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हैप्पीनीनेस की कार्यशाला

हैप्पीनेस विभाग तो खुल गया लेकिन कमबख्त हैप्पीनेस अभी तक नहीं आई। बुलेट ट्रेन, स्मार्ट सिटी, स्मार्ट-अप सब खुल गए परंतु लोगों के चेहरों की मनहूसियत क्यों नहीं जाती? किसानों, मजदूरों, छात्रों, व्यापारियों के चेहरे अब भी लटके हुए हैं। इसी चिंता को दूर करने के लिए कार्यशाला आमंत्रित की गई।
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इस बार भौतिक सुख-सुविधाओं से नहीं, अपितु आध्यात्मिक उपायों से हैप्पीनेस लाने के लिए विभिन्न गुरुओं को बुलाया गया। उनके चेहरे पर सदैव मुस्कान बनी रहती है। निंदक आरोप लगाते हैं कि यह नूर, बादाम-पिस्ता के सेवन से बना रहता है। खैर कुछ भी हो, हैप्पीनेस लाने के नए उपाय तो उनसे मिलेंगे ही।

भूटान में तो कुछ भी नहीं है फिर भी पट्ठा वह देश हैप्पीनेस-इंडेक्स में नंबर वन पर है। हमारा देश आखिर में नीचे के पायदान पर क्यों है, जबकि सब कुछ है, बुलेट-ट्रेन, स्टार्ट अप और स्मार्ट सिटी, सिद्ध पुरुषों के लिए पांच सितारा स्तर का टेंट बनाया गया। हवन-शांति भी हो जाए और ए.सी. भी चलते रहें, ऐसा जुगाड़ किया गया। सात्विक भोजन के लिए हलवाई भगत जी को ठेका दिया गया। यहां कार्यशाला की संक्षिप्त रपट प्रस्तुत है। यद्यपि मत-मतांतर के कारण किसी निष्कर्ष पर पहुंचे बिना वह स्थगित हो गई। इस डर से कि कहीं आध्यात्मिक गुरुओं में भिड़ंत न हो जाए।

स्वामी मुस्करानंद ने भगवान श्रीकृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा कि वे महाभारत के युद्ध में भी मुस्कराते रहते थे। कारण रास लीला में सदैव मग्न रहना था। संत नृत्यानंद ने विरोध करते हुए कहा कि कहीं रास लीलाओं में दबंग की मुन्नी बाई नृत्यों को ही मान्यता न दे दी जाए अन्यथा चरित्र रसातल में चला जाएगा। इस पर स्वामी आत्मानंद बेहद नाराज हुए। इसी भक्तिमार्ग से ही देश रसातल में पहुंचा है। हमारा प्राचीन मार्ग तो ज्ञान-मार्ग रहा है। हमारे पुरखे सदैव परमब्रह्म की खोज में लीन रहे। हिमालय जाकर तपस्यारत रहे। आज पूरे विश्व में हमारी इस आध्यात्मिक शक्ति का डंका बज रहा है और रासलीला जैसी छिछोरी बात में हम उलझे हैं। इससे कभी शाश्वत हैप्पीनेस नहीं आएगी।

तभी स्वामी योगानंद ने अपना मौन तोड़ा और कहा, आज तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी विश्व योग दिवस का सुझाव दिया है। हमने प्रसन्नासन नामक नया आसन खोज लिया है। इसमें भूखा-प्यासा रहकर भी व्यक्ति प्रसन्न बना रहता है। इस पर संत आरोग्यानंद ने विरोध प्रकट किया। नंगे एवं भूखे व्यक्ति को आप कैसे योग करवाएंगे, वे बेहोश होकर न गिर पड़ेंगे? पहले हमें उन जड़ी-बूटियों को खोजना होगा, जिन्हें खा कर लोग प्रसन्न रहते थे। अंत में वैद्यराज जी ने दावा किया कि हिमालय में शोध कर उन्होंने वह जड़ी-बूटी खोज ली है। इसे खाकर मनुष्य प्रसन्न एवं स्वस्थ बना रहेगा। चाहे राशन मिले या न मिले। वह बिना खाए-पिए भी सदैव मुस्कराता दिखाई देगा। सरकार से आग्रह है वह हमें इसका उद्योग लगाने हेतु भूमि आवंटित करे। विदेशों से ऑटोमैटिक मशीनें मंगा ली हैं, जिनसे यह उत्पादन किया जाएगा। हैप्पीनेस विभाग के सचिव ने देखा कि कहीं हैप्पीनेस लाते-लाते इस कार्यशाला में दंगल प्रारंभ न हो जाए, अत: उसे स्थगित कर दिया गया। अगली कार्यशाला शीघ्र बुलाई जाएगी। 

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