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डाटा का जादूगर

कई सरकारी महकमों को एनालिटिकल डाटा सेवा मुहैया करा रही है मोबीप्रॉब
मोबीप्रॉब के फाउंडर मनीष कुमार

सही ही कहते हैं ‘मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है।’ कुछ कर दिखाने के इसी जुनून के कारण मनीष कुमार ने दिव्यांगता को कभी बाधा नहीं बनने दी। चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक करने के बाद मनीष ने चार साल में तीन नौकरी बदली। पहली नौकरी बिना पैसे के सीखने के लिए की। दूसरी दो साल चली और तीसरी तो सिर्फ तीन दिन। 2015 में उन्होंेने खुद की कंपनी मोबीप्रॉब शुरू की।

तीन लाख रुपये से शुरू हुई यह कंपनी आज करीब एक करोड़ रुपये का कारोबार कर रही है। पंद्रह लोग इस कंपनी में काम करते हैं जिनमें ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर हैं। ‘मेशर एवरीथिंग’ टैग लाइन वाली मोबीप्रॉब केंद्र और राज्यों के कई महकमों को एनॉलिटिकल डॉटा सेवा उलपब्ध कराती है। कई निजी कंपनियां भी कंपनी की क्लांइट हैं। एनालि‌टिकल डॉटा सॉफ्टवेयर की मदद से दिल की धड़कन पढ़कर थकान का अंदाजा लगाया जा सकता है। नियमित तौर पर ब्लड शुगर की जांच कराने वालों के तीन माह के डाटा के आधार पर यह बताया जा सकता है कि वे शुगर ग्रस्त होने के कितने करीब हैं। मनीष ने बताया कि उनकी कंपनी कृषि विश्वविद्यालयों से किसानों को उन्नत खाद, बीज के अलावा खेतों की मिट्टी और पानी की गुणवत्ता का विश्लेषणात्मक डाटा उपलब्ध कराती है। उपज के सटीक अनुमान और उसी हिसाब से मांग और आपूर्ति के आधार पर भविष्य के बाजार भावों का अनुमान लगाया जा सकता है। मनीष ने बताया कि उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती स्किल्ड मैनपावर की कमी है। आजकल इंजी‌नियरिंग कॉलेज और यूनिवर्सिटी से जो निकल रहे हैं उनमें से ज्यादातर स्किल्ड नहीं होते। स्किल्ड मैनपावर की कमी के चलते उनके परचेज ऑर्डर अक्‍सर पेंडिंग रहते हैं।

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