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जीतेगा ब्रांड ही

जब सब कुछ खत्म हो जाएगा ताे आखिर में सिर्फ ब्रांड ही बचेगा
ख्याति हो या कुख्याति, ब्रांड जीतता है

अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के मालिक किम जोंग की मुलाकात सफल मानें या न मानें, यह तो अभी विवाद का विषय है। पर यह साफ हो गया कि इस बातचीत में बोइंग ब्रांड जीत गया। किम जोंग भी बोइंग हवाई जहाज में पहुंचे और ट्रंप भी बोइंग हवाई जहाज में पहुंचे। बात चाहे विफल हो जाए, यह संदेश चल निकला कि दोनों नेताओं की सवारी बोइंग ही है। ब्रांड चलते जाते हैं। चलते ही जाते हैं। बाकी और चीजें भले ही फेल हो जाएं।

सोने पर कर्ज देनेवाली कंपनी मुथूट आइपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स की स्पांसर है। यह टीम 2018 का आइपीएल का फाइनल जीत गई। इससे पहले मुथूटवाले किसी और आइपीएल टीम को स्पांसर करते थे। वह टीम हार जाया करती थी। पर ब्रांड मुथूट लगातार मजबूत हुआ है। कोई हारे या कोई जीते, ब्रांड जीतता ही है। कोई टीम बुरी तरह हार कर बहुत चर्चित हो जाए तो भी उसका स्पांसर ब्रांड जीत जाता है। चर्चा के आगे जीत है। टीवी सीरियलों में कई स्त्रियों से अवैध संबंध रखनेवाले एक अभिनेता को जोश और ताकत के कैप्सूल बनानेवाली एक कंपनी ने ब्रांड एंबेसडर बनाने का प्लान किया, तो उस कंपनी को बताया गया कि ऐसा करना अनैतिक होगा। बहुत बदनामी होगी। कैप्सूल कंपनी ने यही बताया-बदनामी के आगे जीत है।

ख्याति हो या कुख्याति, ब्रांड जीतता है, अगर ब्रांड के पीछे के बंदे का नाम विजय माल्या न हो तो। इंसान आता है जाता है, ब्रांड बना रहता है। विजय माल्या चले गए पर किंगफिशर ब्रांड बना हुआ है। इसके नाम की एयरलाइंस को तमाम बैंक रोते हैं, हाय इतने रुपये खा गई किंगफिशर एयरलाइंस और इसके नाम की बीयर पर झूमते हैं बीयरप्रेमी। विजय माल्या आए और निकल लिए। ब्रांड चल रहा है।

धीमे-धीमे इस निष्कर्ष पर पहुंच रहा हूं कि आखिर में सिर्फ ब्रांड ही बचेगा। सब कुछ खत्म हो जाएगा। ताजमहल ब्रांड बतौर चाय के ब्रांड धुआंधार चल रहा है। ताजमहल का होटल ब्रांड धुआंधार चल रहा है। ये ब्रांड जिस ओरिजनल ताजमहल के आधार पर बने हैं, उसकी जरूर बदहाली की खबरें आती रहती हैं कि हाय वहां साफ-सफाई नहीं हो रही है। हाय वहां बंदर परेशान करते हैं। होटल और चाय का ब्रांड बनकर ताजमहल विख्यात हो रहा है। बतौर ऐतिहासिक स्मारक ताजमहल कुख्यात ही हो रहा है। वही हाल लाल किले का है। लाल किला ब्रांड का चावल बेहतरीन चल रहा है। ओरिजनल लाल किले की साफ-सफाई के भी लाले पड़ रहे हैं। ओरिजनल लाल किला किसी प्राइवेट कंपनी के हवाले हो रहा है मेंटीनेंस के लिए। यह नया बवाल खड़ा हो लिया। ओरिजनल लाल किला डालमियावाले ले जाएंगे उसके नाम पर बना चावल ब्रांड किसी और के पास रहेगा। फिर स्पष्टीकरण देना पड़ा करेगा कि जी हमारा वाला लाल किला हमारा ही है। सरकार वाले लाल किले को डालमिया जी ले गए हैं। ऐसे ही जब-जब ताजमहल की बदहाली की खबरें आती हैं, तो होटल ताजमहल वालों को चिंतित हो जाना चाहिए और स्पष्टीकरण जारी करने चाहिए कि बंदरों की छीनाझपटी ओरिजनल ताजमहल में है, ताज के नाम पर बना होटल तो कतई बंदरमुक्त है। और ताज के नाम पर बनी चाय तो कतई बंदर-मुक्त है, यह तो तबले के बड़े-बड़े उस्तादों के लिए ही बनी है। हालांकि यह बात अलग है कि तबले के संगीत या किसी भी शास्‍त्रीय  संगीत से लोग इस तरह से ही दूर छिटकते हैं, जैसे खौंखियाते बंदरों को देखकर लोग भागते हैं।

ताजमहल होटल का रखरखाव चकाचक है और ओरिजनल ताजमहल में पिंकी लव्स गुड्डू के महान संदेशों का अबाध प्रसारण चल रहा है। ओरिजनल स्मारक हार जाता है, उस पर बना ब्रांड चलता जाता है। एप्पल के नाम पर लोगों को अब एप्पल का मोबाइल याद आता है। ओरिजनल एप्पल और मोबाइलवाले एप्पल में एक समानता है, वह यह है कि गरीब आदमी ओरिजनल एप्पल न ले सकता और अमीर आदमी भी मोबाइलवाले एप्पल के भाव सुनकर दो बार सोचता है कि लूं या ना लूं। एप्पल कहीं न कहीं पहुंच से बाहर है।

असलीवाला एप्पल और टमाटर कई बार सबकी पहुंच में तब आ जाते हैं, जब इनके किसान इनके गिरते भावों से नाराज होकर इन्हें सड़क पर पटक देते हैं। ऐसा साल दो साल में होता रहता है। कई शराब प्रेमियों का सवाल रहता है कि ऐसी नाराजगी कभी शराब निर्माता क्यों न दिखाते। इतिहास गवाह है कि शराब के ग्राहकों से ज्यादा बेहतरीन ग्राहक तलाशना मुश्किल है। चाहे कितनी ही महंगी कर दो शराब, कभी कोई जुलूस न निकलता शराबियों का कि इसे सस्ता किया जाए। 

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