ित करने का आरोप उन पर लगा। उनके दूसरे कार्यकाल में कानून मंत्री बनाए गए जितेंद्र सिंह तोमर अपनी कानून की डिग्री अवैध होने के आरोप में पद से हटाए गए। उन पर आरोप है कि स्नातक की जिस डिग्री के बल पर उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की वही फर्जी थी। शुरुआती आरोप के बावजूद केजरीवाल ने तब तक तोमर को नहीं हटाया जब तक कि पुलिस तोमर को गिरफ्तार करने नहीं पहुंच गई।

संदीप कुमार मामले में तो खुद केजरीवाल पर गंभीर आरोप हैं। इस मामले का खुलासा करने वाले शख्स ओमप्रकाश ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि उन्होंने 10 दिन पहले ही केजरीवाल को यह सीडी और चिट्ठी भेज दी थी मगर केजरीवाल तब तक चुप्पी साधे रहे जब तक कि टीवी चैनलों पर यह खबर नहीं चलने लगी। टीवी पर खबर चलने के आधे घंटे के अंदर केजरीवाल ने संदीप कुमार को पद से बर्खास्त कर दिया मगर उन्हें पार्टी से सिर्फ निलंबित किया गया है, निष्कासित नहीं किया गया है। निष्कासित करने से विधानसभा में सरकार के विरोधियों की संख्या बढ़ जाएगी इसलिए केजरीवाल ऐसा कोई जोखिम नहीं ले रहे।

वैसे केजरीवाल का पूरा सार्वजनिक जीवन दूसरों के कंधों पर सवारी कर लाभ उठाने का सटीक उदाहरण पेश करता है। केजरीवाल को करीब से जानने वाले बताते हैं कि आरंभ में भारतीय राजस्व सेवा की नौकरी के दौरान उन्होंने अपना एनजीओ बनाया और सूचना के अधिकार की लड़ाई लड़ रहीं वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय से जुड़ गए। अरुणा राय की नजदीकी सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ थी जिसका फायदा उठाकर केजरीवाल ने कांग्रेस में अपनी पहुंच बनाई। बाद में जब वह अण्णा हजारे से जुड़े तो अण्णा के संघ नेताओं से अच्छे संबंधों का फायदा उठाकर उन्होंने संघ के नेताओं से भी नजदीकी बढ़ा ली। अण्णा के आंदोलन के दौरान भी संघ के स्वयंसेवकों का पूरा समर्थन मिलने की बात कोई छिपी हुई नहीं है। केजरीवाल के करीबी बताते हैं कि उन्होंने हर उस शख्स से खुद को जोड़ा जिनकी छवि जनता में जरा सी भी अच्छी थी। इनमें किरण बेदी, जेपी आंदोलन से जुड़े रहे जेएनयू प्रोफेसर आनंद कुमार, महात्मा गांधी के पोते राजमोहन गांधी, वरिष्ठ पत्रकार शाजिया इल्मी आदि का नाम लिया जा सकता है। प्रोफेसर आनंद कुमार और राजमोहन गांधी को तो उन्होंने लोकसभा चुनाव भी लड़वाया मगर जानकार बताते हैं कि उन्हें चुनाव के दौरान पार्टी से समर्थन नहीं मिला। यानी केजरीवाल ने सिर्फ अपना हित साधने के लिए इन सभी नामों का इस्तेमाल किया।

दिलचस्प तथ्य यह है कि दिल्ली के चुनाव से पहले तक तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित से केजरीवाल की अच्छी दोस्ती थी और बताते हैं कि चुनाव में जाने से पहले केजरीवाल आपसी बातचीत में यह कहते रहे थे कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए वह मैदान में आए हैं। इसी वजह से शीला दीक्षित भी अंतिम समय तक मुगालते में रहीं। अण्णा आंदोलन के दौरान जन लोकपाल कानून बनवाने के लिए सरकार से बातचीत करने के लिए जो कमेटी बनी उसके सदस्य भी आपसी बातचीत में बताते हैं कि इस कमेटी में वह रहने के दौरान केंद्रीय मंत्रियों को यह भरोसा दिलाते रहते थे कि वे उनकी तरफ ही हैं। कमाल की बात है कि अब इन सभी लोगों से केजरीवाल दूरी बना चुके हैं।

आम आदमी पार्टी से निकाले जाने के बाद स्वराज अभियान के नाम से सामाजिक आंदोलन शुरू करने वाले योगेंद्र यादव आउटलुक से कहते हैं कि केजरीवाल को शासन के व्याकरण तक की समझ नहीं है। सरकार दूसरों को धमका कर नहीं बल्कि संविधान और कानून के अनुसार चलती है। शासन संविधान के अनुसार चलता है मगर जो कोई भी केजरीवाल को संविधान की याद दिलाता है, केजरीवाल और उनकी मंडली उसी के खिलाफ मोर्चा खोल देती है। योगेंद्र यादव कहते हैं कि आम आदमी पार्टी का गठन सिर्फ उनका ही सपना नहीं था, यह पूरे देश के करोड़ों लोगों का सपना था मगर आज उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि इस सपने की मौत पर वह खुशी मनाएं या गम। यादव ने गंभीर आरोप लगाया कि केजरीवाल शराब की नई दुकानों के मामले में धड़ल्ले से कानून का उल्लंघन कर रहे हैं और अपनी कही बातों से ही पलट गए हैं। यादव के अनुसार केजरीवाल कहते हैं कि नई दुकानें नहीं खोली जा रही हैं मगर सच्चाई यह है कि दिल्ली के कई मेट्रो स्टेशनों तक पर शराब की दुकानें पिछले कुछ महीनों में खोल दी गई हैं। जब से पार्टी सत्ता में आई है राष्ट्रीय राजधानी में 399 नई शराब की दुकानें खोल दी गई हैं। प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए स्वराज अभियान के संस्थापक सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा, ‘एक पार्टी जो जनभागीदारी के जरिये नशा मुक्ति का दावा करके सत्ता में आई, उसके राज में 399 का आंकड़ा हैरान करने वाला है।’

स्वराज अभियान के मीडिया संयोजक अनुपम बताते हैं कि दिल्ली सरकार के विधायकों को छोड़ दीजिए, खुद सरकार ही जनता से किए वायदों से उलट काम कर रही है। शराब दुकानों पर मचे हंगामे के बाद केजरीवाल ने घोषणा की कि अब से एल-6 लाइसेंस (आम रिहायशी इलाकों में खुलने वाली शराब की दुकानें) नहीं बांटे जाएंगे और सिर्फ एल 10 लाइसेंस ही दिया जाएगा। यहां ध्यान देने की बात यह है कि एल 10 लाइसेंस किसी मॉल में शराब दुकान खोलने से संबंधित है। इसके लिए नियम तय हैं कि दुकान का क्षेत्रफल निजी क्षेत्र के दुकानदार के लिए 500 वर्गफुट से कम नहीं होना चाहिए। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के भवन उप नियमों के अनुसार मॉल की परिभाषा यह दी गई कि एक व्यावसायिक क्षेत्र में स्थिति ऐसा भवन जो केंद्रीकृत रूप से वातानुकूलित हो, जिसमें सभी दुकानें अंदर की ओर खुलती हों, जिसमें सभी दुकानों के दरवाजे के सामने एक कॉमन गलियारा हो और जिस भवन में प्रवेश करते ही सामने एक बड़ा सा हॉल हो। कुल मिलाकर मॉल की जो तस्वीर हमारे जेहन में होती है परिभाषा भी बिल्कुल वैसी ही है। केजरीवाल सरकार ने इसमें खेल क्या किया है कि जिन मॉल्स में एल 10 लाइसेंस दिया गया है उनमें से कई में शराब की दुकानों के दरवाजे मॉल से बाहर भी खोल दिए हैं। यानी मॉल की परिभाषा का ही उल्लंघन कर दिया है। यही नहीं, मेट्रो स्टेशनों के परिसर में मौजूद व्यावसायिक इमारतों में भी एल 10 के तहत लाइसेंस बांट दिए गए हैं। जबकि न तो कोई मेट्रो स्टेशन केंद्रीकृत रूप से वातानुकूलित होता है और न ही मेट्रो स्टेशनों पर दुकानों के दरवाजे किसी कॉमन गलियारे में खुलते हैं। यानी पूरी तरह कानून का उल्लंघन कर ये लाइसेंस दिए गए हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो एल 10 के नाम पर असल में एल 6 के लाइसेंस बांट दिए गए हैं। ऐसी एक दुकान नवादा मेट्रो स्टेशन के निकट खोली गई है जिसे बंद करने के लिए आंदोलन भी शुरू हो गया है। यह इलाका आप विधायक नरेश बाल्यान का है जो 2015 में चुनाव के दौरान शराब बांटने के आरोप झेल रहे हैं।

कमाल की बात यह है कि पूरे अण्णा आंदोलन के दौरान अरविंद केजरीवाल लगातार शासन में पारदर्शिता की बात करते रहे, जन लोकपाल की बात करते रहे मगर शराब के लाइसेंस के मामले में पारदर्शिता गायब है। अगर आप दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग की वेबसाइट देखेंगे तो पाएंगे के 2015-16 में शराब की दुकानों के लिए किस इलाके में कितने लाइसेंस दिए गए इसका कोई जिक्र ही नहीं है। एल 6 लाइसेंस का जिक्र तो फिर भी पिछले वर्ष तक का मिल जाता है मगर मॉल्स में खुलने वाली दुकानों की कोई जानकारी सरकार ने मुहैया नहीं कराई है। जाहिर है कि शराब इस सरकार और इसके नेताओं के लिए कमाई का सबसे बड़ा जरिया बन गया है।

केजरीवाल और उनकी टीम से खुद अण्णा हजारे भी बेहद नाराज हैं। संदीप कुमार का मामला सामने आने के बाद मीडिया से बातचीत में अण्णा ने कहा कि पार्टी बनाते समय ही उन्होंने कार्यकर्ताओं के चरित्र की बात कही थी लेकिन केजरीवाल ने उनकी बात नहीं सुनी। अण्णा ने कहा कि केजरीवाल ने स्वराज को लेकर एक किताब लिखी है, क्या यही केजरीवाल का स्वराज है? यह कहे जाने पर केजरीवाल उन्हें अपना गुरु बताते हैं, अण्णा ने कहा कि वह न तो किसी के गुरु हैं और न किसी के चेले। उन्होंने कहा, ‘केजरीवाल ने मेरी अपेक्षाओं को भंग किया है, मुझे लगता था कि आम आदमी पार्टी लोगों को नई उम्मीद देगी लेकिन जिस तरह उनके मंत्रियों पर आरोप लग रहे हैं उससे मैं बहुत दुखी हूं।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने केजरीवाल से कहा था कि पार्टी में चरित्र टेस्ट का कोई पैमाना होना चाहिए। किस प्रकार से आप कार्यकर्ता का चरित्र अच्छा है या नहीं, यह तय करोगे? लेकिन केजरीवाल ने मेरी सुनी नहीं।’

हालांकि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अपनी पार्टी का भरपूर बचाव करते हैं। संदीप की सीडी मिलने के बाद उन्होंने कहा कि सीडी मिलने के बाद आधे घंटे के अंदर संदीप कुमार को पद से हटा दिया गया। आधे घंटे के अंदर ही विधायक के खिलाफ कार्रवाई की गई। आम आदमी पार्टी अपने उसूलों पर कायम है। आम आदमी पार्टी जीरो टॉलरेंस पर काम करती है। सिसोदिया ने कहा कि किसी गलत आदमी को बर्दाश्त नहीं करेगी। करप्शन, क्राइम को लेकर किसी चीज को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे मनीष सिसोदिया हों या अरविंद केजरीवाल। वैसे जितेंद्र तोमर ने तब इस्तीफा दिया जब पुलिस ने उन्हें फर्जी डिग्री विवाद में गिरफ्तार कर लिया। आसिम खान के समय भी रिश्वत लेने की ऑडियो सीडी मिलने के बाद कार्रवाई की गई। तब सीएम केजरीवाल ने भी कहा था कि अगर कोई भ्रष्ट है तो मैं उन्हें कतई नहीं बख्शूंगा, चाहे वह मेरा बेटा या मनीष सिसोदिया या कोई और भी क्यों न हो। केजरीवाल ने एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी सुनाई, जिसे उन्होंने खान और एक बिल्डर के बीच हुई करीब एक घंटे की बातचीत का हिस्सा बताया। दोनों के बीच पैसे के लेन-देन की बात इस ऑडियो में है। सिसोदिया कहते हैं कि यह नहीं कहा जा सकता कि पार्टी भ्रष्टाचार या अन्य आरोपों पर कार्रवाई नहीं करती। वैसे इन सभी आरोपों के बावजूद किसी विधायक को पार्टी से नहीं निकाला गया है। इसी प्रकार आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने कहा है कि वह अपने खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाने वाले पार्टी विधायक देवेंद्र सहरावत के खिलाफ मानहानि का मुकदमा ठोकेंगे। संजय सिंह ने कहा कि सहरावत योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के पार्टी से निकाले जाने के वक्त से ही इस तरह का पार्टी विरोधी व्यवहार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सहरावत अपने आरोपों के समर्थन में कोई सबूत नहीं दे रहे, बस आरोप लगा रहे हैं।

आम आदमी पार्टी की ओर से संदीप कुमार के बचाव में सबसे उत्साह से सामने आए थे पूर्व टीवी पत्रकार आशुतोष जिन्होंने एक निजी समाचार चैनल की वेबसाइट पर ब्लॉग लिखकर संदीप का भरपूर बचाव किया और इस बचाव में संदीप की तुलना महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेताओं से कर बैठे। संदीप के बचाव में उन्होंने यहां तक कह डाला कि अगर वह उस महिला के साथ सहमति से यौन संबंध में थे तो इसमें गलत क्या है? हालांकि बाद में जब महिला ने पुलिस में शिकायत कर दी कि संदीप ने नशीले पदार्थ खिलाकर उसका यौन शोषण किया था तो आशुतोष के दावों की हवा निकल गई। उन्होंने लिखा कि अतीत में हमारे महान कहे जाने वाले नेता खुलेआम ऐसे कई रिश्तों में थे और भारत की जनता अपने नेताओं के शयनकक्ष की बातों की परवाह नहीं करती।

अब तक अपनी सरकार की हर गड़बड़ी के लिए भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोषी ठहराते आ रहे अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम के लिए संदीप कुमार की सेक्स सीडी और पंजाब में यौन शोषण के आरोपों ने बचाव का कोई रास्ता नहीं छोड़ा है। ऐसे में भविष्य में यदि केंद्र सरकार या उपराज्यपाल के साथ छोटी-छोटी बातों पर टकराव बढ़ता दिखे तो हैरानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि लोगों का ध्यान बांटने के लिए इससे बेहतर तरीका शायद पार्टी के पास अभी नहीं है।

बेईमानी किसी से छुप नहीं सकती

आम आदमी पार्टी ने जिस तरह दागी लोगों को टिकट दिया था उसी का परिणाम है कि आज बदनामी हो रही है। जिस चीज का मैंने शुरू में विरोध किया उसकी सच्चाई अब जनता के सामने आ रही है। सच्चाई यही है कि बेईमानी आप कितनी भी करें लेकिन आज नहीं तो कल सच से सामना करना पड़ेगा। आम आदमी पार्टी के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। हमने तो शुरू में ही कहा था कि उम्मीदवारों के चयन से पहले लिस्ट वेबसाइट पर डाली जाए ताकि उसके बारे में जनता अपनी राय दे सके। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। तोमर के मामले में जानकारी पहले ही आ गई थी और मैंने जांच के बारे में कहा था लेकिन जांच नहीं कराई गई। जहां तक अरविंद केजरीवाल का सवाल है तो वह केवल ईमानदारी का ढोंग करते हैं और उनमें राजनीतिक समझ नहीं है। जिस तरह की वह राजनीति कर रहे हैं और पार्टी चलाना चाह रहे हैं उसे कहीं से भी उचित नहीं कहा जा सकता। आज जो विधायक फंसे हैं कभी केजरीवाल उन्हें पार्टी का हीरा करार दिया करते थे। आम आदमी पार्टी का जब गठन हुआ तो उस समय जनता को बड़ी उम्मीद जगी। लेकिन आम आदमी पार्टी के चंद लोगों ने उन उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इस पार्टी का भविष्य अब अंधकारमय है। क्योंकि किसी भी राजनीतिक दल को जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कुछ निष्पक्षता होनी जरूरी है। आम आदमी पार्टी अब निष्पक्ष नहीं है। अपनी कमियों को छुपाने के लिए दूसरों पर आरोप लगाना इस पार्टी का मुख्य ध्येय बन गया है। दूसरी प्रमुख बात यह है कि जब आम आदमी पार्टी का गठन हुआ था तब कुछ प्रस्ताव बनाए गए थे लेकिन अरविंद केजरीवाल ने उन्हीं प्रस्तावों को मानने से इनकार कर दिया। 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले तैयार की गई उम्मीदवारों की सूची को लेकर जो शिकायतें की गई थीं उन शिकायतों को भी नजरअंदाज कर दिया गया। यहां तक कि आम आदमी पार्टी की विचारधारा से जिनका सरोकार नहीं था उनको भी टिकट दिया गया। अगर गलत तरीके से टिकटों का बंटवारा हुआ तो निश्चित तौर पर उसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ेगा। आज जो भी मामले सामने आ रहे हैं उससे लगता है कि आने वाले समय में कुछ और बड़े खुलासे होंगे। इसके अलावा दिल्ली में जो आम आदमी पार्टी की सरकार की कार्यशैली है वह भी सवालों के घेरे में है। केजरीवाल सरकार ने शराब की दुकान देने का अधिकार विधायकों को दे दिया। इतनी दुकाने खुल गई कि नशामुक्त बनाने का दावा करने वाली सरकार लोगों को और नशे की आदी बनाने में जुट गई। बहुत सारे कारनामे हैं जो धीरे-धीरे जनता के सामने आ रहे हैं। आखिर कोई न कोई वजह तो है कि मंत्री से लेकर विधायक तक घेरे जा रहे हैं। पंजाब की स्थिति अब किसी से छुपी नहीं है। इसलिए इस पार्टी का क्या भविष्य होगा यह अब जनता को ही तय करना है।

कुमार पंकज से बातचीत पर आधारित

 

पंजाब, पैसा, सेक्स

आम आदमी पार्टी, पंजाब में इन दिनों विवादों का भूचाल है। चुनावी बिगुल बजने के शुरूआती दिनों में जनता के बीच पार्टी की लोकप्रियता का ग्राफ लगातार बढ़ रहा था लेकिन बीते कुछ महीनों से पार्टी सदस्यों पर लगे कुछ आरोपों और पार्टी के कुछ फैसलों से पार्टी की छवि धूमिल हुई है।

ताजा मामले में आम आदमी पार्टी के बिजवासन से विधायक देविंदर सेहरावत ने पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल को पत्र लखकर पार्टी के शीर्ष नेताओं पर संगीन आरोप लगाए हैं। सहरावत ने खत में लिखा कि उन्हें पंजाब से टिकट के बदले महिलाओं के शोषण की खबरें मिल रही हैं। उन्होंने पार्टी के दिल्ली से आए नेता संजय सिंह और दुर्गेश पाठक पर भी पैसे लिए जाने के आरोप लगाए। सहरावत ने अपने पत्र में लिखा कि हालात बेकाबू हो रहे हैं ऐसे खराब तत्वों को फौरन बाहर निकाला जाना चाहिए। गौरतलब है कि यह वही देवेंद्र सहरावत हैं, जिन्होंने आम आदमी पार्टी से प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को निकाले जाने के तरीके के खिलाफ आवाज उठाई थी। एक अन्य ताजा मामले में पार्टी की फिरोजपुर जिले की पूर्व कन्वीनर और राज्य कमेटी सदस्य अमनदीप कौर ने आरोप लगाया है कि उनके समेत पार्टी की 52 महिला नेता और कार्यकर्ताओं का यौन शोषण किया गया है। उन्होंने बताया कि इस बात की शिकायत उन्होंने पार्टी आलाकमान को चिट्ठी लिखकर भी की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं, पंजाब राज्य महिला आयोग ने पंजाब पुलिस के डीजीपी को पत्र लिखकर आम आदमी पार्टी के नेताओं द्वारा पंजाब में टिकटों के बंटवारे को लेकर महिलाओं को यौन शोषण और अन्य प्रकार से परेशान किए जाने के मामले की जांच के आदेश दिए हैं। आयोग की चेयरपर्सन परमजीत कौर लांडरां ने अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में लगातार आ रही खबरों के आधार पर इसे अत्यंत गंभीर मामला मानते हुए संज्ञान लिया है।

इससे पहले पार्टी के पंजाब संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर को टिकट के बदले घूंस लेने के आरोप में पार्टी से निकाल दिया गया। बताया जाता है कि पार्टी नेता केजरीवाल के संज्ञान में एक स्टिंग आया था जिसमें सुच्चा सिंह छोटेपुर कथित रूप से विधानसभा का टिकट दिलाने के बदले में दो लाख रुपये लेते दिख रहे हैं। हालांकि वह वीडियो आज तक सामने नहीं आया। यही नहीं, आम आदमी पार्टी के विधायकों पर पंजाब में धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने का भी आरोप लगा। राज्य के मालेरकोटला में पवित्र कुरान शरीफ की बेअदबी के मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक नरेश यादव के खिलाफ अरेस्ट वारेंट जारी किया गया था। कुरान शरीफ के बेअदबी के मामले में गिरफ्तार एक शख्स ने खुलासा किया है कि उसे विधायक ने इस काम के लिए एक करोड़ रुपये देने का वादा किया था, जिसके आधार पर पुलिस ने आप विधायक के खिलाफ मामला दर्ज किया था। यही नहीं शुरुआती समय में पार्टी को पंथक लोगों का साथ भी मिल रहा था लेकिन पार्टी ने अपने घोषणापत्र पर स्वर्ण मंदिर की तस्वीर के साथ झाड़ू छापकर पंथ को भी नाराज कर दिया। इस संबंध में पंजाब में अरिवंद केजरीवाल को कई जगह काले झंडे दिखाए गए।

मनीषा भल्ला

 

विवादों में आम आदमी पार्टी के नेता

मटियामहल के विधायक आसिम अहमद खान को घूस मांगने के आरोप में मंत्री पद से हटाया।

सोमनाथ भारती की पत्नी ने घरेलू हिंसा और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कराया। अफ्रीकी महिला से दुर्व्यवहार के मामले में भी फंसे थे भारती।

विधायक मनोज कुमार को उनके कारोबारी साझेदार रह चुके विनोद कुमार ने रुपये वापस नहीं करने का आरोप लगाया।

त्रिनगर के विधायक जितेंद्र सिंह तोमर पर फर्जी डिग्री का आरोप लगा। कानून मंत्री रहे तोमर को फर्जी डिग्री के कारण पद से हटाया गया।

विधायक राखी बिड़लान को जन्मदिन पर महंगी गाड़ी गिफ्ट में मिलने के कारण विवाद में रही।

स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी विवादों में रहे। दिल्ली की कार्यकारी मुख्य सचिव रहीं शकुंलता गैमलीन ने जैन पर दिल्ली के औद्योगिक जमीनों को लीज होल्ड से फ्री होल्ड करने का दबाव डालने का आरोप लगाया।

साल 2013 में हुए दंगों के मामले में पुलिस ने आम आदमी पार्टी विधायक अखिलेश त्रिपाठी को गिरफ्तार किया गया था। इसके साथ ही त्रिपाठी पर एक व्यक्ति को धमकाने और पैसे ऐंठने के आरोप पर केस भी दर्ज हुआ था।

विधायक सुरेंद्र सिंह पर एनडीएमसी के एक कर्मचारी से मारपीट का आरोप लगा। इस मामले में सिंह को गिरफ्तार भी किया गया था।

अलका लांबा पर भी एक दुकानदार से मारपीट करने का आरोप लगा।

विधायक प्रमिला टोकस पर भी मारपीट का मामला दर्ज हो चुका है।

 

क्षत्रपों की मजबूरी केजरीवाल

नरेंद्र मोदी से मुकाबले में गैर-भाजपा मोर्चे को मजबूत दिखाने की जुगत में जुटे बड़े क्षेत्रीय नेता

आउटलुक ब्यूरो

गैर भाजपा और गैर कांग्रेस मोर्चा तैयार करने में जुटे क्षत्रपों के लिए अरविंद केजरीवाल राजनीतिक मजबूरी बन गए हैं। दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी के रोज सामने आ रहे नए विवादों के मद्देनजर प्रस्तावित राजनीतिक मंच के केजरीवाल के सहयोगी अंदरखाने परेशान तो हैं, लेकिन प्रत्यक्ष तौर पर उनके साथ दिख रहे हैं। वर्ष 2017 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। इस चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मानते हुए राज्यों के क्षत्रप एक साथ उतरने की योजना पर काम कर रहे हैं।

इन क्षत्रपों का लक्ष्य 2019 के लोकसभा चुनाव हैं, जिसमें सभी एकजुट होकर भारतीय जनता पार्टी के मुकाबले की दीर्घकालिक योजना पर काम कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल और एआईएडीएमके समेत कई क्षेत्रीय दल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही गैर भाजपा और गैर कांग्रेस मोर्चा या फेडरल फ्रंट गठित करने के फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं। कांग्रेस का समर्थन लेने या न लेने के सवाल पर इन सभी दलों की राय अलग-अलग है। मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी की बढ़ती राजनीतिक ताकत के मद्देनजर ये दल एक साथ मोर्चेबंदी कर रहे हैं। इस मोर्चेबंदी का प्रयोग 2017 के विधानसभा चुनावों में होना है।

पंजाब, उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, गोवा और उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें उत्तर प्रदेश और पंजाब को लेकर राजनीतिक हलचल ज्यादा है। अलग-अलग राजनीतिक कारणों से तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी और जनता दल (यू) के नेता नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश और पंजाब में सक्रिय हो रहे हैं। पंजाब में ये दोनों नेता आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव प्रचार भी करेंगे। इस बारे में ममता बनर्जी और नीतीश कुमार के साथ अरविंद केजरीवाल की हाल में बातचीत हुई है। जब ये नेता वेटिकन में मदर टेरेसा को संत घोषित करने के समारोह में शामिल होने गए थे, तब वहां इन नेताओं के बीच बातचीत हुई है। 

तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष और राज्यसभा के सांसद मुकुल राय कहते हैं, ‘केजरीवाल की टीम का हम साथ दे रहे हैं। हम लगातार उनसे संपर्क में हैं। ममता बनर्जी से उनकी बातचीत होती रहती है। पंजाब समेत जिन राज्यों में वह चाहेंगे, हम उनके लिए प्रचार करेंगे। ममता बनर्जी जाएंगी ही।’ मुकुल राय के अनुसार, ‘दीदी बड़ी शिद्दत के साथ पंजाब चुनाव में रुचि ले रही हैं। आम आदमी पार्टी अगर वहां अच्छा करती है तो इससे हमें 2019 के लोकसभा चुनाव में बड़ी मदद मिलेगी।’ वह बंगाल के चुनाव के उदाहरण देते हैं कि आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ जो भी मुद्दे सामने आ रहे हैं, उन्हें जनता पूरी तरह नकार देगी। लोग अपनी रोजमर्रा की समस्याओं के चलते केंद्र की मोदी सरकार से नाराज हो रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद से ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने अच्छी-खासी राजनीतिक समझ विकसित की है। 2015 में दिल्ली के विधानसभा चुनाव के दौरान ममता बनर्जी ने आम आदमी पार्टी के लिए ट्विट किया था और इस साल दूसरी बार सरकार बनने पर अपने शपथ ग्रहण समारोह में केजरीवाल को कोलकाता बुलाया था। दूसरी ओर, केजरीवाल ने ममता बनर्जी का दिल्ली विधानसभा में व्याख्यान आयोजित क&

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