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उद्यमशीलता के गेमचेंजर

कुछ ऐसे उद्यमी जिन्होंने अपने नए सोच, नवाचार और हौसले से देश की अर्थव्यवस्था को नए क्षेत्रों में दिया विस्तार
नए क्षेत्रों धाक जमाती नई पीढ़ी

नई पीढ़ी नए भारत का निर्माण कर रही है। नए विचार, नए आइडिया और नए सोच के साथ विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है। इनमें बहुत से ऐसे युवक और युवतियां हैं जो कुछ ऐसा कर रहे हैं जिसका अनुसरण दूसरे लोग कर सकते हैं। अपने नए सोच, कुछ नया करने और अपने नाम को दर्ज कराने की जिद के साथ अपने हुनर और एजुकेशन को जोड़कर तमाम क्षेत्रों में यह युवा पीढ़ी दुनिया के बाकी हिस्सों में हो रहे नवाचार के जरिए आंत्रप्‍न्योर बनने की सूची में खुद को शामिल कर रही है। 1947 में जब देश आजाद हुआ तो उसके साथ ही नए भारत के निर्माण का दौर भी शुरू हुआ था। लेकिन उसमें जिम्मा सरकार पर ज्यादा था। या कुछ बड़े उद्योग समूह थे, जो अपना योगदान दे रहे थे। उसके बाद से कारोबारी जगत में देश ने कई पड़ाव देखे। लेकिन 1991 के बाद के आर्थिक उदारीकरण ने देश की कारोबारी दुनिया में बहुत कुछ बदल कर रख दिया था। उसे बाहरी दुनिया के साथ ज्यादा बड़े स्वरूप में जोड़ दिया था। उसके साथ ही देश में सूचना-प्रौद्योगिकी का क्षेत्र एक बड़ी भूमिका निभाने जा रहा था, जिसमें केवल नए रोजगार देने की क्षमता ही नहीं थी, बल्कि नए उद्यमी यानी आंत्रप्न्योर पैदा करने की भी क्षमता थी। इसके चलते देश को तमाम ऐसे कारोबारी मिले, जिनकी पहली पीढ़ी ने बिजनेस की दुनिया में कदम रखा था। यह सिलसिला जारी है और अब पहली पीढ़ी में अरबपति बनने से लेकर देश और दुनिया के अमीरों की सूची में शुमार होने वाले लोग देश में मौजूद हैं। यह सब हासिल हुआ है नए सोच, नवाचार और उद्यमशीलता के चलते और साथ ही देश में इसके लिए पैदा हुए बाजार और माहौल के चलते।

इसलिए आउटलुक ने तय किया कि इस साल का स्वतंत्रता दिवस विशेषांक उस युवा पीढ़ी को फीचर करेगा, जो इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है। जिसमें केवल नए सोच, हुनर और नवाचार ही नहीं, बल्कि कुछ ऐसा करने का जज्बा और जिद भी है जो बाकी लोगों के लिए मिसाल बन सके। इसके लिए आउटलुक ने देश भर से नई पीढ़ी के ऐसे 18 युवा उद्यमियों को फीचर करने का फैसला किया, जो इस पैमाने पर खरा उतरते हैं। इसमें दुनिया की दूसरे नंबर की वायरल कंटेंट के रूप में स्थापित विटीफीड के शशांक वैष्णव हैं, जो इंदौर में यह कंपनी चलाते हैं। इंटरनेट सेक्युरिटी की कंपनी स्थापित करने वाले ‌त्रिशनित अरोड़ा भी हैं जो आठवीं तक ही स्कूली पढ़ाई कर पाए हैं। आइआइटी, बनारस से इंजीनियरिंग करने वाले हिमांशु हैं, जो ड्रोन के जरिए देश में सड़कों की गुणवत्ता का आकलन करने की तकनीक पर काम करते हैं। श्रियांस भंडारी हैं जिन्होंने पुराने जूतों से गरीबों के लिए चप्पल बनाने की शुरुआत की। श्रेया मिश्रा ने गारमेंट का ऐसा बिजनेस शुरू किया, जो अपने आप में अनूठा है और उनके कस्टमर में बॉलीवुड सेलेब्रिटी भी शामिल हैं। फिर, राहुल मित्तल हैं जिन्होंने अपनी कंपनी के परंपरागत ट्रैक्टर बिजनेस अफ्रीका और एशिय़ा के दूसरे देशों में मजबूती से स्थापित किया।

यही नहीं, देश में स्वास्थ्य की बढ़ती चिंताओं को कुछ कम करने के लिए अक्षय और आरुषी वर्मा ने कोलंबिया और लंदन यूनिवर्सिटी की एजुकेशन के बाद फिटपास के नाम से किफायती दाम पर जिम सर्विस का बिजनेस खड़ा किया। प्रदीप पल्लेली ने किसानों की सुध लेते हुए उनके खेतों में पेस्टीसाइड स्प्रे करने के लिए ड्रोन बना दिया। अभिषेक डबास और अनमोल जग्गी जैसे उद्यमी ग्रीन एनर्जी के तहत सोलर पावर को लोगों की पहुंच में ला रहे हैं। जितेंद्र यादव ने किसानों के लिए बाजार में बेहतर दाम हासिल करने की दिशा में कदम उठाया। इस अंक में फीचर किए गए सभी युवा उद्यमी ऐसे हैं जो नौकरी छोड़कर अपने आपको कारोबारी के रूप में स्थापित करने की जिद के साथ अपने मिशन में जुट गए और कामयाब भी रहे हैं। यह सूची लगातार लंबी होती जा रही है जो इस बात का संकेत है कि कारोबारी दुनिया में स्थापित होने के लिए इनोवेशन और जिद की जरूरत है, बाकी परिस्थितियां अनुकूल होती जाती हैं।

बेशक, नए सोच से आगे बढ़ने और देश के लिए उद्यमिता के क्षेत्र को व्यापक करने की दिशा कायम रही तो देश वाकई अपने जनसंख्यागत लाभ यानी आबादी में अधिक युवा अनुपात का फायदा उठा सकता है। यही हमारी स्वतंत्रता के नए दरवाजे भी खोल सकता है।

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