कृषि प्रधान देश भारत में किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखकर सरकार कई कदम उठा रही है। इन कदमों में तकनीक का प्रयोग भी शामिल है। सरकार की पहल है कि तकनीक के जरिए खेती को बढ़ावा दिया जाए ताकि ‘एक इंच भूमि में गांठ भर फसल’ की पैदावार हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी तकनीक को बढ़ावा देते हुए वैज्ञानिकों से अपील की है कि आम लोगों को तकनीक से जोड़ें और किसानों की आय को दोगुना करने की रणनीति बनाएं। वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर किसानों की आय को दोगुना करना है तो कृषि क्षेत्र में आने वाली समस्या को दूर करना होगा और सरकारी क्षेत्र की भूमिका को और बढ़ाना होगा। सीएसआईआर की प्लैटिनम जुबली के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि सीएसआईआर भारत और उसकी विविधता का प्रतीक है। सीएसआईआर ने अपने समग्र अनुसंधान और विकास दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए राष्ट्र की सारी गतिविधियों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें आशा है कि सीएसआईआर 2022 तक, जब देश की आजादी के 75 वर्ष होंगे, देश के किसानों की आय दोगुना करने के सरकारी कदम में महत्वपूर्ण योगदान करेगी। उन्होंने देश के वैज्ञानिकों से कहा कि किसानों द्वारा जिन समस्याओं का सामना किया जा रहा है उनका तकनीकी समाधान निकाला जाना चाहिए। यह काम उत्पादन बढ़ाने की दृष्टि से ही नहीं बल्कि ‘प्रति बूंद और फसल’ जैसे कार्यक्रम के जरिए बंजर भूमि में फसल उगाने की दृष्टि से भी किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा लक्ष्य ‘एक इंच भूमि और गांठ भर फसल’ होना चाहिए।
सीएसआईआर विश्व की शीर्ष 100 अनुसंधान संस्थानों में शामिल है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन शामिल इस संस्थान की स्थापना 1942 में हुई थी। सीएसआईआर को 8000 अनुसंधान विद्यार्थियों, 4600 वैज्ञानिक तथा 8000 वैज्ञानिक एवं तकनीकी कर्मचारियों की विशेषज्ञता और अनुभव प्राप्त है। अत्याधुनिक अवसंरचनात्मक सुविधाओं एवं वैज्ञानिक तथा तकनीकी कार्मिक-शक्ति के साथ सीएसआईआर वास्तव में राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास के सभी क्षेत्रों के लिए काम कर रही है। इसलिए प्रधानमंत्री की अपेक्षा भी है कि यह संस्थान देश के लिए कुछ अलग हटकर काम करे ताकि समग्र विकास हो सके। मोदी ने वैज्ञानिक समुदाय का भी आह्वान किया कि वे व्यक्तिगत रूप से विज्ञान के विद्यार्थियों का मार्ग-निर्देशन करें ताकि विद्यार्थियों के विचारों तथा ऊर्जा को दिशा मिल सके और भविष्य में भारत ‘अनुसंधान उद्यमियों’ का हो। आज जिस तरह से बीमारियां फैल रही हैं उसकी रोकथाम के लिए भी सीएसआईआर लगतार शोध कर रहा है। इतना ही नहीं भौतिकी, रसायन और जीव विज्ञान, खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी आदि के क्षेत्र में भी सीएसआईआर लगातार काम कर रहा है। सीएसआईआर के एकीकृत कौशल विकास कार्यक्रम का भी सकारात्मक पक्ष सामने आ रहा है। विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री हर्षवर्धन के मुताबिक आने वाले समय में सीएसआईआर की प्लैटिनम जुबली के दौरान विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इनमें प्रदर्शनी और प्रख्यात वैज्ञानिकों और उद्योगपतियों के व्याख्यान शामिल हैं। कार्यक्रम देश के विभिन्न शहरों में आयोजित किए जाएंगे। इसके साथ ही सीएसआईआर कई क्षेत्रों में अलग-अलग अवधि के 30 एकीकृत कौशल विकास कार्यक्रम की शुरुआत भी करेगा।