कार कंपनियों के ब्रोशर से 38 करोड़ डॉलर का पोर्टल। एक कर्मचारी से करीब दो हजार कर्मचारियों का जत्था। गूगल कैपिटल, टाइबोर्न कैपिटल, हिलहाउस कैपिटल, सिकोआ कैपिटल, एचडीएफसी बैंक, रतन टाटा जैसे नामी-गिरामी निवेशक। ‘कारदेखोडॉटकॉम’ का दस साल का सफर सचमुच सपनों सरीखा है।
कारदेखो के 42 वर्षीय सीईओ तथा संस्थापक अमित जैन ने 2008 में छोटे भाई अनुराग के साथ मिलकर इस पोर्टल की शुरुआत की थी। आइआइटी दिल्ली से पढ़े दोनों भाई 2006 में कैंसर पीड़ित पिता की देखभाल के लिए नौकरी छोड़कर अपने शहर जयपुर लौट गए। घर पहुंचकर पहले पिता के जेम्स ऐंड स्टोन कारोबार में हाथ आजमाया। स्टोन बेचने विदेश तक गए। लेकिन धंधे में मन नहीं रमा तो 2007 में घर के गैराज से ‘गिरनारसॉफ्ट’ शुरू किया।
अमित ने बताया, “2008 में दिल्ली में इंडियन ऑटो एक्सपो देखने गया था। वहां प्रदर्शित गाड़ियों के बारे में जब ऑनलाइन जानकारी नहीं मिली तो एक्सपो से सभी कंपनियों का ब्रोशर गाड़ी में भरकर दोनों भाई जयपुर लौट आए। हफ्ते भर के भीतर ही कारदेखो के नाम से पोर्टल शुरू कर दिया।”
2011 में यह पोर्टल ट्रैफिक के मामले में टॉप पर था। इसके बाद अमित के पास निवेशकों के फोन आने लगे। उस वक्त दोनों भाइयों को पहली बार एहसास हुआ कि उन्होंने कुछ कमाल कर डाला है। आज ग्रुप के पोर्टल पर हर महीने करीब तीन करोड़ यूजर आते हैं।
निवेशकों के फोन के बाद दोनों भाइयों ने रिसर्च कर यह जाना कि इस क्षेत्र की दिग्गज अमेरिकी कंपनियां किस तरह काम करती हैं। 2013 में 1.5 करोड़ डॉलर की पहली फंडिंग उठाई। बकौल अमित, “इसके बाद हमारी पूरी जर्नी बदल गई।”
आज देश के 11 शहरों में कारदेखो के दफ्तर हैं। फोर व्हीलर और टू व्हीलर के पांच हजार डीलर पोर्टल से जुड़े हैं। अब दक्षिण-पूर्व एशिया में कंपनी अपना विस्तार कर रही है। 2016 में फिलीपींस में कारबेडॉटपीएच और इंडोनेशिया में ओटीओडॉटकॉम से इसकी शुरुआत हो चुकी है। इसके अलावा बाइकदेखो, प्राइसदेखो, कॉलेजदेखो, गाड़ीडॉटकॉम, जिगव्हील्स डॉटकॉम जैसे बिजनेस पोर्टल भी अमित चला रहे हैं।
आखिर उनकी सफलता का फंडा क्या है? अमित कहते हैं, “कंज्यूमर को वह हर जानकारी एक क्लिक पर मुहैया कराओ जो उसे चाहिए और मैन्यूफैक्चर्स तथा डीलर से पैसा बनाओ।” उन्होंने बताया कि कारदेखो ने 209 चेक प्वाइंट का प्रोसेस बना रखा है, इसके आध्ाार पर हम कार की गुणवत्ता की वारंटी कंज्यूमर को देते हैं। लोन और इंश्योरेंस लेने में भी उनकी मदद करते हैं। अब आगे क्या करने का इरादा है? इसके जवाब में अमित कहते हैं, अगले पांच साल में कारदेखो को तीन अरब डॉलर की कंपनी बनाना चाहता हूं।