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जज्बे से हासिल की नई ऊंचाई

महज तीन साल में ही कंपनी का कारोबार दोगुना से भी अधिक किया
सोनालिका आइटीएल समूह के डायरेक्टर राहुल मित्तल

महज तीन साल और कंपनी का कारोबार दोगुने से ज्यादा! फिर इसी साल घरेलू बाजार में 50 फीसदी और निर्यात में 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। उसके बाद विदेश में एशिया, अफ्रीका के अलावा चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रे‌लिया वगैरह में कंपनी ने अपने पांव पसारे। और यह सब हुआ 28 वर्षीय राहुल मित्तल के नए हुनर, नई पेशकदमी और वित्तीय तकनीक के नवाचार से।

देश की तीसरी सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्यातक कंपनी सोनालिका इंटरनेशनल लिमिटेड के डायरेक्टर राहुल किसी उद्योग घराने की नई पीढ़ी के उन वारिसों में हैं, जिनमें कुछ नया करने का नशा-सा सवार था। उन्हें 2015 में 25 साल की उम्र में जिम्मेदारी मिली तो उनका मन मौजूदा हालात से बगावत कर रहा था। सो, नई सोच के साथ यह तोड़ निकाला। उन्होंने फैमिली बिजनेस का एक्सपोर्ट और निवेश का जिम्मा अपने कंधों पर लिया। तब से लेकर आज तक तीन साल हो चुके हैं और राहुल भी फैमिली बिजनेस में अलग मुकाम कायम कर चुके हैं। उनका पारिवारिक बिजनेस पांच हजार करोड़ रुपये से बढ़कर 10 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक का हो चुका है। तीन साल में उनकी कंपनी का फोकस एशिया और अफ्रीकी देशों तक सीमित था, लेकिन आज उनकी कंपनी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी सहित 104 से भी अधिक देशों में ट्रैक्टर निर्यात करती है। राहुल बताते हैं, “जब मैंने कंपनी ज्वाइन की, तब हम 10 हजार ट्रैक्टर एक्सपोर्ट करते थे। अब उसमें 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।” कंपनी के निवेश के बारे में राहुल बताते हैं कि पहले इसकी जिम्मेदारी हमारे परिवार के पास नहीं थी। लेकिन अब वह खुद इसे संभालते हैं और आज उनकी कंपनी का निवेश तीन हजार करोड़ रुपये से भी अधिक का हो चुका है। राहुल मित्तल ने इंग्लैंड से इंजीनियरिंग की। फिर एसपी जैन स्कूल ऑफ ग्लोबल मैनेजमेंट से एमबीए किया। वह बताते हैं कि एमबीए के दौरान उन्हें काफी ग्लोबल अनुभव मिला। फिर जाना कि बिजनेस में क्या-क्या पैंतरे होते हैं और उनका कहां-कैसे इस्तेमाल किया जाता है।

वह बताते हैं, “मेरे पिताजी ने एक मंत्र दिया कि अगर कोई समस्या है, तो आप उसके बारे में सोचते ही क्यों हैं, आप उसके समाधान के बारे में सोचिए।” राहुल कि फिलासफी बेहद जुदा है। उनका मानना है कि ऐसा काम कीजिए कि ऑफिस जाना सिर्फ समय बिताना न हो। कुछ ऐसा हो कि शाम को जब घर लौटें तो लगे कि मजा आ गया। आपको खुद पर नाज हो कि आपने क्या किया है।

आर्ट के शौकीन राहुल अपनी सफलता के इस सफर में अपनी हमसफर की भूमिका को लाइफ चेंजिंग बताते हैं। वह बताते हैं, “मेरी वाइफ सपोर्ट के अलावा मेरे लिए काफी मोटिवेटिंग हैं। जब लगता है किसी से मेरा ध्यान भटक सकता है, तो उसकी जिम्मेदारी वह खुद ले लेती हैं।”

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