हरियाणा में शेल्टर होम में शोषण के कई मामले सामने आ चुके हैं। रोहतक के अपना घर, गुड़गांव के शेल्टर होम और यमुनानगर के बालकुंज में हुई घटनाओं ने तो पूरे देश को झकझोर दिया था। इसके बावजूद राज्य में आधे शेल्टर होम ऐसे एनजीओ चला रहे हैं जो पंजीकृत नहीं हैं। इन केंद्रों में कितने बच्चे और महिलाएं हैं इसकी भी खबर राज्य सरकार को नहीं है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के सर्वे के मुताबिक राज्य के 182 शेल्टर होम में से 92 शेल्टर होम ऐसे एनजीओ चला रहे हैं जिनका अब तक जुवेनाइल जस्टिस (केअर ऐंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं है।
इनमें 105 शेल्टर होम बच्चों के और 13 महिलाओं के हैं। राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता जैन ने आउटलुक को बताया कि अनाथालयों और शेल्टर होम की रजिस्ट्रेशन के लिए राज्य सरकार ने एक बोर्ड के गठन का फैसला किया है। गौरतलब है कि 2012 में हरियाणा के रोहतक में ‘अपना घर’ में लड़कियों के साथ दुष्कर्म और गर्भपात कराए जाने का मामला सामने आया था। पुलिस ने यहां से 106 बच्चों को मुक्त कराया था। इसी साल 18 अप्रैल को सीबीआइ की विशेष अदालत ने इस मामले में अपना घर चलाने वाले एनजीओ की संचालिका जसवंती देवी, उसके दामाद जय भगवान और ड्राइवर सतीश को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। अपना घर से मुक्त कराए गए बच्चों में से चार फिलहाल रोहतक दयानंद मठ स्थित चौधरी लखीराम आर्य अनाथालय में रह रहे हैं। यहां पढ़ने-खेलने की आजादी से इन बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ा है और वे पुराने जख्म को भूलने लगे हैं।